मंगलवार को अमेरिका की सिएटल सिटी काउंसिल ने अपने शहर के भेदभाव विरोधी क़ानून में जाति को भी शामिल कर लिया. काउंसिल में मंगलवार को प्रस्ताव पर वोटिंग हुई जिसके बाद सिएटल अमेरिका का पहला ऐसा शहर बन गया जहां जातिगत भेदभाव गैरकानूनी हो गया है. हालांकि जातिगत भेदभाव के खिलाफ कानून बनने के बाद इसका विरोध भी शुरू हो गया.
फैसले को क्यों बताया जा रहा है हिन्दू विरोधी?
मंगलवार को सिएटल की सिटी काउंसिल में प्रतिनिधि क्षमा सावंत ने इस प्रस्ताव को पेश किया. वोटिंग के बाद 6-1 से इस कानून के पास होने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया. विरोध करने वालों का आरोप है कि इस प्रस्ताव का मक़सद दक्षिण एशिया के लोगों, ख़ास कर भारतीय अमेरिकियों को निशाना बनाना है. वहीं, क्षमा सावंत ने कहा कि, “हमें ये समझने की ज़रूरत है कि भले ही अमेरिका में दलितों के ख़िलाफ़ भेदभाव उस तरह नहीं दिखता जैसा कि दक्षिण एशिया में हर जगह दिखता है, लेकिन यहां भी भेदभाव एक सच्चाई है.”
सीनेटर ने इस कानून को बताया हिंदू विरोधी
भारतीय मूल के कई अमेरिकी ये मान रहे हैं कि जाति को नीति का हिस्सा बना देने से अमेरिका में ‘हिंदूफोबिया’ की घटनाएं बढ़ सकती हैं. इस मामले पर भारतीय मूल के अमेरिकी सीनेटर ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इस कानून का पास होना अमेरिका में हिंदू विरोध बढ़ने का संकेत है. अमेरिका के ओहायो प्रांत से भारतीय अमेरिकी सीनेटर नीरज अंतानी ने कहा कि वह सिएटल सिटी काउंसिल के इस कानून का कड़ा विरोध करते हैं क्योंकि जब जातिगत भेदभाव है ही नहीं तो इस पर बैन कैसा?
अंतानी के कथनानुसार भेदभाव विरोधी नीति हिंदू विरोधी है, जिसे इन गैर हिंदुओं ने अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया में रहने वाले हिंदुओं से भेदभाव का औजार बना लिया है. उन्होंने कहा कि सिएटल को इस रंगभेद नीति की बजाय हिंदुओं के साथ हो रहे भेदभाव से की रक्षा-नीति बनानी चाहिए.
COHNA ने भी किया इसका विरोध
कोलिसन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (कोहना) के साथ कई अन्य संगठनों ने इस कानून का विरोध शुरू कर दिया है. कोहना ने इस संबंध में अपना बयान जारी करते हुए कहा कि वह भेदभाव से निपटने की कोशिशों का पूरा समर्थन करते हैं लेकिन ऐसे आरोप लगाने से पहले पूरा डाटा पेश किया जाना चाहिए लेकिन यहां गलत डाटा के आधार पर कानून बनाया गया है. कोहना के अध्यक्ष निकुंज त्रिवेदी ने बताया कि यह कानून अपने आप में भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसमें लिंग, धर्म आदि कि जगह इस बात पर जोर है कि दक्षिण एशियाई समुदाय की विशेष निगरानी करने की जरूरत है.
बीते तीन साल के दौरान पूरे अमेरिका में दस हिंदू मंदिरों सहित पांच प्रतिमाओं का नुक़सान पहुंचाया गया है. जिनमें महात्मा गांधी और मराठा राजा छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा भी शामिल है. कुछ लोगों का मानना है कि इन घटनाओं से हिंदू समुदाय को डराने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की आबादी अप्रवासियों में दूसरे नंबर पर है.