2 मार्च 2012 को एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी. नाम था पान सिंह तोमर. इस फिल्म के डायलॉग भले ही देसी ज़ुबान में हों, लेकिन आज भी वो चेहरों पर खुशी लाने का काम करते हैं. फिल्म में लीड रोल निभा रहे इरफ़ान खान का कहना, ”बीहड़ में तो बागी होते हैं, डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में”, सिनेमा प्रेमियों को रोमांचित करता है. तमाम खूबियों के साथ इस फिल्म की एक बड़ी खूबी यह थी कि इसकी कहानी रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित थी. यही कारण है कि आज हम उस इंसान की कहानी आपके लिए लेकर आए हैं, जिस पर यह फिल्म आधारित है.
इरफ़ान खान को बेस्ट ऐक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिलवाने वाली फिल्म ‘पान सिंह तोमर’, सेना में शामिल होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय एथलीट बनकर कई मेडल जीतने वाले उस इंसान की कहानी है, जिसकी पहचान मरते वक्त भले ही एक डकैत की रही है. मगर उसके अपनों ने उसे कभी भी डकैत नहीं माना. यह कहानी है झांसी से करीब 25 किमी दूर बबीना कस्बे में रहने वाले ‘पान सिंह तोमर’ की है, जो अब इस दुनिया में नहीं है.