लंबी या छोटी लाइफ के पीछे आनुवंशिक क्षय और डीएनए उत्परिवर्तन की दर का बड़ा कारण
हमारे आसपास रहने वाले कुत्तों (Dogs) या बिल्लियों के लिए 20 साल की उम्र काफी लंबी मानी जाती है, लेकिन इंसान के लिए 50-60 साल का जीवन छोटा माना जाता है। निश्चित रूप से, आपने कभी न कभी इसके बारे में जरूर सोचा होगा। खैर, इसके पीछे का सीधा सा कारण यह है कि इंसानों (Humans) की औसतन उम्र 70 से 80 साल होती है। 2017 में, संयुक्त राष्ट्र ने अनुमानित वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा 72.6 वर्ष आंकी थी। इंसानों की लंबी उम्र के पीछे पहले वैज्ञानिकों (Scientists) की सोच थी कि इसका हमारे शरीर के आकार से कुछ लेना-देना है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि शरीर का छोटा आकार ऊर्जा को जल्दी खत्म कर देता है, जिससे उम्र में तेजी से गिरावट आती है। उदाहरण के लिए एक चूहे (Rats) का औसत जीवनकाल 3.7 वर्ष होता है, जबकि कुत्ते के लिए यह 10 से 13 साल हो सकता है। वहीं, पांच इंच के नेकेड मोल रैट (Naked Mole Rat) की उम्र काफी लंबी होती है। यह कुत्तों से लंबी लाइफ जीते हैं। इतना ही नहीं, इन चूहों की औसत उम्र जिराफ (Giraffe) की औसत उम्र के बराबर होती है। एक जिराफ आमतौर पर 24 साल और छछूंदर 25 साल तक जीवित रहता है।
वैज्ञानिकों की शरीर के आकार से उम्र को जोड़ने वाली थ्योरी यहां सही साबित नहीं होती। सामने आई चौंकाने वाली स्टडी (Study) इस विषय पर कैम्ब्रिज में वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट की एक नई स्टडी नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसके मुताबिक लंबी या छोटी लाइफ के पीछे आनुवंशिक क्षय और डीएनए (DNA) उत्परिवर्तन की दर बड़ा कारण हो सकते हैं। स्टडी से पता चलता है कि लंबी लाइफ वाले जानवर अपने डीएनए उत्परिवर्तन को सफलतापूर्वक धीमा कर देते हैं, जो उनके लंबे जीवनकाल में योगदान देता है।
चूहे और बाघ (Tiger) पर हुई स्टडी टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जानवरों में आनुवंशिक परिवर्तनों के एक समान पैटर्न को एक-दूसरे से चूहे और बाघ के रूप में अलग करना आश्चर्यजनक था, लेकिन स्टडी का सबसे रोमांचक पहलू यह है कि दैहिक उत्परिवर्तन उम्र बढ़ने में भूमिका निभा सकते हैं। इंसान और जानवर में उम्र के फर्क को आप ऐसे समझ सकते हैं कि मनुष्यों को एक साल में केवल 47 उत्परिवर्तन का सामना करना पड़ता है। वहीं, जिन चूहों की लाइफ 3.7 साल होती है, वे हर साल 796 उत्परिवर्तन की भारी संख्या का सामना करते हैं।