जो अध्यक्ष बनेगा, गांधी परिवार के नीचे होगा वरना कांग्रेस शून्य… दिग्विजय ने सारा सस्पेंस खत्म किया

Congress President Election Candidates : कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आखिर दिन नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं। क्या वह कांग्रेस आलाकमान के कहने पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सवाल के जवाब में दिग्विजय सिंह का कहना है कि मैं अपने लिए खुद जिम्मेदार हूं। ऐसे में अभी तक लग रहा है कि मुख्य मुकाबला शशि थरूर और दिग्विजय सिंह के बीच ही होगा।

नई दिल्ली :कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में अशोक गहलोत के पीछे हटने के बाद अब मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अचानक सुर्खियों में आ गए हैं। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को छोड़कर सिंह बुधवार देर रात दिल्ली पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र हासिल किया। सिंह के शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करने की उम्मीद है। इस पूरे मामले पर दिग्विजय सिंह ने अपना रुख साफ किया है। सिंह ने कहा कि मैं यहां (नामांकन) फॉर्म दाखिल करने के बाद फिर भारत जोड़ी यात्रा में शामिल होने के लिए वापस आऊंगा।

पीसीसी प्रतिनिधि को चुनाव लड़ने का अधिकार
दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रत्येक पीसीसी प्रतिनिधि को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मैंने नेहरू-गांधी परिवार के साथ अपने नामांकन पर चर्चा नहीं की है। उन्होंने कहा कि मैंने एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की जब चर्चा शुरू हुई थी उस समय दूर-दूर तक दिग्विजय सिंह का नाम नहीं था। खुद दिग्विजय सिंह भी अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने से इनकार करते रहे थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि दिग्विजय सिंह को भारत जोड़ो यात्रा को छोड़कर दिल्ली पहुंचना पड़ा।

अशोक गहलोत के हटने के बाद हुई एंट्री?
राजस्थान में पार्टी के भीतर गुटबाजी और विधायक दल की बैठक टलने के बाद से गहलोत के चुनाव लड़ने को लेकर सवाल उठ रहे थे। राजस्थान के सीएम ने आज सोनिया गांधी से मुलाकात कर प्रदेश में हुए घटनाक्रम के लिए माफी मांगी। इसके साथ ही उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बात यह है कि अभी तक ऐसा ही महसूस किया जा रहा था कि शायद अशोक गहलोत जी हमारे ऑफिशियल कैंडिडेट हो सकते हैं। गहलोत ने यह स्वीकार किया। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर अशोक गहलोत चुनाव में खड़े होते तो हम हमेशा इज्जत से देखते। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम ने कहा कि अशोक गहलोत ने हमेशा पार्टी के हित में काम किया है। पार्टी के वफादार रहे हैं।

जयपुर की घटना को टाला जा सकता था
दिग्विजय सिंह ने कहा कि जयपुर में जो घटना हुई (गहलोत समर्थक विधायकों का पर्यवेक्षकों ना मिलना और पार्टी विधायक दल की बैठक नहीं होना) उसे टाला जा सकता था। उसके कारण यह दिक्कत (गहलोत का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला) आई। एक इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने अशोक गहलोत को पार्टी का ऑफिशियल कैंडिडेट के रूप में चुनाव में उतरना बताया था। ऐसे में गहलोत के हटने के बाद क्या वह ऑफिशियल कैंडिडेट हैं? इस सवाल पर दिग्विजय सिंह ने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं के विवेक से खड़ा हुआ हूं। सिंह ने कहा कि मुझे किसी ने खड़ा होने के लिए नहीं कहा।

आप लोग मुझे गंभीरता से क्यों नहीं लेते?
दिल्ली पहुंचने के बाद जब दिग्विजय सिंह नामांकन पत्र लेने पहुंचे तो उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की। जब दिग्विजय से पूछा गया कि क्या वह पार्टी नेतृत्व की तरफ से यह कदम उठा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं अपने लिए खुद जिम्मेदार हूं। इस सवाल पर कि क्या वह अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल रहेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र वापस लिए जाने तक प्रतीक्षा करिये। यह पूछे जाने कि क्या वह यह सब संदेश देने के लिए कर रहे हैं तो सिंह ने कहा कि आप लोग मुझे गंभीरता से क्यों नहीं लेते?

बिना नेहरू-गांधी परिवार के कांग्रेस पार्टी शून्य
पार्टी की राज्य इकाइयों को कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के लिए सोनिया गांधी को नामित करने संबंधी प्रस्ताव पारित करने की बात हो या फिर पार्टी के निर्वाचकों के लिस्ट को लेकर आपत्ति। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। इन सब के बीच गांधी परिवार का कहना है कि वह इस पूरी प्रक्रिया में तटस्थ बना रहेगा। इसके बावजूद पूरे घटनाक्रम पर गांधी परिवार का प्रभाव साफ दिखाई देता है। इस बारे में दिग्विजय सिंह का कहना है कि बिना नेहरू-गांधी परिवार के कांग्रेस पार्टी शून्य है।