कुल्लू में मनाया गया व्हाइट केन सेफ्टी डे कुल्लू : जिला कुल्लू के ढालपुर में नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड के द्वारा व्हाइट कैन सेफ्टी डे मनाया गया। तो वही दृष्टिबाधित छात्रों के लिए किस तरह से व्हाइट केन का क्या महत्व है। उसके बारे में भी विशेष रूप से जानकारी दी गई। नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड की सचिव शालिनी वत्स किमटा ने बताया की अब आधुनिक व्हाइट केन दृष्टिबाधित छात्रों की जीवन शैली को आसान बनाने की दिशा में काम कर रही है। जिससे दृष्टिबाधित लोग आसानी से अपने दिनचर्या के कार्यों को पूरा कर सकते हैं। शालिनी ने बताया कि साल 1931 में फ्रांस में गुइली डी’हर्बॉन्थ ने नेत्रहीन लोगों के लिए एक राष्ट्रीय श्वेत छड़ी आंदोलन शुरू किया और संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने पहली बार इस उद्घोषणा को शुरू किया था। उन्होंने कहा कि व्हाइट केन डे अभियान का उद्देश्य पूरे विश्व को इस बारे में परिचित कराना है कि नेत्रहीन और दृष्टिबाधित बिना किसी सहारे के अपना जीवन जीते हैं और काम करते हैं। एक गणना के अनुसार भारत में 16 मिलियन से अधिक नेत्रहीन और 18 मिलियन से अधिक दृष्टिबाधित व्यक्ति हैं। इन्हें प्रायः शिक्षा अवसर, रोजगार आदि प्राप्त करने में कठिनाई होती है। ऐसे में हम अपने आस-पास की दुनिया का पता लगाने और समझने के लिए सुनने और छूने की अपनी इंद्रियों का उपयोग करते हैं।
सचिव शालिनी ने बताया कि सफेद छड़ी नेत्रहीनों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। दृष्टिबाधित लोग चलने के लिए सफेद छड़ी का उपयोग करते हैं। यह छड़ी उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने की आजादी देती है। अब यह छड़ी दृष्टिबाधितों की स्वतंत्रता, आत्मविश्वास और आजादी की प्रतीक बन गई है।