नोबेल शांति पुरस्‍कार की दौड़ में जब आ गया है जुबैर का नाम तो महात्‍मा गांधी को क्‍यों नहीं मिला सम्‍मान?

नोबेल शांति पुरस्‍कार की रेस में इस बार ऑल्‍ट न्‍यूज के संस्‍थापक प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर भी हैं। यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्‍मान माना जाता है। आज इसका ऐलान होगा। देश के राष्‍ट्रपिता और शांति के दूत महात्‍मा गांधी को कई बार इस पुरस्‍कार के लिए नॉमिनेट किया गया। लेकिन, यह सम्‍मान उन्‍हें नहीं दिया गया।Mahatma Gandhi

नई दिल्‍ली:नोबेल शांति पुरस्‍कार 2022 (Nobel Peace Prize) का आज ऐलान होगा। यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्‍मान माना जाता है। दौड़ में ऑल्‍ट न्‍यूज के संस्‍थापक प्रतीक सिन्‍हा (Prateek Sinha) और मोहम्‍मद जुबैर (Mohammad Zubair) भी शामिल हैं। मोहम्‍मद जुबैर वही हैं जिन्‍हें हाल में धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए गिरफ्तार किया गया था। नोबेल पुरस्‍कार 1901 से दिया जा रहा है। इसके संस्‍थापक अलफ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) थे। उनके निधन के पांच साल बाद से यह सम्‍मान दिया जाने लगा था। अब जब जुबैर का नाम इस पुरस्‍कार की रेस में आ गया है तो एक सवाल उठना लाजिमी है। वह यह है कि पिछली सदी में शांति और अहिंसा के सबसे बड़े दूत महात्‍मा गांधी (Mahatma Gandhi) को भला यह पुरस्‍कार क्‍यों नहीं मिला। यह पुरस्‍कार देने वाली सम‍िति पर ही बड़ा सवाल है। क्‍या नॉर्वे की जो 5 सदस्‍यीय समिति इसके लिए नामों को चुनती है, उसका नजरिया इतना संकीर्ण होता है? क्‍या समिति गैर-यूरोपीय देशों के लोगों के संघर्ष को नजरअंदाज करती है? क्‍या वह अपने देश और ब्रिटेन के बीच रिश्‍तों को देखते हुए सारे समीकरण साधती है?

कई बार नॉमिनेट हुए गांधी पर नहीं मिला सम्‍मान

गांधी जी का नोबेल के लिए नॉमिनेशन कई बार हुआ। हालांकि, सम्‍मान कभी नहीं मिला। उन्‍हें 1937, 1938 और 1939 में नॉमिनेट किया गया। पहली बार उनके नॉमिनेशन में नोबेल कमिटी के एडवाइजर प्रोफेसर जेकब वॉर्म-मुलर ने अड़ंगा डाला था। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट में गांधी को अच्‍छा, सज्‍जन और तपस्‍वी करार दिया था। लेकिन, साथ ही नीतियों में तेजी से बदलाव वाला भी बताया था। उनका कहना था क‍ि इसके चलते वह विरोधाभास पैदा करते हैं। वह स्‍वतंत्रता सेनानी के साथ तानाशाह दिखते हैं तो आदर्शवादी के साथ राष्‍ट्रवादी भी। मुलर ने आलोचकों का हवाला देते हुए कहा था कि दक्षिण अफ्रीका में गांधी का संघर्ष भी सिर्फ भारतीयों के लिए ही था अश्‍वेतों के लिए नहीं।

1947 में गांधी जी को फिर नॉमिनेट किया गया। इस बार बीजी खेर, जीवी मवलंकर और जीबी पंत ने उन्‍हें नॉमिनेट किया। हालांकि, तब कमिटी बंट गई। कमिटी के दो सदस्‍य गांधी जी के नाम के पक्ष में थे। हालांकि, तीन सदस्‍य इसके विरोध में थे। पार्टिशन और दंगों के बीच वो गांधी को सम्‍मानित करने के इच्‍छुक नहीं थे।

क्‍या मरणोपरांत नहीं दिया जा सकता था सम्‍मान?

1948 में नोबेल शांति पुरस्‍कार का नॉमिनेशन गांधी जी की हत्‍या के दो दिन पहले बंद हुआ था। फाउंडेशन कुछ खास परिस्थितियों में मरणोपरांत भी सम्‍मान देती है। लेकिन, गांधी जी किसी संगठन से नहीं जुड़े थे। साथ ही वह अपने पीछे कोई वसीयत नहीं छोड़ गए थे। ऐसे में यह पता करना मुश्किल था कि प्राइज मनी किसी दी जाए। इस बारे में तब कमिटी के लॉयर ओले टॉरलीफ ने पुरस्‍कार देने वाले संस्‍थान से राय मांगी थी। उन्हें सलाह दी गई थी कि मरणोपरांत पुरस्‍कार न दिया जाए।

1960 तक नोबेल शांति पुरस्‍कार यूरोपीय और अमेरिकियों को दिए जाते रहे। गांधी जी कई मामलों में थोड़ा अलग थे। न तो वह राजनेता थे न ही अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के समर्थक। वह न तो रिलीफ वर्कर थे न ही आयोजक। 1947 में कमिटी के ज्‍यादातर सदस्‍यों ने गांधी जी को संदेह के साथ देखा। उनको लेकर अलग तरह की धारणा बनाई गई।

किन क्षेत्रों में मिलता है नोबेल?

नोबेल पुरस्‍कार शांति के साथ विज्ञान और अर्थशास्‍त्र के क्षेत्र में दिया जाता है। विजेता चुनने के लिए नॉर्वे की संसद पांच सदस्यों की समिति नियुक्त करती है। नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो, नॉर्वे में दिया जाता है। दूसरी तरफ फिजिक्स, केमिस्ट्री, चिकित्सा, साहित्य, अर्थशास्‍त्र में पुरस्‍कार स्टॉकहोम, स्वीडन में दिए जाते हैं।

कितनी होगी प्राइज मनी?
2022 के नोबेल प्राइज विनर्स को करीब 8,00,000 पाउंड मिलेंगे। भारत के प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर के अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की, यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्‍नर फॉर रेफ्यूजी फिलिपो ग्रैंडी, विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन की स्‍वेतलाना भी रेस में हैं।

वो भारतीय जिन्‍हें मिल चुका नोबेल सम्‍मान

नाम

क्षेत्र

अभिजीत बनर्जी

अर्थशास्‍त्र

कैलाश सत्‍यार्थी

शांति

वेंकटरमन रामकृष्‍णन

केमिस्‍ट्री

अमर्त्‍य सेन

अर्थशास्‍त्र

एस चंद्रशेखर

फिजिक्‍स

मदर टेरेसा

शांति

हरगोबिंद खुराना

मेडिसिन

सीवी रमन

फिजिक्‍स

रविंद्रनाथ टैगोर

साहित्‍य