आरएसएस के वरिष्ठ नेता डॉ. इंद्रेश कुमार ने आजादी की लड़ाई से लेकर मुसलमानों के प्रति संघ के नजरिये पर विस्तृत रूप से बातचीत की। उन्होंने कहा कि संघ के मुस्लिम समुदाय के साथ लगातार संवाद से वोट बैंक की राजनीति करने वाले चिंतित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को संघ के प्रति बरगलाया गया है।
नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम आते ही हिंदू विचारधारा, हिंदुत्व की छवि उभरती है। इसके साथ ही संघ के प्रति मुसलमानों से जुड़ी धारणाओं का भी जिक्र होता है। देश की मौजूदा स्थिति, आजादी की लड़ाई में संघ का योगदान, देश के मुस्लिमों के प्रति संघ के रवैये को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार ने वरिष्ठ पत्रकार नरेश तनेजा से विशेष बातचीत की। इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस और मुसलमानों के मन में तमाम तरह की गलतफहमियों, अटकलों और कयास से और विरोध के सवाल पर आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि कांग्रेस देश के विभाजन के लिए कसूरवार है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि अंग्रेजों से वार्ता के लिए नेताजी सुभाष चंद्रबोस और महर्षि अरविंद जैसे नेताओं को चुना होता तो देश का कभी विभाजन नहीं होता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्नाह को चुना। इसका दुष्परिणाम भारत का क्रूरतापूर्ण विभाजन था। इंद्रेश ने विभाजन की बाद की त्रासदी और दर्द का जिक्र किया।
संघ पर मुकदमा कोर्ट में नहीं टिक सका
संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद उसका आरोप संघ पर लगाकर उस पर बैन कर दिया। इसके बाद अमानवीय और अलोकतांत्रिक व्यवहार संघ के स्वयंसेवकों पर किए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मुकदमा एक दिन भी नहीं चला। इंद्रेश कुमार ने कहा कि डेढ़ साल के प्रतिबंध के बाद संघ निर्दोष होकर बाहर आया। उन्होंने कहा कि इसके बाद से कांग्रेस ने झूठ बोलना शुरू किया और अभी भी झूठ बोलती है। आजादी के बाद कांग्रेस को यह लगने लगा था कि इस विभाजन के कसूर के कारण देश की जनता कांग्रेस के नकार देगी। देश की स्वराज की तरफ तेज गति से बढ़ेगा। इसलिए वह आजादी की कोशिशों की कीमत भुनाना चाहते थे।
आजादी के आंदोलन में शामिल रहा संघ
डॉ. इंद्रेश ने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार अवज्ञा आंदोलन, जंगल सत्याग्रह में जेल भी गए। स्वयंसेवक स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित भी रहा। कांग्रेस अच्छी तरह से जानते थे कि संघ आने वाले समय के अंदर नए राजनीतिक समीकरण को जन्म देगा। इसलिए उन्होंने संघ को बदनाम करने और कुचलने के लिए आंतरिक और विदेशी विचार पर खेलने वाली ताकतों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा। इसके बाद इस तरह के आरोप लगाते-लगाते उन्होंने मुसलमान वोट बैंक और मॉइनोरोटी के यह मन में यह भय पैदा करने की कोशिश की संघ तुम्हें खा जाएगा और हम ही कांग्रेस के लोग उन्हें बचा सकते हैं। इस तरह से मुसलमानों को राजनीतिक बंधुआ बनाने का षड्यंत्र रचा। इस तरह से संघ पर बैन लगाकर राष्ट्रीयता को बदनाम करने का भी काम किया। यह स्पष्ट दिखाई देता है, इसलिए षड्यंत्र और राजनीति अपराध किया।
सभी धर्मों को जगह दी, सम्मान दिया
संघ के प्रो हिंदू माइंडसेट के सवाल पर डॉ. इंद्रेश ने कहा कि जो यह कहते हैं हम हिंदू समर्थन हैं या किसी के विरुद्ध है, कुख्यात थ्योरी है। उन्होंने कहा कि हिंद, हिंदू और हिंदुत्व इस बात की विशेषता रखते हैं कि विश्व में भारत में जितने भी मत, पंथ जन्में हैं, अगर किसी धरती ने स्वीकार किया, किसी समाज और विचारधारा ने समान दिया है वह हिंद, हिंदू और हिंदुत्व ही था। डॉ. इंद्रेश ने कहा कि भारत में जब बाइबिल आई, कुरआन आया तब भी भारत ने इन्हें सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों को यह मालूम है। डॉ. इंद्रेश ने सवाल उठाया कि दुनिया के इसाई और इस्लामी देशों ने अपने यहां हिंदू, सिख या अन्य धर्मों को जगह दी, उनको लागू होने दिया, नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश के राजा-महाराजा और जनता ने इन सब लोगों को स्वीकार किया और सम्मान दिया।
15 साल में लाखों मुस्लिमों से हुआ संवाद
डॉ. इंद्रेश ने कहा कि दुनिया के देश यह जानते हैं कि हिंद, हिंदू और हिंदुत्व ना फोबिया है और ना सांप्रदायिकता, ना यह कट्टरता और ना ही यह किसी पर आक्रमण है। उन्होंने कहा कि हिंदू समर्थन होना किसी का विरोध है तो ऐसा सोचने वालों के मन में विकार और उन लोगों को यह दूर कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जानबूझकर भ्रम पैदा किया गया है। डॉ. इंद्रेश ने कांग्रेस पर आतंकवाद को धर्म से जोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आतंकवाद को भगवा से जोड़ दिया। मुसलमानों के मन में हिंदुत्व को लेकर आरएसएस से दूरी के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये उनकी नासमझी है। उन्होंने कहा कि 15 सालों के दौरान लाखों मुसलमानों से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक गोवा, गुजरात से लेकर असम, मणिपुर तक संवाद हुआ है। यह बात भारत और विश्व अच्छी तरह जानता है।
कट्टरपंथी नेताओं ने मुसलमानों को बरगलाया
मुसलमानों से संवाद की वजह का जिक्र करते हुए डॉ. इंद्रेश ने कहा कि 20-25 साल पहले सुदर्शन जी के पास मुसलमानों के पत्र पर पत्र आते थे। पत्र में राजनेताओं के भाषण का मजहबी कट्टरपंथी नेताओं के भाषण से और मीडिया में उसकी गलत तरीके से व्याख्या होने की वजह से मुसलमानों के भ्रमित होने की बात कही जाती थी। वो चाहते थे कि आरएसएस के साथ सीधी बातचीत करना चाहते हैं। वे हिंदू और हिंदुत्व को जानने के लिए करना चाहते थे। इसलिए 20-25 सालों में यह प्रवाह निरंतर बढ़ता आ रहा है। इसके कारण वोट बैंक की राजनीति करने वाले चिंतित हैं। इसका परिणाम तेज गति से दिखाई देने लगा है। मुझे नहीं लगता है कि वह कभी समझने के लिए आगे बढ़े। मजहबी नेताओं ने उन्हें समझने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 8 वर्ष हो गए देश की सत्ता में आरोप लगते थे।