Rajasthan political crisis: 2020 से ही अशोक गहलोत लगातार सचिन पायलट को लेकर बेहद तल्ख बयान देते रहे हैं। इसके जवाब में सचिन पायलट कभी भी मीडिया में आकर उनके खिलाफ कोई भी कटु शब्द नहीं कहते हैं। मौजूदा राजनीतिक संकट में भी अशोक गहलोत के समर्थित विधायक खेला कर रहे हैं, लेकिन पायलट गुट बेहद शांत है।
जयपुर: कांग्रेस की राजस्थान इकाई में खुली बगावत से नाराज पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पार्टी के पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से रिपोर्ट मांगी है। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ नेताओं के खिलाफ अनुशासनहीनता के आरोप में कार्रवाई किये जाने की संभावना है। खड़गे और माकन को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर में पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था। जयपुर से दिल्ली रवाना होने से पहले अजय माकन ने जिस तरह का बयान दिया है उससे साफ हो गया है कि अशोक गहलोत किसी भी तरह से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी से रोकना चाहते हैं। ऐसे में अशोक गहलोत का 2020 के वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें उन्होंने सचिन पायलट को निकम्मा और नकारा तक कह दिया था।
2020 में क्या कहा था अशोक गहलोत ने
सचिन पायलट के अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले जाने पर सीएम अशोक गहलोत ने बेहद तीखे शब्दों में उनपर हमले किए थे। गहलोत ने पायलट को मासूम चेहरे वाला व्यक्ति, हिंदी-अंग्रेजी पर अच्छी कमांड रखने वाला और देशभर के मीडिया को इम्प्रेस करके रखने वाला नेता बताया बताया था।। साथ ही कहा था कि वह निक्कमे और नकारा हैं। हम जानते थे कि वे कुछ नहीं कर रहे, खाली लोगों को लड़वा रहे हैं। लेकिन मैं भी यहां बैंगने बेचने, सब्जी बेचने नहीं आया हूं। मुख्यमंत्री बनाया गया हूं।
गहलोत ने पायलट के लिए कहा था, ‘जो नई पीढ़ी आई है, उसकी ढंग से रगड़ाई नहीं हो पाई। अगर इनकी ढंग से रगड़ाई हुई होती, तो ये और अच्छे से काम करते, बल्कि हमसे अच्छा काम कर ले जाते। अच्छी अंग्रेजी बोलने और हैंडसम पर्सनैलिटी से भी कुछ नहीं होता।’ गहलोत यहीं नहीं रुके और कहा था- ‘पायलट 6 महीने से बीजेपी में जाने की तैयारी कर रहे थे। 11 जून को पार्टी तोड़ने वाले थे। पायलट को बहुत सहा, इस उम्र में उनकी इतनी महत्वाकांक्षा ठीक नहीं। अगर टेप फर्जी निकला, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।’
निकम्मा, नकारा के जवाब में पायलट ने दिखाया धैर्य
अशोक गहलोत के इतने निकम्मा और नकारा जैसे तीखे वार के बाद भी सचिन पायलट चुप रहे। मामला सामन्य होने पर उन्होंने कहा, ‘कुछ दिेन पहले दिल्ली में कार्यक्रम हो रहा था, वहां पर कांग्रेस पार्टी के हमारे पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मन से मेरे धैर्य की प्रशंसा की थी, अब अगर मेरे धैर्य को राहुल गांधी जैसे नेता तारीफ करते हैं या पसंद करते हैं तो मुझे लगता है कि इसको किसी भी उनके (अशोक गहलोत) के बयान से अनावश्यक रूप से परेशान नहीं होना चाहिए। इसको अच्छे रूप में लेना चाहिए।’ पायलट ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने मेरे बारे में कई बार कई तरह की बातें कीं। मुझे नकारा निकम्मा जैसी बहुत सारी बातें कह दी थीं। अशोक गहलोत जी अनुभवी और बुजुर्ग हैं और पिता तुल्य हैं। इसलिए वह कभी कुछ बोल देते हैं तो मैं उन्हें अतिरिक्त रूप में नहीं लेता हूं।
पायलट के धैर्य से बन रही उनकी अलग छवि
2018 में राजस्थान में सरकार बनने से लेकर अब तक अशोक गहलोत लगातार सचिन पायलट पर आक्रामक रहे हैं। लेकिन पायलट लगातार मीडिया में गहलोत को लेकर संयमित शब्दों का प्रयोग करते रहे हैं। पायलट बिल्कुल धैर्य के साथ कांग्रेस आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाते रहे हैं। वह मीडिया में आकर गहलोत को निशान बनाने से बचते रहे हैं। वहीं इसके उलट कई मौकों पर गहलोत सीधे सीधे पायलट को निशाना बनाते रहे हैं। पायलट के धैर्य के चलते ना केवल मीडिया बल्कि आम लोगों के बीच भी उनकी एक अलग पहचान बनती दिखती है।
पायलट से दुश्मनी में आलाकमान के आदेश को भी किनारे लगाने मूड में गहलोत
अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की अटकलों के बीच एक बार फिर से उनका सचिन पायलट के प्रति दुश्मनी खुलकर सामने आ गई है। वह किसी भी सूरत में पायल को राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने नहीं देना चाहते हैं।
अशोक गहलोत के वफादारों ने रविवार शाम को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा पत्र सौंप दिया था और मुख्यमंत्री के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व पर गहलोत खेमे से किसी को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने के लिए दबाव बनाया था। वफादार विधायकों ने संकेत दिया कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट की नियुक्ति के खिलाफ थे, जिन्होंने 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया था। गहलोत के वफादार धारीवाल ने सोमवार को राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी माकन पर गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश में शामिल होने तथा पायलट के लिए पैरवी करने का आरोप लगाया।
गहलोत और पायलट दोनों सोमवार को जयपुर में थे। पायलट ने अपने समर्थकों से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने रविवार के घटनाक्रम पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से परहेज किया। गहलोत ने नवरात्रि पूजा की। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी राजस्थान के घटनाक्रम से कथित तौर पर नाराज हैं क्योंकि गहलोत को शीर्ष पद के लिए उनके उत्तराधिकारी के रूप में माना जा रहा था।
सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने दोनों पर्यवेक्षकों से कहा कि जयपुर के घटनाक्रम में उनका हाथ नहीं है और इसमें शामिल विधायक उनकी बात नहीं सुन रहे थे। इस बीच, राजस्थान इकाई का संकट दूर करने के लिए पार्टी नेतृत्व प्रयास कर रहा है और इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ गहन मंत्रणा की। माना जा रहा है कि कमलनाथ के गहलोत से अच्छे रिश्ते हैं और वह संकट को सुलझाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। राजस्थान के इस पूरे घटनाक्रम से गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना कम हो गई है। अब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, खड़गे, कुमारी सैलजा और कुछ अन्य नामों को लेकर अटकले जारी हैं।