पीएम मोदी और सीएम योगी की तस्वीरें कचरे में किसने फेंकी, किसी घर ने या सरकारी दफ़्तर ने?- प्रेस रिव्यू

सीएम योगी और पीएम मोदी

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उत्तर प्रदेश में मथुरा-वृंदावन नगर निगम कार्यालय ने पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें कचरा गाड़ी में ले जाने के कारण शनिवार को एक सफ़ाईकर्मी को निलंबित कर दिया. सफ़ाईकर्मी ने वो तस्वीरें सड़क पर पड़े कचरे के साथ उठाई थीं.

मथुरा से बीजेपी के मेयर मुकेश आर्य बंधु और अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सत्येंद्र तिवारी मानते हैं कि सफ़ाईकर्मी बॉबी ने ऐसा अनजाने में किया और उनका कोई ग़लत मक़सद नहीं था. लेकिन, ”लापरवाही” के लिए बॉबी के निलंबन को दोनों ने सही बताया है. अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से दिया है.

अख़बार लिखता है कि 45 साल के बॉबी को सुभाष इंटर कॉलेज के पास सड़क पर पड़े कचरे से 18×12 इंच की ये तस्वीरें मिली थीं. इस इलाक़े में पांच कॉलोनियों के लोग कचरा फेंकते हैं. मेयर का कहना है कि ये पॉश कॉलोनियां हैं और जाँच चल रही है कि किस घर से ये तस्वीरें फेंकी गई हैं.

हालाँकि, एक नगर निगम कर्मचारी ने पहचान छुपाने की शर्त पर बताया कि उन्होंने ये तस्वीरें एक स्थानीय नगर निगम दफ़्तर में दीवार पर लगी देखी हैं जो कचरे वाली जगह से 200 मीटर की दूरी पर है. हालाँकि, नगर निगम अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है.

सफ़ाईकर्मी बॉबी कचरा इकट्ठा करके शहर से बाहर डंपिंग ग्राउंड में फेंकने जा रहे थे कि एक कार उनकी कचरा गाड़ी के पास आकर रुकी. उसमें से तीन लोग उतरे जो खुद को राजस्थान में अलवर का रहने वाला बताते हैं. उन्होंने बॉबी को रोका और तस्वीरें दिखाने को कहा.

बॉबी ने सोमवार को मीडिया को बताया, ”मैं अपना काम कर रहा था. बारिश के बाद कचरे में कीचड़ हो गया और मुझे नहीं पता लगा कि मैंने क्या उठाया है. मैंने उन्हें दो तस्वीरें दिखाईं. उन्होंने तस्वीरों को धोया और उन्हें लेकर चले गए.”

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कुछ घंटों के अंदर बॉबी पर कार्रवाई हो गई.

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बॉबी ने कहा, ”मुझे नगर निगम दफ़्तर से फ़ोन करके निलंबन के बारे में बताया गया. मेरी तीन बेटियां और दो बेटे हैं. अगर मुझे नौकरी नहीं मिली तो हम भूखे मर जाएंगे.”

अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सतयेंद्र तिवारी ने कहा, ”हमने बॉबी से बात की है. उसने गलती से ये तस्वीरें कचरा गाड़ी में रख दी थीं. जब लोगों ने उन्हें टोका तो उन्हें अपनी गलती का पता चला. हालांकि, हमने उन्हें लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया है.”

मेयर का कहना है, ”बॉबी ने जिस जगह से कचरा उठाया था वो पॉश इलाक़ा है और वहां शिक्षित लोग रहते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्होंने मोदी और योगी जी की तस्वीरें कचरे में क्यों फेंकी. हमने जांच शुरू कर दी है कि किसने तस्वीरें फेंकी थीं और किसने वीडियो बनाई थी.”

मुंबई कांग्रेस सेवादल ने भी इस घटना पर ट्वीट करके बॉबी को नौकरी वापस देने की मांग की है. संगठन ने ट्वीट किया, ”सफ़ाईकर्मी की गाड़ी से सीएम योगी और पीएम मोदी की तस्वीरें मिलने पर उसे निकालना शर्मनाक है. अगर आपको सच में दुख हुआ है तो उन्हें ढूंढो जिन्होंने कचरे में तस्वीरें फेंकी थीं और उन्हें सज़ा दो. ”

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सुप्रीम कोर्ट

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हिंदुओं को अल्पसंख्यक के दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

हिंदुओं की कम आबादी वाले राज्यों में उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में ठोस उदाहरण देने को कहा है.

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों में हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक दर्जे के मामले पर ‘हवा में’ विचार नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उन राज्यों के ठोस उदाहरण देने के लिए कहा है जहां हिंदुओं की आबादी दूसरे समुदायों से कम होने पर भी उन्हें अल्पसंख्यक दर्जे के लाभ नहीं दिए जा रहे हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि लद्दाख में हिंदुओं की आबादी एक प्रतिशत, मिज़ोरम और लक्षद्वीप में 2.8 प्रतिशत, कश्मीर में चार प्रतिशत, नागालैंड में 8.7 प्रतिशत, मेघालय में 11.5 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.5 प्रतिशत और मणिपुर में 41.3 प्रतिशत है.

कोर्ट ने कहा कि ये तय स्थिति है कि किसी समुदाय के लिए धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा आबादी के आधार पर राज्यवार तरीक़े से तय किया जाता है. ये न्याय का उपहास है कि अगर मिज़ोरम और नगालैंड में बहुसंख्यक ईसाइयों और पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए.

  • क्या हिंदुओं को देश के कुछ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा मिल सकता है?
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दलित लड़कियों की यूनिफॉर्म उतारने का मामला

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में दो दलित लड़कियों की यूनिफॉर्म उतरवाने को लेकर दो शिक्षिकाओं के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि ये घटना 11 जुलाई है. लड़िकयों के माता-पिता का आरोप है कि शिक्षिकाएं स्कूल यूनिफॉर्म में छात्राओं की फोटो ले रही थीं. तब उनकी बेटियों को अपनी यूनिफॉर्म उन दो लड़कियों को देने के लिए कहा गया जो स्कूल यूनिफॉर्म में नहीं आई थीं. जब बेटियों ने यूनिफॉर्म देने से मना किया तो शिक्षिकाओं ने उन्हें पीटा और जबरन यूनिफॉर्म उतरवाई.

सहायक पुलिस अधीक्षक, हापुड़ ने बताया, ”दोनों शिक्षिकाओं के ख़िलाफ़ कई धाराओं में एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है.”