सोमवार को ईरान (Iran) क महान एयरलाइंस (Mahan Airlines) की चीन (China) जाने वाली फ्लाइट में जैसे ही बम होने की खबर आई, पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। हालांकि यह पूरी खबर सिर्फ एक अफवाह साबित हुई और ईरान की तरफ से खुद इस बात की पुष्टि की गई। लेकिन इस खबर ने साल 1988 की वह घटना याद दिला दी जब एक हमले में 290 लोगों की जान चली गई थी।
तेहरान: ईरान की महान एयर की फ्लाइट A340 सोमवार को उस समय चर्चा में आ गई जब उसमें बम होने की खबर आई। जैसे ही यह एयरलाइन भारत के एयरस्पेस में आई, भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को इनके पीछे दौड़ाया गया। यह फ्लाइट तेहरान से चीन के गुआंगझाऊ जा रही थी। जिस समय बम की खबर आई, उस समय फ्लाइट 35,000 फीट पर थी और इसे 21,000 फीट पर किया गया था। आखिर में यह खबर सिर्फ एक कोरी अफवाह साबित हुई और इसने सुरक्षित चीन में लैंडिंग की। ईरान की इस फ्लाइट ने साल 1988 की उस घटना की याद दिला दी जिसमें अमेरिकी नौसेना की तरफ से ईरान के एक प्लेन को निशाना बनाया गया था। उस घटना में फ्लाइट में सवार 290 लोगों की मौत हो गई थी। 34 साल पहले हुए उस हादसे को आज तक एविएशन इंडस्ट्री का सबसे खतरनाक हादसा करार दिया जाता है।
जंग के बीच हुआ हमला
तीन जुलाई 1988 में अमेरिकी नौसेना के जहाज ने ईरान के जेट को निशाना बनाया था। फ्लाइट 655 पर 290 लोग सवार थे जो ईरान से दुबई जा रहे थे। जैसे ही यह फ्लाइट फारस की खाड़ी के ऊपर आई यूएसएस विन्सेनेस ने इस पर हमला कर दिया था। यह अमेरिकी नौसेना की एक वॉरशिप थी जो तनाव के समय फारस की खाड़ी में तैनात थी। अमेरिकी नौसेना उस समय फारस की खाड़ी में टैंकर वॉर के तहत कमर्शियल जहाजों की सुरक्षा में तैनात की गई थी।
सन् 1980 से 1988 तक ईरान और ईराक के बीच जंग जारी थी और इसे ही टैंकर वॉर नाम दिया गया था। ईरान, इस क्षेत्र से आगे जाने वाले जहाजों का रास्ता ब्लॉक करने में लगा था। जहाजों को रोकने के लिए ईरान ने माइन्स तक बिछाई थीं और रॉकेट हमले तक कर रहा था। सन् 1987 में जंग की आड़ में इराक के फाइटर जेट ने अमेरिकी वॉरशिप यूएसएस स्टार्क को एक ईरानी टैंकर समझ लिया था। इसके बाद इस जेट से दो मिसाइलों को फायर किया गया। इस हमले में अमेरिका के 37 नौसैनिकों की मौत हो गई थी।
क्या थी असली वजह
16 अप्रैल 1988 को अमेरिकी वॉरशिप यूएसएस सैम्युल बी रॉबर्ट्स ईरान की तरफ से बिछाई गई लैंडमाइंस का निशाना बन गई थी। इस घटना में जहाज दो टुकड़ों में होने से बच गया था। इसके चार दिन बाद अमेरिकी वॉरशिप ने ईरान के ऑयल टैंकर्स को निशाना बनाना शुरू किया। ईरान की तरफ से लॉन्च हुई मिसाइलों का जवाब दिया गया और अमेरिकी हमले में ईरान का एक जहाज डूब गया था। 3 जुलाई आते-आते हालात बेकाबू हो गए थे और फारस की खाड़ी जंग का मैदान बन चुकी थी।
ईरान एयर फ्लाइट 655 ने बंदर अब्बास से टेकऑफ किया था। यह एक सैन्य और असैन्य एयरपोर्ट था। यहां पर ईरान की मिलिट्री ने अपने एफ-14 फाइटर जेट्स को रवाना किया था। अमेरिकी नौसेना की तरफ से हुई एक जांच में यह बात सामने आई थी। अमेरिकी सेना को लगा था कि ये फाइटर जेट्स मेवरिक मिसाइलों से लैस हैं और 16 किलोमीटर के दायरे में मौजूद अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाने के मकसद से आए हैं।
फ्लाइट बन गई निशाना
इसके एक दिन पहले ही इन जेट्स में से एक एफ-14 को चेतावनी दी गई थी कि वह अमेरिकी जहाज यूएसएस हाल्से से दूर रहे। यह जेट इस जहाज के एकदम करीब आ गया था। तीन जुलाई 1988 की सुबह यूएसएस विन्सेनेस, फ्रिगेट यूएसएस मोन्टगोमरी के साथ ईरान की सेना से उलझ गया था। अमेरिकी नौसेना की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की नावों ने उस समय फायरिंग शुरू कर दी थी जब एक पाकिस्तानी टैंकर खाड़ी में उनके लिए खतरा पैदा कर दिया था। यह घटना जारी थी कि जब ईरान एयर की फ्लाइट 655 बंदर अब्बास से रवाना हो गई। फ्लाइट ने तय समय के आधे घंटे बाद टेकऑफ किया था। अमेरिकी नौसेना की जांच में यह बात सामने आई थी कि ईरान की एयरलाइन के लिए उस कमर्शियल रूट की मंजूरी दी गई थी।
पांच मिनट में लिया फैसला
अमेरिका के मुताबिक ईरानी पायलट को क्षेत्र में जारी युद्ध के हालातों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यहां तक कि बंदर अब्बास टॉवर की तरफ से इससे पहले कई वॉर्निंग्स जारी की गई थीं। यूएसएस विन्सेनेस पर मौजूद कैप्टन को इस बात की जानकारी दी गई थी कि एक अनजान एयरक्राफ्ट को रडार पर देखा गया है लेकिन उसकी तरफ से कॉल का जवाब नहीं दिया जा रहा है। उसे भी गलत बताया गया कि यह फाइटर जेट एफ-14 है।
कैप्टन को लगा कि एक अज्ञात एयरक्राफ्ट जो मेवरिक मिसाइलों से लैस था, वह जहाज की तरफ बढ़ रहा है। कैप्टन के पास बस पांच मिनट का समय था और उसे तय करना था कि उसकी वॉरशिप खतरे में है या नहीं। दुविधा में फंसे कैप्टन ने फायर का ऑर्डर दे दिया। टेक ऑफ करने के बस सात मिनट के अंदर ही ईरान का यह जहाज निशाना बन गया था। अमेरिकी मिलिट्री ने इसे बाद में एक दुखद हादसा करार दिया था।