पाकिस्तानी वरिष्ठ कॉलमनिस्ट नुसरत मिर्ज़ा के एक इंटरव्यू की भारत में काफ़ी चर्चा हो रही है, उधर पाकिस्तान में लोग उनकी बातों से हैरान हैं.
नुसरत मिर्ज़ा ने इस इंटरव्यू में दावा किया है कि जब हामिद अंसारी भारत के उप-राष्ट्रपति थे तब उन्हें एक सेमिनार के लिए भारत बुलाया गया और उन्होंने भारत यात्रा के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी को आईएसआई के साथ साझा किया.
उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच बार भारत की यात्रा की, और कई शहरों जैसे बेंगलुरु, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता, पटना, लखनऊ गए.
साथ ही उन्होंने दावा किया कि भारत के उर्दू के अख़बार के संपादक, उस वक्त के भारत के मुसलमान सांसद उनके दोस्त थे और वो जब भारत आते थे तो वो 10-20 भारतीय चैनलों को इंटरव्यू देते थे.
एक तरफ़ जहां भारत में नुसरत मिर्ज़ा के बयान पर भाजपा कांग्रेस और हामिद अंसारी को कटघरे में खड़ा कर रही है और सोशल मीडिया पर हामिद अंसारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं, पाकिस्तान में जानकार कह रहे हैं कि नुसरत मिर्ज़ा की बातों को नापने-तौलने की ज़रूरत है.
भारत को लेकर नुसरत मिर्ज़ा की बातों को उनका इंटरव्यू करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार शकील चौधरी ने “लूज़ या कैज़ुअल टॉक” बताया और आरोप लगाया कि नुसरत मिर्ज़ा अपने कॉलमों में कॉन्सपिरेसी थियोरीज़ या साज़िशों की परिकल्पना की बातें करते रहे हैं, जिस वजह से उन्होंने उनका इंटरव्यू किया.
इस वीडियो इंटरव्यू का शीर्षक – “पाकिस्तान में भूकंप और जापान में सूनामी के लिए अमरीका ज़िम्मेदार”. शकील चौधरी के मुताबिक ऐसी साज़िशों की बातें भी नुसरत ने अपने कॉलमों में की हैं.
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बीबीसी से बातचीत में शकील चौधरी ने कहा, “उनका आकलन इतना ढीला है, इतना लापरवाह किस्म का है कि उसमें कोई बौद्धिक विशेषज्ञता या इंटेलेक्चुअल सोफ़िस्टिकेशन नहीं है. विश्लेषण करने की उनकी योग्यता का मैं बड़ा फ़ैन नहीं हूं.”
कराची के एक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक “खबर के हिसाब से हम उनको (नुसरत मिर्ज़ा को) भरोसेमंद नहीं कह सकते. वो बहुत ज़्यादा बातों को बढ़ा-चढ़ाकर बोलते हैं. जर्नलिस्टिक कम्युनिटी में उनकी बहुत ज़्यादा विश्वसनीयता नही है. मैं बहुत ज़्यादा उनकी बातों पर भरोसा नहीं करता.”
नुसरत मिर्ज़ा की बातों से पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी भी हैरान हैं, और बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, “अगर वो जासूस थे, तो अपनी पहचान ज़ाहिर करके दुनिया भर को बताने की क्या ज़रूरत थी.”
अपने साक्षात्कार में नुसरत मिर्ज़ा ने कहा था कि खुर्शीद महमूद कसूरी ने उन्हें कथित तौर पर भारत के सात शहरों का वीज़ा दिलवाया और जब वो भारत से जानकारी इकट्ठा करके लाए तो खुर्शीद कसूरी ने उनसे कहा कि वो उसे उस वक्त के आईएसआई प्रमुख जनरल कयानी को दे दें.
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बीबीसी से बातचीत में कसूरी ने कहा कि उन्होंने सैकड़ों भारतीयों और पाकिस्तानियों के वीज़ा की मदद की है, और इस दौरान उनकी नुसरत मिर्ज़ा से भी मुलाकात हुई होगी.
वो कहते हैं, “मैं उनसे एक या दो बार मिला, उससे ज़्यादा नहीं. वो कोई परमाणु वैज्ञानिक थोड़े ही हैं जो भारत के तारापुर प्लांट या किसी और जगह से कोई बड़ी खुफ़िया जानकारी चुरा लें. अगर वो जासूसी कर रहे थे तो चले जाते, बता देते आईएसआई को. उनको मेरे पास आने की कहां ज़रूरत थी? आईएसआई एक बेहतरीन और अनुशासनबद्ध संस्था है. उसे जानकारी के लिए आम लोगों के समर्थन की ज़रूरत नहीं.”
इंटरव्यू में किए गए उनके दावों पर हमने नुसरत मिर्ज़ा से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया.
कौन हैं नुसरत मिर्ज़ा?
नुसरत मिर्ज़ा का जन्म दिल्ली में हुआ और इस इंटरव्यू के मुताबिक विभाजन के बाद जब वो पाकिस्तान आए तब उनकी उम्र पांच साल थी.
कराची के एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक नुसरत मिर्ज़ा सालों से कॉलम तो लिख रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी ज़मीन पर पत्रकारिता नहीं की.
कराची में स्थानीय लोग नुसरत मिर्ज़ा के एमक्यूएम पार्टी से नज़दीकियों की बातें करते हैं लेकिन इस पत्रकार के मुताबिक वो एमक्यूएम का हिस्सा नहीं रहे और वो उर्दू बोलने वाले ‘इंटेक्चुअल सर्कल’ का हिस्सा रहे हैं और सोशल सर्किल में नज़र आते हैं.
उनका इंटरव्यू करने वाले शकील चौधरी बताते हैं कि जब उन्होंने नुसरत मिर्ज़ा से पूछा कि पाकिस्तान में भारत को जानने समझने वाला एक एक्सपर्ट भी मौजूद क्यों नहीं, तब उन्होंने खुद ऐसे पेश करना शुरू कर दिया कि वो भारत के सबसे बड़े एक्सपर्ट हैं.
शकील चौधरी के मुताबिक नुसरत मिर्ज़ा अपने कॉलम में कथित तौर पर कॉन्स्पिरेसी थियोरीज़ पेश करते रहे हैं.
इसके बावजूद उन्होंने उनका इंटरव्यू करके अपने यूट्यूब चैनल पर जगह क्यों दी?
शकील चौधरी कहते हैं, “वो एक बड़े अख़बार के लिए लिखते हैं, एक बार उन्होंने ये लिखा कि मुंबई हमले अमरीका ने करवाए. मैंने कहा इसका कोई सुबूत है आपके पास? उनके कॉलम में ये उनके दावों में से एक में था. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग कह रहे हैं कि ये इनसाइड जॉब था.”
शकील चौधरी बताते हैं कि नुसरत मिर्ज़ा ऐसी बातें अपने कॉलम में लिखते रहे हैं कि पाकिस्तान में भूकंप और जापान में सूनामी के लिए अमरीका ज़िम्मेदार था, और अपने वीडियो इंटरव्यू में जब उन्होंने नुसरत मिर्ज़ा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वो अपनी बातों पर कायम हैं.
नुसरत मिर्ज़ा ने इसमें कहा, “अलास्का के अंदर एक इलाका है जहां उन्होंने एक सिस्टम बना दिया है, वो सिस्टम ये है कि वो मौसम को बदल सकता है.”
शकील चौधरी के मुताबिक, “इस तरह के जो लोग हैं, मैं उनका मुकाबला करने की कोशिश करता हूं. मैं कोशिश करता हूं कि मैं उनकी बातों को दर्ज़ करूं और उनसे सवाल करूं.”
शकील चौधरी के मुताबिक वो खुद एक ‘पीस ऐक्टिविस्ट’ हैं. वो कहते हैं,”मैं शांति को लेकरर हुए एक सम्मेलन के लिए कोलकता तक जा चुका हूं. हमारा मक़सद है कि दूसरी सोच के लोगों से बातचीत करें. उनकी जो कमज़ोरी है, उसको सामने लाएं.”
अपने इंटरव्यू पर मिल रही प्रतिक्रिया पर शकील कहते हैं, “कल मुझे किसी ने अमरीका से लिखा, कि आपने ऐसे शख्स को क्यों चुना जिन्हें कोई नहीं जानता और इससे सही शांति कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी. उन्हें वीज़ा की समस्या हो जाएगी.”
भारत में इस इंटरव्यू पर हुए विवाद के बारे में शकील चौधरी कहते हैं उन्हें ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी.
वो कहते हैं, “हामिद अंसारी को लेकर कही जा रही बातों को लेकर मैं आश्चर्यचकित हूं, खासकर जब हामिद अंसारी कह चुके हैं कि मैं उन्हें नहीं जानता. मेरा इरादा ये था कि जब पाकिस्तानी मीडिया में ऐसी कॉन्सपिरेसी थियोरिज़ छपती हैं, तो इन्हें एक्सपोज़ किया जाना चाहिए.”
नुसरत मिर्ज़ा ने इंटरव्यू में और क्या कहा?
इस इंटरव्यू में नुसरत मिर्ज़ा कहते हैं कि पाकिस्तान के अंदर उर्दू ज़बान में लिखने वाला स्ट्रैटेजिक अफ़ेयर्स पर कोई नहीं है, सिर्फ़ वो हैं.
भारत पर वो कहते हैं, “हम मुग़ल हैं, हमने वहां राज किया है, वहां के हालात को जानते हैं, इंडिया की नब्ज़, उनके कल्चर को हम समझते हैं. उनकी कमज़ोरी को हम जानते हैं.”
एक सवाल के जवाब में वो कहते हैं, “जब से एफ़एटीएफ़ आया है तबसे पाकिस्तान ने वहां कोई गतिविधि नहीं की है. उसके हाथ पैर बंधे हुए हैं.”
भारत के साथ संबंधों पर वो कहते हैं, “आपने उनको 800 साल तक गुलाम रखा है. (जब तक वो) उसका बदला न ले ले, उस वक्त तक वो चैन से नहीं बैठेगा.”
इन जवाबों पर उनका इंटरव्यू करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार शकील चौधरी कहते हैं, “वो आज के दौर में बैठकर बातें कर रहे हैं कि हम मुग़ल थे, हम हुक्मरान थे. भारत शांति से नहीं रहना चाहता क्योंकि मुसमानों ने हिंदुस्तान पर शासन किया. ये बेकार तर्क है. तो इस तरह के व्यक्ति के एनालिसिस की क्या कीमत होगी? आपको उनकी बातें हिसाब से लेनी होंगी. जो बंदा ये कह रहा है कि पाकिस्तान में भूकंप अमरीका लाया था, जो बाढ़, जापान की सूनामी आई वो अमरीका लाया था, कौन उन्हें गंभीरता से लेगा?”
इस साक्षात्कार पर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि अगर हामिद अंसारी ने ऐसा किया था तो उन्हें इस बारे में मौजूदा सरकार को जानकारी देनी चाहिए थे ताकि वो ये दर्शा सकें कि वो राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं.
हामिद अंसारी ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत का राजदूत रहते हुए उन्होंने जो काम किए हैं उनकी वैश्विक और घरेलू स्तर पर सराहना हुई है
भारत में आ रही प्रतिक्रियाओं पर पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी कहते हैं कि इससे “लोगों के बीच संपर्क को नुकसान पहुंचेगा. पत्रकारिता एक इज़्ज़तदार पेशा है. उनके साथ जासूस जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.”