अधिकारियों को इस्राइल भेजने की बात क्यों बोले मान? क्या विपक्ष का नहीं कोई ‘सम्मान’?

AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल की ओर से दिल्ली में पंजाब के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई, जिसमें ट्रेनिंग से जुड़ा कार्यक्रम बताया गया। इसेको लेकर विपक्ष ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर ‘रिमोट कंट्रोल’ से चलने का आरोप लगाया। इस पर मान ने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो ट्रेनिंग के लिए मैं अपने अधिकारियों को गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और यहां तक ​​कि इस्राइल भी भेजूंगा। किसी को इस पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए? वे (दिल्ली सरकार) शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य के विशेषज्ञ हैं। मैं अधिकारियों को क्यों नहीं भेजूं?”

इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के अधिकारियों से मुलाकात की और मान बैठक में नहीं थे। इसे लेकर विपक्षी कांग्रेस ने आप प्रमुख पर ‘रिमोट कंट्रोल’ का आरोप लगाते हुए बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने बैठक की आलोचना करते हुए ट्वीट किया। मान ने पूछा कि किसने आपत्ति की। क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह सब हैं?

मान ने अपने पार्टी प्रमुख की ओर से उन्हें किनारे किए जाने की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा, “विपक्ष कौन है? विपक्ष कहां है? आलोचना करने के लिए आलोचना न करें। यह मैं था जिसने अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा था। वे अच्छी चीजें सीखने के लिए कहीं भी जा सकते हैं? मैंने इसकी अनुमति दी। इसमें क्या गलता है?”

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने ऐसी सरकार के लिए वोट नहीं दिया था, जिसे दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाया जाए। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने केजरीवाल की बैठक को असंवैधानिक और अस्वीकार्य करार दिया।

बैठक को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप बाजवा ने मुख्यमंत्री मान से सवाल किया। बाजवा ने ट्वीट किया, “पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जी हमें बताएं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री वास्तव में पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्रियों की अनुपस्थिति में हमारे अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। अगर हां, तो यह एक राज्य के रूप में हमारे अधिकारों का घोर उल्लंघन है। पंजाब के लोगों ने दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से चलने वाली सरकार के लिए वोट नहीं दिया था।”