भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें और ज़मीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है जिससे पता चलता है कि पूरा शहर डूब सकता है। तस्वीरें कार्टोसैट-2 एस सैटेलाइट से ली गई हैं। हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने डूबते क्षेत्रों की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
देहरादूनः उत्तराखंड के जोशीमठ को लेकर सारा देश चिंतित है। इस बीच इसरो की एक फोटो रिपोर्ट ने सबकी टेंशन बढ़ा दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें और जमीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पूरा शहर डूब सकता है। इसरो के हैदराबाद स्थित नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जोशीमठ के डूबते क्षेत्रों की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं।
अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की इस रिपोर्ट ने जोशीमठ को लेकर सरकार, प्रशासन और स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कल ही प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि जोशीमठ को हर हाल में बचाया जाएगा। उन्होंने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना की तथा भगवान से जोशीमठ की सलामती के लिए प्रार्थना की। अब इसरो की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी नरसिंह मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा है।
दिसंबर से जनवरी के बीच बढ़ी धंसाव की तीव्रता
कार्टोसैट-2 एस सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिंह मंदिर समेत पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच यहां जमीन का धंसाव काफी धीमा था। इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था लेकिन 27 दिसंबर 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच भू-धंसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई है।
इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर डूब गया। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि जमीन धंसने से जोशीमठ-औली सड़क भी धंसने वाली है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष डराने वाले हैं।