भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप कहा कि गत जनवरी माह में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फिरोजपुर दौरे में हुई सुरक्षा चूक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक स्वाभाविक नहीं, बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा थी.
एक प्रोटोकॉल के तहत जिस राज्य में प्रधानमंत्री जाते हैं, वहां के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मौके पर उपस्थित रहते हैं. किन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब पंजाब पहुंचे, तब राज्य सरकार के ये तीनों प्रमुख अनुपस्थित रहे.
आखिर इसके पीछे क्या वजह थी ? यह किसका षडयंत्र था? मौसम खराब होने के बाद जब एसपीजी ने डीजीपी से वैकल्पिक रुट की सुरक्षा की जानकारी ली, तब डीजीपी ने कहा था कि वैकल्पिक रूट पूरी तरह सुरक्षित और सैनिटाइज्ड है.
राज्य प्रशासन से इस आश्वासन के बाद एसपीजी ने वैकल्पिक रुट पर जाने का निर्णय लिया. तब भी मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी प्रधानमंत्री के साथ नहीं गए. उनकी गाड़ियां प्रधानमंत्री के काफिले में थी, किन्तु वे नहीं थे.
यह सवाल बार-बार उठा है और उठता रहेगा कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों पैदा की गई? महत्वपूर्ण लोग घटना स्थल से गायब क्यों थे? प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के रूट के बारे में जानकारी किसने दी? अगर यह सुरक्षित और सैनिटाइज्ड रुट था. तो आंदोलनकारी वहां तक पहुंचे कैसे?
एसएसपी फोन पर किससे बार बार बात कर रहे थे? किससे निर्देश ले रहे थे? पंजाब के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने बहाना बनाया कि उन्हें कोविड है, किन्तु उक्त घटना के चन्द घंटे बाद बगैर मास्क लगाए वे लोगों से मिलते नजर आए और उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस भी की.
कश्यप ने कहा प्रधानमंत्री को जब चुनाव में न घेर पाओ, संसद में सवालों से न घेर पाओ, तो सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करो. सवाल यह उठता है कि नौकरशाह और पुलिस अधिकारी किसके इशारे पर यह खेल खेल रहे थे और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे थे? किसके कहने पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के बाद लीपापोती करते रहे?