उरुग्वे की वायुसेना (Uruguayan Air Force) की एक फ्लाइट सन् 1972 में क्रैश हो गई थी। यह हादसा बहुत ज्यादा दर्दनाक था। यह इतना दर्दनाक था कि इसमें लोगों के बचने के चांस न के बराबर थे। जो लोग बचे भी उन्हें अपने ही साथियों की लाश खानी पड़ गई थी।
सैन डियागो: अक्सर आपने किसी एडवेंचर फिल्म या फिर किसी जॉम्बी फिल्म में देखा होगा कि लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने साथ वालों को मारकर खा जाते हैं। लेकिन अगर हम आपको बतायें कि हकीकत में ऐसा हो चुका है तो। जी हां 13 अक्टूबर 1972 को एक ऐसी घटना हुई थी जिसमें कुछ लोगों को जिंदा रहने के लिए अपने ही साथियों को मारकर खाना पड़ गया था। इस घटना को आज भी एंडीज प्लेन क्रैश के नाम से जानते हैं। यह विमान हादसा दुनिया का सबसे डरावना हादसा था जिसे यादकर लोग 50 साल बाद भी सिहर जाते हैं। उस प्लेन क्रैश में बचे हुए लोगों ने कहा था कि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है कि खुद को जिंदा रहने के लिए अपने ही साथियों को खाना पड़ गया था।
38000 फीट से नीचे गिरा प्लेन
आज से 50 साल पहले उरुग्वे एयरफोर्स की फ्लाइट 571 एक रग्बी टीम, उनके दोस्तों और करीबी परिवार वालों को लेकर चिली के लिए रवाना हुई थी। एंडीज पर्वत के बीच में जब यह विमान आया तो क्रैश हो गया। खराब मौसम की वजह से विमान 38 हजार फीट की ऊंचाई से प्लेन नीचे गिरा था। इस क्रैश में 29 यात्रियों की मौत हो गई थी तो वहीं 13 लोग हिमस्खलन में मारे गए थे। ये 13 लोग प्लेन क्रैश में बच गए थे लेकिन फंसे होने की वजह से मारे गए। 72 दिनों तक बचे हुए लोगों की तलाश की गई थी। आज भी जब किसी प्रेरणादायक कहानी का जिक्र होता है तो इस घटना को जरूर याद किया जाता है। -72 डिग्री के तापमान में लोग अपनी जान बचा रहे थे।
खाने-पीने की चीजों का बंटवारा
खाने-पीने की जो भी चीजे थीं उसे पहले आपस में बांट लिया गया। क्रैश हुए प्लेन के एक टुकड़े पर बर्फ को पिघलाया जाता ताकि पीने के पानी का इंतजाम हो सके। प्लेन क्रैश के 10 दिन बाद एक सर्च टीम को भेजा गया लेकिन खराब मौसम की वजह से उसे भी वापस बुला लिया गया। यहां से शुरू हुई अपनी जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद जिसमें मरे हुए इंसान के टुकड़े कर के खाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।
हाल ही में इस घटना के 50 साल पूरे हुए हैं और इस मौके पर एक सर्वावइवर कार्लोस पाएज ने बताया है वह चाहते हैं कि इस घटना के बारे में सबको पता चले। बचे हुए लोगो ने जान बचाने के लिए खाने की चीज़ों को छोटे छोटे हिस्सों में बाट लिया ताकि वो ज्यादा दिन तक चल सके।
कैसे बची जान
खाने-पीने का सामान जब खत्म हो गया तो किसी को कोई और रास्ता नहीं नजर आ रहा था। तब इन्होंने तय किया कि ये अपने ही साथियों की लाश को खायेंगे। डॉक्टर रॉबर्ट कानेसा जो अब 70 साल के हैं उन्हें जिंदा रहने के लिये अपने दोस्त का मांस खाने को मजबूर होना पड़ा था। क्रैश के 60 दिन हो चुके थे और बचने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। तब दो खिलाड़ियों नैन्डो पैरेडो और कानेसा ने फैसला किया कि वो खुद मदद की तलाश के लिए जायेंगे।
रिलीज हुई थी एक फिल्म
60 दिन बाद दोनों ने ट्रेकिंग शुरू की और ये एंडीज पहाड़ को पार करके चिली के घनी आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच गए। यहां पर मौजूद रेस्क्यू टीम को दोनों ने अपने साथियों की लोकेशन के बारे में बताया। आखिर में 23 दिसंबर 1972 को 16 लोगों को बचाया जा सका था। इस पूरी घटना पर साल 1993 में एक फिल्म अलाइव भी रिलीज हुई थी।