मगर क्या आपको पता है कि ये सिंपल और सुपरहिट फ़ूड आइटम अस्तित्व में कैसे आया है. इसके अस्तित्व में आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इन अमर गोल-गप्पों की कहानी महाभारत काल और मगध शासन से जुड़ी हुई है.
हमारे देश के हर राज्य, शहर और गली-कूचे में अलग-अलग नाम से गोल-गप्पे आसानी से मिल जाते हैं. बच्चा-बूढ़ा और जवान, सब चटकारे मारकर इसे खूब खाते हैं. मगर क्या आपको पता है कि ये सिंपल और सुपरहिट फ़ूड आइटम अस्तित्व में कैसे आया है. इसके अस्तित्व में आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इन अमर गोल-गप्पों की कहानी महाभारत काल और मगध शासन से जुड़ी हुई है. आइये चलते है गोल-गप्पे के मज़ेदार सफ़र पर:
मगध काल में विकसित हुआ गोल गप्पा
गोल-गप्पे अलग-अलग जगह कई नामों से जाने जाते हैं. पानीपूरी, फुल्की, पुचका. पानी के बताशे भी मशहूर नामों में से एक है. इसकी उत्पत्ति को लेकर एक कहानी है कि यह सबसे पहले मगध साम्राज्य में आया था. मगर इसके आविष्कारक का नाम इतिहास के पन्नों में ही कहीं गुम हो गया. कहा जाता है कि यह पहली बार मगध में उत्पन्न हुआ जब क्षेत्र की कई पारंपरिक विशिष्टताएं, जैसे चिटबा, पिट्ठो, तिलबा और कटारनी चावल का चबा विकसित हो रही थीं.
महाभारत की द्रौपदी की स्मार्टनेस की देन है
गोलगप्पे के अस्तित्व के आने में आने की एक प्रचलित कहानी धार्मिक ग्रन्थ महभारत में भी है. माना जाता है कि जब नयी-नवेली दुल्हन बनकर द्रौपदी अपने नए घर आई, तब उनकी सास यानी कुंती ने उन्हें एक टास्क दिया. उस समय पांडव बाहर गए हुए थे, कुंती ये परखना चाहती थी कि क्या उनकी बहु कम संसाधन में भी मैनेज कर सकती है.
इसके लिए उन्होंने द्रौपदी को कुछ बची हुए आलू की सब्जी दी और पूरी बनाने के लिए बहुत सीमित आटा दिया. इसके बाद कहा कि वो इसी से खाना बनाकर उनके पांचों बेटे की भूख शांत करें. अब इतने से आटे में ये कैसा होता, लिहाज़ा यहां द्रौपदी ने अपनी बुद्धिमानी का इस्तेमाल किया. उन्होंने पानी पूरी का आविष्कार किया. द्रौपदी के इस तरीके से कुंती बहुत खुश हुईं. उन्होंने न सिर्फ अपनी बहु की तारीफ की, बल्कि इस नायब डिश को भी आशीर्वाद दिया. उन्होंने इस डिश को अमर रहने का वरदान दिया.
पानीपूरी के अनेकों रूप
अब भले ही गोल-गप्पे के जन्म को लेकर बहुत दुविधाएं हैं. इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन ये डिश सदियों से अमर ज़रूर है. देश के हर हिस्से में अलग नामों से मशहूर इस डिश को लोगों ने अपना फ्लेवर देकर अपनाया है. हर राज्य की पानीपूरी दूसरे राज्य की पानीपूरी से अलग होगी. सबकी रेसेपीज में थोड़ा बहुत अंतर देखने को मिल ही जाएगा. उदाहरण के लिए महाराष्ट्र की पानीपूरी में रगड़ा जोड़ दिया जाता है, तो गुजरात में मिसे हुए आलू और कर्नाटक में उबली हुई मूंग और प्याज.
दिलचस्प बात है कि पश्चिम बंगाल में पानीपूरी को पुचका नाम से जाना जाता है क्योंकि इसे खाने के दौरान ‘पुच’ करके आवाज़ आती है. उत्तर भारत में ज्यादातर सफ़ेद मटर और आलू को भरकर स्वाद लिया जाता है.
इतनी कहानी सुनकर आपके मुंह में पानी ज़रूर आ गया होगा, तो देर किस बात की जाइए और एक प्लेट पानीपूरी लगवाइए.