केरल के डॉ. सुजीत जोस वीलचेयर पर बैठकर सर्जरी करते हैं। यूरोलॉजी ट्रेनिंग के दौरान एक हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। जानिए उनकी कहानी-
केरल के एक सरकारी अस्पताल में वीलचेयर के सहारे सर्जरी करने वाले यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत जोस ने विकलांगता मानदंडों को ‘असंवेदनशील और अतार्किक’ बताया। इसके कारण वह पुडुचेरी के प्रमुख अस्पताल जवाहरलाल स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जेआईपीएमईआर) में समान नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।
ट्रेनिंग के दौरान आई थी चोट
दिव्यांग चिकित्सा पेशेवरों की भर्ती के लिए जेआईपीएमईआर के नए कार्यालय ज्ञापन (ओएम) के अनुसार, यूरोलॉजी (मूत्र रोग) विभाग में किसी भी संकाय के पास बैठने, खड़े होने और अन्य चीजों के साथ चलने की कार्यात्मक क्षमता होनी चाहिए।
यूरोलॉजी प्रशिक्षण के दौरान रीढ़ की हड्डी में चोट से प्रभावित हुए डॉ. सुजीत जोस (34) सभी कार्यों को अपने वीलचेयर की मदद से करते हैं। कार्यालय ज्ञापन में व्हीलचेयर के सहारे कार्य का जिक्र नहीं किया गया है, जिससे वह पद के लिए अयोग्य हो गए हैं।
कोलंबिया की यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप
कोलंबिया में सीईएस यूनिवर्सिटी, मेडेलिन से ‘फंक्शनल एंड फीमेल यूरोलॉजी फेलोशिप’ के लिए 2022 में ‘सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल यूरोलॉजी’ से स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाले, डॉ. जोस ने कहा, ‘मुझे वीलचेयर का इस्तेमाल करके यूरोलॉजिकल सर्जरी करने के लिए विशेष प्रशिक्षण मिला है। विकसित देशों में इन नौकरियों के लिए कार्य के संबंध में ऐसे मानदंड नहीं हैं।’
दिव्यांग सीनियर डॉक्टरों ने जेआईपीएमईआर में संबंधित बेंचमार्क विकलांगता और कार्यात्मक जरूरतों के साथ विभिन्न नौकरियों को चिह्नित करने पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कार्यालय ज्ञापन न केवल असंवेदनशील है बल्कि यह कई दिव्यांग डॉक्टरों को नौकरी के अवसरों से वंचित करके मौजूदा कानून का भी उल्लंघन करता है जो पहले से ही प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में संबंधित पदों पर कार्यरत हैं।
JIPMER का क्या कहना है?
जेआईपीएमईआर के निदेशक डॉ राकेश अग्रवाल ने कहा कि जिन डॉक्टरों को लगता है कि वे किसी भी स्थिति के कारण आवेदन नहीं कर सकते हैं, वे संस्थान को अपना प्रतिवेदन दे सकते हैं। डॉ अग्रवाल ने कहा, ‘दिव्यांग चिकित्सा पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसर विकसित हो रहे हैं। दस साल पहले, हमारे यहां अलग मानदंड थे लेकिन अब चीजें बदल गई हैं।’
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करने वाले जेआईपीएमईआर ने 18 मार्च को एक कार्यालय ज्ञापन प्रकाशित किया जिसमें उसने 85 अलग-अलग पदों को चिह्नित किया, जिसके लिए दिव्यांग चिकित्सा पेशेवरों को सीधी भर्ती दी जा सकती है।
प्रत्येक पद के साथ, इसमें एक ऐसे व्यक्ति की शारीरिक स्थिति का वर्णन किया गया है जो इन कार्यों को कर सकता है। जेआईपीएमईआर का दावा है कि पदों की पहचान, बेंचमार्क विकलांगता और कार्यात्मक आवश्यकताएं दिव्यांग जन के अधिकार अधिनियम (आरपीडीए), 2016 में किए गए प्रावधानों के अनुसार हैं।
हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञों ने 4 जनवरी, 2021 की एक अधिसूचना की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें कहा गया है, ‘यदि कोई पद पहले से ही बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति के पास है, तो यह बेंचमार्क विकलांगता की उस श्रेणी के लिए चिह्नित माना जाएगा।’