झारखंड में गिरफ़्तार पत्रकार रूपेश सिंह कौन हैं, क्या कह रहा है उनका परिवार?

रुपेश कुमार सिंह

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इमेज कैप्शन,रूपेश कुमार सिंह को रविवार को उनके घर से ले जा रहे पुलिसकर्मी

झारखंड पुलिस ने कई गंभीर मुद्दों पर लिखने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. उनकी गिरफ्तारी सरायकेला खरसांवा ज़िले के कांड्रा थाने में नवंबर 2021 में दर्ज एक पुराने मामले में की गई है.

इसमें पुलिस ने यूएपीए की धाराएं भी लगाई हैं. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस द्वारा तैयार कागज़ात (जो बीबीसी के पास मौजूद हैं) से इसकी जानकारी मिली है.

उन कागजात के मुताबिक रूपेश की गिरफ्तारी उसी केस में की गई है, जिसके तहत पिछले साल 13 नवंबर को एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को उनके कुछ कथित सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था. ये सब लोग अभी जेल में हैं.

झारखंड पुलिस ने इस संबंध में अभी तक अधिकृत तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. उन्हें गिरफ्तार करने के बाद कहां रखा गया है, इसकी भी पुख्ता जानकारी नहीं है.

सरायकेला खरसांवा ज़िले की पुलिस ने उन्हें 17 जुलाई को दोपहर 1.40 बजे गिरफ्तार किया है. लिहाज़ा, पुलिस उन्हें 18 जुलाई की दोपहर 1.40 बजे से पहले सरायकेला कोर्ट में पेश कर सकती है. पुलिस ऐसा करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है.

कैसे हुई गिरफ्तारी

रूपेश कुमार सिंह की पत्नी इप्सा शताक्षी ने बीबीसी को बताया कि छह गाड़ियों में सवार पुलिस रविवार की अल सुबह उनके घर सर्च वारंट लेकर आयी थी और आधे घंटे के अंदर ही घर की तलाशी कर लेने का भरोसा दिलाया था.उनके मुताबिक दोपहर बाद पुलिस ने उन्हें अचानक गिरफ्तारी का वारंट दिखाया और रूपेश को गिरफ्तार कर साथ लेकर चली गई.

वो कहती हैं कि यह एक तरीके से धोखा है और पुलिस को सर्च वांरट के साथ ही अरेस्ट वारंट भी दिखाना चाहिए था.

ईप्सा शताक्षी ने बीबीसी से कहा, सरायकेला पुलिस के एक डीएसपी के नेतृत्व में उनकी टीम सुबह 5.30 बजे के करीब ही हमारे घर पहुंच गई थी. तब सबलोग सोए हुए थे. हमारे जगने पर पुलिस ने हमें सर्च वारंट दिखाया और कहा कि उन्हें मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हमारे घर की तलाशी लेनी है. तब हमें बताया गया कि वे लोग कांड्रा थाने से आए हैं. हम बाद में यह जान सके कि उनके साथ एनआइए के लोग भी थे.”

“उन लोगों ने घर का हर सामान देखा और कुछ की जब्ती कर ली. उनलोगों ने मेरी देवरानी और देवर के कमरों की भी तलाशी ली, जो तब वहां मौजूद भी नहीं थे.”

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पुलिस ने क्या जब्त किया?

पुलिस की जब्ती सूची के मुताबिक रूपेश कुमार सिंह के घर से दो लैपटॉप, दो मोबाइल फोन, एक बेडशीट, उनकी पत्नी ईप्सा शताक्षी के नाम पर रजिस्टर्ड कार की रिटेल इनवायस, एक बाइक के कागजात, एक पुरानी कॉपी और एक नोटबुक जब्त की है.

ईप्सा शताक्षी ने बताया, “पुलिस ने वह आइफोन भी जब्त किया, जो सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी कांड की शिकायत के बाद लोगों के चंदे से खरीदा गया था. इसी तरह मेरी अपनी सेविंग्स के पैसे से खरीदी गई कार के पेमेंट के तमाम कागजात भी जब्त कर ली. “

शताक्षी ने बीबीसी को बताया, “उनकी गिरफ्तारी भी उस मामले में दिखाई जा रही है, जिससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. रूपेश पत्रकार हैं, जनमुद्दों पर लिखते हैं. उन्होंने आदिवासियों और वंचितों के मुद्दों पर लगातार रिपोर्टिंग की है. क्या इन मुद्दों को उठाना गुनाह है.”

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कौन हैं रूपेश कुमार सिंह

रुपेश कुमार सिंह की सार्वजनिक पहचान स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है. वे कई संस्थानों के लिए लिखते रहे हैं. उनका अपना यू-ट्यूब चैनल भी है, जिसपर वे अपनी स्टोरीज़ पोस्ट करते रहते हैं. वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं. उन्होंने कई मुद्दों पर राज्य के मुख्यमंत्री और उच्चाधिकारियों आदि को भी टैग कर ट्वीट्स किए हैं.

उनकी गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें बिना शर्त रिहा करने की मांग भी की जा रही है. वे यूएपीए को हटाने जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं.

पेगासस जासूसी कांड में उनके और उनकी पत्नी के फोन नंबरों की जासूसी कराने की बात उजागर होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ़ याचिका भी दायर की थी. तब देश के कुछ प्रमुख मीडिया संस्थानों ने उनके इंटरव्यू भी प्रसारित किए थे.

रुपेश कुमार सिंह

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पहले भी हो चुके हैं गिरफ्तार

बिहार के गया ज़िले की पुलिस ने उन्हें साल 2019 में यूएपीए की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था.

हालांकि, पुलिस उस मामले में तय समय के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पायी और कुछ महीने जेल में रहने के बाद उन्हें ज़मानत मिल गई. इसके बाद उन्होंने एक किताब लिखकर जेल की कठिनाईयों और कैदियों के शोषण की बातें मुखर होकर उठायी थी.

वे मूलतः बिहार के रहने वाले हैं लेकिन उनका परिवार पिछले कई सालों से झारखंड में रहता है.