हिमाचल में कौन संभालेगा कांग्रेस की विरासत ? 

हिमाचल में कांग्रेस ने रिवाज़ नहीं बदलने दिया लेकिन ताज बदलने में कामयाबी हासिल कर ली है। 68 विधानसभा क्षेत्रों में से 40 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। अब सवाल उठता है कि हिमाचल में राजतिलक किसका होगा और कौन ताज  पहन कर  हिमाचल सत्ता कि बागडोर संभालता है। विश्लेषकों की मानें तो  प्रारंभिक तौर पर तीन नाम सामने है। जिसमें सबसे पहला नाम मुकेश अग्निहोत्री का है। मुकेश अग्निहोत्री  ने हरोली में अपने आप को जननेता की तरह स्थापित कर लिया है यही वजह है कि वह पांचवीं बार जीत हासिल कर चुके है। आमूमन देखा गया है कि नेता के जीतने का ग्राफ समय के साथ साथ गिरता है लेकिन मुकेश अग्निहोत्री  का ग्राम हमेशा बढ़ता रहा और इस बार की जीत उनकी अब तक की सबसे बड़ी जीत है।  राजनीति से पहले मुकेश अग्निहोत्री पत्रकारिता में थे. उन्होंने 2003 में कांग्रेस के टिकट पर संतोषगढ़ विधानसभा क्षेत्र  से पहली बार चुनाव लड़ा था. पहली बार ही वो जीतकर विधानसभा में पहुंच गए. तब से वो लगातार हरोली विधानसभा से चुनाव जीतते आ रहे हैं. वो पूर्व कांग्रेस सरकार में उद्योग, श्रम व रोजगार, संसदीय मामले और सूचना एवं जनसंपर्क जैसे विभागों के मंत्री रह चुके हैं. पांच वर्षो में विपक्ष की भूमिका में  उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी की एक नहीं चलने दी और उन पर लगाम लगाने में पूर्ण रूप से कामयाब रहे बेहद कम विधायक होने के बाद भी कांग्रेस की पीठ नीचे नहीं लगनी दी। उन्होंने पांच वर्षों में साबित किया है कि वह मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी को बखूबी निभाने में सक्षम है।  ऊना में जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री  प्रेम कुमार धूमल   ,केंद्रीय मंत्री  अनुराग ठाकुर , और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने  मुकेश अग्निहोत्री को हराने का चक्र्व्यू  भी रचा लेकिन वह हर  चक्र्व्यू को तोड़ कर दोगुनी ताकत के साथ आगे आए  और  न केवल खुद जीते बल्कि  ऊना की 4 सीटों पर विजय हासिल कर 29 साल का रिकोर्ड भी तोडा।
वहीँ सुखविंद्र सिंह सुक्खू  को   प्रचार समिति    कमेटी का अध्यक्ष बना कर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेवारी कांग्रेस ने सौंपी और उन्होंने न केवल कांग्रेस को प्रदेश में विजयी  दिलाई बल्कि उन्होंने खुद  चौथी बार जीत   हासिल कर कांग्रेस और मजबूत किया। सुखविंद्र सिंह सुक्खू 2013 में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बने थे। उनकी संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस बार उन्होंने जो जीत हासिल की है वह अपने आप में इस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का गढ़ है और उनकी इस क्षेत्र में विशेष पकड़ है। इस सब के बावजूद भी इस किले  में   सुखविंद्र सिंह सुक्खू  ने  सेंध लगा कर भाजपा को घुटनों के बल बिठा दिया।  सुक्खू दो बार प्रदेश अध्यक्ष बने और उनकी विशेष पकड़ हिमाचल में रही।  उन्हें राहुल गांधी की पसंद माना जाता है. हालांकि उनके राजा वीरभद्र से  बेहद मतभेद  रहे।  यही मतभेद उनकी राह में अब रोड़ा बन सकते है। लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा कि  कितने विधायक उन्हें  मुख्यमंत्री के रूप में देखना पसंद करते है।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं और फिलहाल मंडी लोकसभा सीट से सांसद हैं। प्रतिभा सिंह ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन प्रदेश कांग्रेस पर उनकी अच्छी कमान हैं। वीरभद्र सिंह की विरासत के तौर पर प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा भी ठोंक रही है। हाईकमान ने प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का 32वां अध्यक्ष बनाया। मंडी उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को चारों खाने चित करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी सांसद प्रतिभा सिंह के सहारे पार्टी हाईकमान ने सत्ता में वापसी की योजना बनाई।  उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा गया। ऐसे में प्रतिभा की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। लेकिन इस बार मंडी और गृह क्षेत्र में  कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसका असर भी  ताजपोशी पर पड़ सकता है। ऐसे में हाईकमान क्या निर्णय लेता है और किसके सर पर ताज सजाता है  यह देखने वाली बात होगी।