जब दुर्योधन बनने की वजह से शर्मसार हुए पुनीत इस्सर, दावत में बुलाकर भी नहीं परोसा गया खाना

पुनीत इस्सर और महाभारत का एक दृश्य

रामानंद सागर की रामायण की तरह ही बीआर चोपड़ा की महाभारत को भी लोगों ने बहुत पसंद किया था। उस समय लोगों को यह समझ नहीं आता था कि महाभारत में कृष्ण का किरदार निभाने वाले नीतीश भारद्वाज से द्रौपदी बनीं रूपा गांगुली और भीष्म बने मुकेश खन्ना तक हर कोई एक किरदार निभा रहा है। वह तो सच में उन्हें भगवान मानने लगे थे। वह नीतीश भारद्वाज को कृष्ण की तरह पूजते थे तो दुर्योधन का किरदार निभाने वाले पुनीत इस्सर से नफरत करते थे। मीडिया से बातचीत के दौरान पुनीत ने ऐसे कई किस्सा बताए जब उन्हें रियल लाइफ में लोगों की नफरत का शिकार होना पड़ा था। आज पुनीत इस्सर के जन्मदिन के मौके पर आई जानते है इन किस्सों के बारे में…
बीआर चोपड़ा की महाभारत का एक सीन

द्रौपदी को समझाया

पुनीत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दुर्योधन के किरदार के बाद सब मुझे रियल लाइफ में भी दुष्ट दुर्योधन कहा करते थे। एक बार हम जयपुर में शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान जयपुर के एक उद्योगपति ने महाभारत की पूरी टीम को खाने पर बुलाया। दावत के दौरान मैं, रूपा गांगुली (द्रौपदी) के बगल में बैठा था और बातें कर रहा था। तभी एक महिला आई और रूपा को वहां से ले गई। जब रूपा गांगुली कुछ देर बाद वापस लौटी तो वह मेरे बगल में नहीं बल्कि पांडवों के साथ बैठ गई। मैंने पूछा क्या हुआ? तो रूपा ने कोई जवाब नहीं दिया। बाद में उन्हें पता चला कि महिलाओं ने कहा कि तुम द्रौपदी हो तुम्हें दुष्ट दुर्योधन के साथ नहीं बैठना चाहिए।’
पुनीत इस्सर (दुर्योधन)

खाना तक नहीं दिया

पुनीत इस्सर ने एक किस्सा साझा करते हुए मीडिया को बताया था कि महाभारत के समय में एक मारवाड़ी उद्योगपति ने उन्हें, अर्जुन और द्रौपदी बनीं रूपा गांगुली को दावत पर बुलाया था। लेकिन दावत पर बुलाने के बावजूद उन्होंने खाना नहीं दिया और पूछने लगा तुमने पांडवों पर इतने जुल्म क्यों किए।
गोरखपुर में अभिनेता व निर्देशक पुनीत इस्सर।

जब लोग करने लगे थे नफरत

पुनीत इस्सर कई बार मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान बता चुके हैं कि लोग उन्हें दुर्योधन समझकर असल जिंदगी में भी नफरत करने लगे थे। एक किस्सा सुनाते हुए पुनीत इस्सर ने बताया था कि एक बार कुछ महिलाएं शूटिंग देखने सेट पर पहुंचीं थी। जब उन्होंने मुझे देखा तो गुस्से में कहने लगी, ‘आपको पांडवों को 5 गांव दे देने चाहिए’।