जब कोई देश दीवालिया होता है तो वहां आम आदमी और जीवन पर क्या असर होता है

श्रीलंका पिछले करीब 06 महीने से दीवालिया है. उस पर 51 बिलियन का मोटा कर्ज है, जिसकी किश्तों की अदायगी तक वह नहीं कर पा रहा है. इसके चलते वह तेल समेत वो सारे जरूरी सामान विदेशों से आयात नहीं कर पा रहा है.जिसके चलते श्रीलंका का जीवन एकदम रुक गया है. जीवन के लिए सारी जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है.

जनता को रोजाना के जीवन में मुख्यतौर पर जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वो आज की जिंदगी की बेसिक जरूरतों में शुमार हो गई हैं. सबसे मुश्किल बात ये है कि श्रीलंका में आमतौर पर बहुत कम चीजों का उत्पादन होता है, वो अपनी जरूरतों के लिए बडे़ पैमाने पर आयात पर निर्भर करता रहा है. हर दिन गुजरने के साथ ही दिक्कतें भी बढ़ रही हैं. इसी के चलते कोलंबो में अथाह जनसैलाब उमड़ा और वो राष्ट्रपति भवन में घुस गया. वहां कब्जा किया. इसके बाद प्रधानमंत्री रानिलसिंघे के घर पर आग लगा दी गई.

1. बिजली नहीं आ रही, 14-15 घंटे की कटौती 
बिजली के लिए तेल से लेकर कोयले तक की जरूरत होती है, जो श्रीलंका में बहुत कम है या करीब खत्म हो चुकी है. श्रीलंका का अपना कोई कोयला उत्पादन नहीं होता. वो बिजली के लिए जरूरी कोयला और तेल बाहर से मंगाता है. इसके लिए उसे करीब 25 लाख टन कोयला आयात की जरूरत होती है, जो विदेशी मुद्रा नहीं होने से बिल्कुल खत्म हो रहा है. फिलहाल उसे जो कोयला मिल रहा है, वो चीन और भारत से मिल रहा है.

श्रीलंका में मुख्य तौर पर तीन तरीके से बिजली का उत्पादन होता है, थर्मल पावर (जिसमें कोयला और फ्यूल आयल की जरूरत होती है), हाइड्रोपॉवर (श्रीलंका में पानी के जरिए भी बिजली बनाई जाती है लेकिन वो बहुत कम है और तीसरा तरीका गैर परपंरागत नवीकरण ऊर्जा है, जिससे भी फिलहाल वहां कुछ मात्रा में बिजली बनती है. हालांकि इसकी तादाद भी बहुत कम है.

श्रीलंका में पिछले कुछ महीनों से बिजली की भारी कटौती हो रही है. ये करीब 14-15 घंटे तक की है. छोटे शहरों, कस्बों और दूरदराज के इलाकों में तो ब्लैकआउट की स्थिति है. लोग इससे बुरी तरह नाराज हो चले हैं (courtesy – sri lanka daily mirror)
(courtesy – sri lanka daily mirror)श्रीलंका ने दीवालिया होने से पहले ये घोषणा की थी कि वो 2030 बिजली के मामले में आत्मनिर्भर देश बन जाएगा लेकिन लगता नहीं कि अब उसके साथ ऐसा हो पाएगा.

बिजली नहीं आने से क्या हो रहा है
श्रीलंका के शहरों में तब भी कुछ बिजली मिल जा रही है लेकिन गांव, कस्बों और दूरदराज वाले क्षेत्रों में तो बिल्कुल ब्लैकआउट की स्थिति है. मौजूदा जिंदगी में ज्यादा काम बिजली से होते हैं. इसका असर ये हुआ कि अस्पताल से लेकर अफसरों और स्कूलों तक में कामकाज रुक गया है. कारखानों में कामकाज रुक गया है.
– बिजली की किल्लत के चलते हो रही कटौती से उमस भरी रातों में नींद पूरी करना मुश्किल हो गया है.
– अस्तपाल में मरीजों को दिक्कत हो रही है. आपरेशन नहीं हो पा रहे हैं
– आपात सेवाओं पर बुरी तरह असर पड़ा है

2. तेल बिल्कुल नहीं है आवागमन और जरूरी काम रुके
श्रीलंका अब तक अपनी जरूरत को ज्यादातर तेल आयात करता रहा था. हालांकि बहुत थोड़ी मात्रा में उसका अपना भी तेल दोहन है लेकिन ये सब रुका हुआ है. पेट्रोल पंप सूने पड़े हैं. देशभर में हर जगह बस रुके हुए वाहन नजर आते हैं.
श्रीलंका में तेल की खपत रोज लगभग 127000 बैरल है, जिसका एक चौथाई हिस्सा वो किसी तरह मंगा पा रहा है लेकिन उसमें भी अड़चन आती जा रही है..
इसका असर तमाम चीजों पर पड़ा
– घर से निकलते ही लोगों को परिवहन के साधन खोजने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
– घरों में गैस आनी बंद हो गई तो गैर सिलिंडर भी खाली होने के बाद नहीं भरे जा पा रहे हैं, उसके लिए लंबी लाइनें हैं. चूल्हे नहीं जल पा रहे तो लोग लकड़ियों के चूल्हों का आसरा ले रहे हैं.
– ऑटोरिक्शा के ड्राइवर अपने आठ-लीटर के टैंक के साथ लंबी क़तारों में कई-कई दिन बिताने को मजबूर हैं. उन्हें तेल हासिल करने में 48 घंटे भी लग सकते हैं.

तेल नहीं होने और उसके महंगा हो जाने की स्थिति में श्रीलंका में लोगों की साइकिलें निकल आई हैं या बाजार में उनकी डिमांड बढ़ गई है लेकिन उनकी कीमत भी बेतहाशा बढ़ चुकी है. (courtesy – sri lanka daily mirror)

– जो लोग कहीं आवाजाही कर भी रहे हैं, उनका मुख्य सहारा बस और ट्रेन हैं.जिनकी संख्या बहुत कम कर दी गई है. इन बसों और ट्रेनों की हालत ऐसी है कि बेतहाशा भीड़ से कहीं ये बैठ न जाएं.

कैसी सुधरेगी तेल की स्थिति
श्रीलंका के अखबार डेली मिरर ने 12 जुलाई को एक रिपोर्ट दी है कि इस महीने के आखिर तक पेट्रोल औऱ डीजल से भरे चार बडे़ जहाज श्रीलंका पहुंचेंगे. उसके बाद शायद देश में तेल की किल्लत की स्थिति में कुछ बेहतरी आ पाए.

3. खानपान में भी किल्लत दालें लग्जरी हुईं
पहले वह अपनी जरूरत का अनाज कम से कम उगा लेता था लेकिन जब से देश में आर्गनिक खेती करने का कानून बनाया गया, तब से खेती भी चौपट हो गई. लोगों को न तो ठीक से नाश्ता नसीब है और न खाना. ऐसे ही हालत में लोग काम कर रहे हैं.
– कामगार लोगों के मोहल्लों में लोग मिलजुल कर खाना बनाने लगे हैं, मुख्य तौर पर नारियल और चावल का ही ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है
– खानपान का मुख्य आहार दाल अब दुलर्भ हो गई है
– डीजल नहीं होने से मछुआरे नाव लेकर समुद्र में नहीं जा पा रहे और इस वजह मछलियों की किल्लत, जो मिल भी रही हैं तो बहुत महंगी
– होटल और रेस्तरां का खाना बहुत महंगा हुआ
– श्रीलंका के ज्यादातर बच्चे लगभग बिना प्रोटीन वाले भोजन पर जीने को मजबूर

3. महंगाई बेतहाशा बढ़ी
श्रीलंका के कंगाली वाली स्थिति में पहुंचने के बाद वहां की मुद्रा रुपए का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है. नतीजतन महंगाई बुरी तरह बढ़ रही है. रोजमर्रा चीज़ें पिछले महीने की तुलना में दोगुनी क़ीमतों पर मिल रही हैं.महंगाई लगातार बढ़ रही है. सबकुछ महंगा हो गया है.
– ऐसी स्थिति में कुछ लोग फायदा ले रहे हैं. कालाबाजारियों और माफिया चांदी हो गई है. वो ना केवल चोरी से सामान बेच रहे हैं बल्कि पुलिस और प्रशासन के साथ भी उनकी मिलीभगत के आरोप लगने लगे हैं.

4. दवाइयों तक का अकाल
दवाइयों की बुरी तरह किल्लत है. आमतौर पर देश में सभी दवाएं बाहर से आयात की जाती हैं. देश में उनका उत्पादन बहुत कम होता है. दवाएं आमतौर पर भारत से ज्यादा आयात होती थीं लेकिन वो भी कम आ रही हैं. मेडिकल स्टोर्स पर लंबी लाइनें हैं और दवाएं गायब हैं.

5. अर्थव्यवस्था तबाह होने से बेरोजगारी बढ़ी
देश की बदतर हालत से रोजाना के मजदूरों के पास जहां रोजगार खत्म हो गया है तो नौकरीपेशा लोगों की नौकरी जा रही है. क्योंकि उन्हें सैलरी दे पाना कठिन हो गया है. हर सेक्टर में बेरोजगारी बुरी तरह बढ़ रही है.
– कमज़ोर वर्ग के लोग काम पर जाने के लिए साइकिल ख़रीदने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुद्रा अवमूल्यन के चलते वो भी उनकी पहुंच से बाहर हो गई है.