साल का अंत होते ही कई लोग ऐसे होंगे जो आने वाले नए साल का संकल्प सोचेंगे और उसको अपने जीवन में शामिल करेंगे. अधिकतर लोग अपने शराब पीने की लत को छोड़ने का प्रयास करते हैं और अपने संकल्प सूची में डालते है, पर फिर भी वह छोड़ने में सक्षम नहीं हो पाते. इस खबर के जरिए हम आपको बताएंगे की शराब की लत लगती कैसे है या उसके पीछे क्या वैज्ञानिक तथ्य हैं. यदि आपने भी शराब छोड़ने का संकल्प लिया हुआ है तो यह एक अच्छा कदम है और उसके लिए मोटीवेट होना भी बहुत जरुरी है. हम आपको इस खबर के जरिए आपके निर्णय को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे ताकि आप अपने स्वास्थ के साथ खिलवाड़ न करे.
एक नए अध्ययन से पता चला है कि शरीर में शराब का संपर्क स्थायी रूप से तंत्रिका कोशिकाओं (nerve cells) के आकार को बदल सकता है और यही वजह है जो शराब के लत का कारण बन जाता है. न्यूरॉन्स मष्तिस्क की सबसे छोटी और महत्वपूर्ण इकाई होती है जो बाहरी दुनिया का संदेश दिमाग तक पहुंचाती है यानी दुनिया से संवेदी इनपुट प्राप्त कर तुरंत मष्तिष्क को सूचना देती है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक़, मुख्य रूप से, शराब सिनेप्स (Synapses) की संरचना के साथ-साथ माइटोकॉन्ड्रिया की गतिशीलता को भी प्रभावित करती है जिसे कोशिका के पावरहाउस के नाम से जाना जाता है. सिनैप्स न्यूरॉन्स के बीच संपर्क के बिंदु हैं जहां सूचना एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुंचाई जाती है.
अध्यन को जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अध्ययन में फ्रूट फ्लाई के जेनेटिक मॉडल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जिसमें पाया गया कि सिनेप्स में माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) के प्रवास में बदलाव के कारण शराब का फायदेमंद प्रभाव भी कम हो जाता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इन निष्कर्षों का मतलब है कि शराब पीने की एक भी घटना शराब की लत की नींव रख सकती है.इससे पहले अधिकांश अध्ययनों ने हमारे मस्तिष्क के नियंत्रण केंद्र, हिप्पोकैम्पस पर पुरानी शराब पीने के परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया है.
शोध में फ्रूट फ्लाई और चूहों के जेनेटिक मॉडल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है ताकि वैज्ञानिक दो क्षेत्रों में इथेनॉल से प्रेरित परिवर्तनों (ethanol-induced alterations) के बारे में समझ पाए. अगर इथेनॉल की जरा भी पहुंच होगी तो माइटोकॉन्ड्रिया की गति में गड़बड़ी होगी, और अगर गड़बड़ी हुई तो माइटोकॉन्ड्रिया तंत्रिका कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं दे पाएगा, माइटोकॉन्ड्रियल गतिशीलता और न्यूरॉन्स में सिनेप्स के बीच का संतुलन अस्थाई हो जाएगा.