देश की सबसे पुरानी और प्रमुख राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है.
150 सालों से ज्यादा पुरानी कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तारीख 17 अक्टूबर को तय हो गई है. उस दिन ये पार्टी अपने अध्यक्ष का चुनाव करेगी. पार्टी में 2019 के बाद से कोई मुकम्मल अध्यक्ष नहीं है तो सही मायनों में वर्ष 2000 के बाद पार्टी अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है. इस चुनाव को कराने की जिम्मेदारी पार्टी की सेंट्रल इलेक्शन अथारिटी (सीईए) की है.
कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथारिटी 05 सदस्यीय है. इसकी अगुवाई पार्टी के महासचिव और पुराने नेता मधुसूदन मिस्त्री कर रहे हैं. इस अथारिटी में कुल मिलाकर 05 सदस्य हैं, जो नामांकन से लेकर उम्मीदवारी और पार्टी में हिस्सा लेने वाले सदस्यों की सूची पर गौर करेंगे और सारे चुनाव की प्रक्रिया को करेंगे. 24 सितंबर से ही कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों में तब गर्मी आ जाएगी.
पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण में दो सदस्य बुजुर्ग हैं तो तीन युवा. हालांकि माना जा रहा है कि ये सभी नेता राहुल गांधी के करीबी हैं. सभी नेताओं की अपनी खासियतें हैं. कांग्रेस संगठन में उनकी अपनी भूमिका भी रही है.
मधुसूदन मिस्त्री कभी वाघेला के साथ थे
मधुसूदन मिस्त्री सीईए के चेयरमैन हैं. 77 साल के मिस्त्री का कार्यक्षेत्र गुजरात रहा है. एकजमाने में वो गुजरात के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला के करीबी थे. जब वाघेला ने अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाई तो वो उसमें शामिल हो गए. इसके बाद पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया. इसके साथ मिस्त्री भी कांग्रेस में आ गए. वाघेला ने बेशक अब अपनी अलग राहें बना लीं लेकिन मिस्त्री इसी में बने रहे.
भूगोल प्रोफेसर से तेजतर्रार ट्रेड यूनियन नेता बने
वैसे मिस्त्री ने अपना करियर भूगोल के प्रोफेसर के तौर पर अहमदाबाद में शुरू किया था लेकिन जल्द ही वो ट्रेड यूनियन नेता बन गए. अहमदाबाद की कपड़ा मिलों के बड़े मजदूर संगठन मजूर महाजन संघ के नेता बन गए. नौकरी छोड़ दी. वो आक्सफोर्ड भी पढ़ने जा चुके हैं. दिशा के नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं.
कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव गुजरात कांग्रेस के नेता मधुसूदन मिस्त्री कराएंगे, जो कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव अथारिटी के चेयरमैन हैं. ये अथारिटी 05 सदस्यीय है.
मिस्त्री 2001 में मध्यावधि लोकसभा चुनावों में साबरकांठा से चुने गए. इसके बाद फिर 2004 में फिर लोकसभा चुनाव जीता. 2009 में हार गए तो कांग्रेस ने 2014 में उन्हें राज्यसभा में भेजा. जहां उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है. वैसे मिस्त्री को राहुल का करीबी नेता माना जाता है.
लवली कभी दिल्ली सरकार में तेजतर्रार मंत्री थे
दूसरे हैं अरविंदर सिंह लवली. जब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थे तो उन्हें तेजतर्रार मंत्री के तौर पर याद किया जाता है. वो सबसे कम उम्र में दिल्ली में कांग्रेस विधायक भी बने. हालांकि वर्ष 2016 में वह कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में गए थे लेकिन एक साल बाद ही वो वापस कांग्रेस में लौट आए.
जोतीमनी लोकसभा सांसद हैं
सीईए की तीसरी सदस्य तमिलनाडु के करूर से लोकसभा सांसद 47 साल की जोतीमनी सेन्नीमलाई हैं. जो कालेज की पढाई के दौरान ही स्टूडेंट पालिटिक्स में कूदीं. तेजतर्रार छात्र नेता की छवि बनाई. अन्नामलाई यूनिवसिर्टी के एमए करने के बाद वह 22 साल की उम्र में युवा कांग्रेस में गईं. तब कांग्रेस में हैं. वह तेजतर्रार युवा नेता मानी जाती हैं. यूथ कांग्रेस में वह कई पदों पर रहीं. अब कांग्रेस की महासचिव भी हैं.
चौथे सदस्य हैं कर्नाटक के तीन बार विधायक रहे और कुमारस्वामी सरकार में मंत्री रहे कृष्णा बायरे गौडा. दमदार पृष्ठभूमि वाले कृष्णा कर्नाटक के अमीर किसान परिवार से आते हैं. वह कृषि एक्सपर्ट भी हैं. पहले उन्होंने बेंगलुरु के मशहूर क्राइस्ट कालेज में पढ़ाई की फिर अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढने चले गए. वहां वह इथियोपिया दूतावास के साथ जुड़कर कृषि एक्सपर्ट के तौर पर भी काम किया.
49 साल के कृष्णा मुद्दों पर समझ रखने वाले तेजतर्रार नेता माने जाते हैं. कांग्रेस की नई पीढ़ी के नेता हैं. उन्हें भी राहुल का करीबी माना जाता है.
राजेश मिश्रा पुराने कांग्रेसी
केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के पांचवें सदस्य उत्तर प्रदेश के बनारस से लोकसभा सदस्य रह चुके डॉ. राजेश मिश्रा हैं.
72 साल के मिश्रा किताबें लिख चुके हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में वह सक्रिय सदस्य रहे हैं. विधायक से लेकर सांसद बनने का सफर तय किया है. वह पुराने कांग्रेसी हैं.
कैसे होगा चुनाव
– कांग्रेस के इस चुनावों में अध्यक्ष पद पर वोट देने का अधिकार कांग्रेस डेलीगेट्स को होगा. इन्हें कांग्रेस कालेज भी कह सकते हैं. ये हर राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य होंगे, जिन्हें हर ब्लाक स्तर से चुनकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भेजा जाता है.
कांग्रेस में आखिरी बार सही मायनों में चुनाव वर्ष 2000 में हुआ था. तब जतिन प्रसाद को हराकर सोनिया पार्टी की अध्यक्ष बनीं थीं. फिर वह वर्ष 2017 तक इस पद पर सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनती रहीं. (फाइल फोटो)
– फिलहाल कांग्रेस के पास 9000 डेलीगेट्स हैं, जो इसमें हिस्सा लेंगे, हालांकि कांग्रेस के भीतर मनीष तिवारी ने इन डेलीगेट्स की सूची सार्वजनिक करने की मांग की है लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि जिसे भी ये सूची देखनी है, वो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में देखी जा सकती है लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
– चुनाव में जो भी खड़ा होगा, उसे नामांकन के लिए कम से कम 10 कांग्रेस डेलीगेट्स का समर्थन हासिल होना चाहिए. नामांकन के बाद कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव अथारिटी उनके नामों को संबंधित कांग्रेस कमेटी को भेज देगी. अगर वहां अगर वो चाहेंगे तो 07 दिनों के भीतर नाम वापस ले सकते हैं.
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