सिगरेट पीने वाले उसका बचा हुआ टुकड़ा यानी Ciggarette Butt यूं ही फेंक देते हैं. ऐश ट्रे रखे होने के बावजूद कुछ लोगों को सिगरेट का टुकड़ा ज़मीन पर फेंक कर मसलने में मज़ा आता है. कई बार पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी सिगरेट पीने वालों को इस आदत पर आगाह किया है. दरअसल पक्षी कई बार सिगरेट के टुकड़े निगल लेती हैं और ये टुकड़ा उनके गले में फंसने से उनकी मौत हो जाती है.
मोहाली, पंजाब के ट्विंकल कुमार ने सिगरेट के फेंके हुए टुकड़ों का हल निकाल लिया. वो इन्हें खिलौने, कुशन और मच्छर मारने की दवाई में बदल रहे हैं.
ANI की रिपोर्ट के अनुसार ट्विंकल ने कोविड-19 लॉकडाउन में अपनी नौकरी गंवा दी. घर से काम करने के लिए उन्होंने YouTube वीडियोज़ देखना शुरू किया.
“मुझे सिगरेट रिसाइक्लिंग के बारे में पता चला. सिगरेट के बचे टुकड़े रिसाइकल करने वाली कंपनी से बात की और रिसाइकल करने की प्रक्रिया सीखी. इसके बाद मैंने मोहाली में अपना बिज़नेस शुरू किया.”
ट्विंकल कुमार की कंपनी ने सिगरेट के फेंके टुकड़े जमा करने के लिए सार्वजनिक जगहों पर डब्बे लगाए हैं.
सिगरेट के टुकड़े पर्यावरण से साफ़ करने के साथ ही ट्विंकल कुमार की कंपनी स्थानीय महिलाओं को रोज़गार भी दे रही है. ये महिलाएं सिगरेट के टुकड़े इकट्ठा करने, उन्हें प्रोसेस करने का काम करती हैं. “शुरुआत में लोग थोड़े असहज थे लेकिन लोगों का बढ़िया रेस्पॉन्स मिला. हम पूरे शहर में पब्लिक प्लेसेज़ पर बने स्मोकिंग ज़ोन्स में कलेक्शन डब्बे लगा रहे हैं. इसके बाद हमें उन्हें प्रोसेस करते हैं, सिगरेट के टुकड़ों को केमिकली साफ़ करते हैं और उनमें से ज़हरीला पदार्थ हटाते हैं. इसके बाद उनका इस्तेमाल खिलौने, कुशन, मच्छर मारने वाली दवाई बनाने में किया जाता है.”
सिगरेट बट्स (Cigarette Butts) या सिगरेट का फेंका जाने वाला टुकड़ा Cellulose Acetate से बनाया जाता है. इसे नष्ट होने में 10 साल तक का समय लग सकता है. पर्यावरण में इनसे न सिर्फ़ प्लास्टिक प्रदूषण फैलता है बल्कि निकोटीन और अन्य केमिकल्स भी फैलते हैं. ट्विंकल कुमार का कहना था कि लोगों को वैसे तो सिगरेट पीनी ही नहीं चाहिए, अगर कोई पी भी रहा है तो उसका बचा टुकड़ा कलेक्शन डब्बों में ही फेंके.
पर्यावरण को बचाने के साथ ही दूसरों को रोज़गार भी दे रहे हैं ट्विंकल कुमार. उनके काम की भरपूर तारीफ़ होनी चाहिए.