सऊदी अरब और क्राउन प्रिंस पर सख़्त रहने वाले बाइडन क्यों जा रहे रियाद

जो बाइडन

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सऊदी अमेरिका संबंध पर एक नज़र

  • अमेरिका और सऊदी के रिश्तों की बुनियाद 1945 में वेलेंटाइन डे को रखी गई
  • इसी दिन अमरीकी राष्ट्रपति फ़्रैंकलीन डी रूज़वेल्ट और सऊदी अरब के संस्थापक किंग अब्दुलअज़ीज़ इब्न साऊद की मुलाक़ात स्वेज़ नहर में अमरीकी नेवी के जहाज में हुई थी
  • इसी मुलाक़ात में किंग अब्दुलअज़ीज़ अमरीका को सऊदी का तेल सस्ते में देने पर सहमत हुए थे
  • इसके बदले में रूज़वेल्ट ने किंग को सऊदी को बाहरी दुश्मनों से बचाने का संकल्प लिया था
  • वेलेंटाइन डे को दोनों देशों के बीच पनपा यह इश्क छह इसराइली-अरब युद्ध झेल चुका है जबकि दोनों अलग-अलग खेमे में खड़े थे
  • 1973 के अरब तेल संकट में भी दोनों देशों के संबंधों पर आंच नहीं आई
  • तेल के बदले सुरक्षा का समीकरण दोनों के बीच इस क़दर मज़बूत है कि उस पर 9/11 के हमलों का भी असर नहीं पड़ा
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जो बाइडन अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार सऊदी अरब और इसराइल के दौरे पर जा रहे हैं. इस क़दम को मध्य पूर्व देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते सुधारने की दिशा में एक बड़ा क़दम माना जा रहा है.

जो बाइडन जुलाई महीने में चार दिनों के लिए दोनों देशों के दौरे पर रहेंगे.

जो बाइडन का सऊदी अरब दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब कुछ महीने पहले ही ऐसी रिपोर्ट आई थी कि अमेरिकी प्रशासन की कोशिश के बावजूद सऊदी के नेताओं ने बाइडन से फ़ोन पर बातचीत करने से इनकार कर दिया था.

बाइडन ख़ुद भी मानवाधिकारों के ख़राब रिकॉर्ड का हवाला देकर सऊदी अरब की आलोचना करते आए हैं. साल 2019 में जब बाइडन राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे, उस समय उन्होंने पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या को लेकर सऊदी अरब को अलग-थलग करने की क़सम खाई थी.

साल 2018 में इस्तांबुल के सऊदी वाणिज्यिक दूतावास में सऊदी के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या हुई थी. इसको लेकर पश्चिमी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने शक़ जताया कि हत्या का आदेश क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दिया था.

अब उसी सऊदी अरब के दौरे पर जाना बाइडन प्रशासन की नीति में आए बड़े बदलावों को दिखाता है. बाइडन के सत्ता में आने के बाद व्हाइट हाउस की तरफ़ से यह भी कहा गया था कि वह अपने समकक्षों से ही बात करेंगे. यानी सऊदी अरब में उनके समकक्ष वहाँ के किंग सलमान हैं. क्राउन प्रिंस रक्षा मंत्री हैं और उनसे बात अमेरिका के रक्षा मंत्री ही करेंगे.

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सऊदी अरब-अमेरिका

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जो बाइडन के दौरे पर व्हाइट हाउस ने क्या बताया

बाइडन 13 से 16 जुलाई के लिए इसराइल और सऊदी अरब जा रहे हैं. इस दौरान बाइडन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मिलेंगे.

मोहम्मद बिन सलमान को ही साल 2018 में हुई वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या का ज़िम्मेदार बताया जाता है.

मंगलवार को व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैराइन जीन ने एक बयान जारी करके कहा, “राष्ट्रपति किंग सलमान के नेतृत्व और उनके न्योते की सराहना करते हैं. वो सऊदी अरब के इस अहम दौरे को लेकर आशान्वित हैं. सऊदी अरब क़रीब आठ दशकों से अमेरिका का अहम रणनीतिक साझीदार रहा है.”

बाइडन का ये दौरान इसराइल और वेस्ट बैंक से शुरू होगा. इसके बाद वो सऊदी अरब के जेद्दा पहुँचेंगे. यहाँ बाइडन गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और स्थानीय नेताओं से मुलाक़ात करेंगे. इस सम्मेलन में मिस्र, जॉर्डन और इराक़ के साथ ही नौ देशों के नेता शामिल होंगे.

सऊदी अरब-अमेरिका

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इमेज कैप्शन,साल 2011 में उपराष्ट्रपति रहते हुए जो बाइडन सऊदी अरब गए थे

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बाइडन की रणनीति में बदलाव के पीछे तेल के दाम?

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ड्रामा क्वीन

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डोनाल्ड ट्रंप ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति थे जो पद संभालने के बाद पहले विदेश दौरे पर सऊदी अरब गए थे. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को ट्रंप का क़रीबी माना जाता था. ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद उस प्रचलित परंपरा को तोड़ा था, जिसके तहत कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति पहले विदेशी दौरे पर या तो कनाडा जाता था या मेक्सीको.

जब अमेरिकी चुनावों में जो बाइडन की जीत की घोषणा हुई तो सऊदी अरब की तरफ़ से उन्हें थोड़ी देर में बधाई दी गई. लेकिन इससे चार साल पहले जब डोनाल्ड ट्रंप जीत कर व्हाइट हाउस में आए थे, उस वक़्त उसने नए राष्ट्रपति को बधाई देने में देर नहीं की थी.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से बढ़े ऊर्जा उत्पादों के दाम ने बाइडन प्रशासन को ये एहसास करा दिया कि सऊदी से रिश्तों में तनातनी बढ़ाने का ये सही वक़्त नहीं है.

14 साल में पहली बार कच्चे तेल के दाम 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गए हैं. सऊदी अरब और यूएई ही ऐसे देश हैं जो लाखों बैरल तेल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं.

बाइडन प्रशासन के कई अधिकारियों की ओर से सऊदी अरब को कई बार तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा गया, लेकिन ये कोशिशें नाकाम रहीं.

इसके लिए व्हाइट हाउस में मध्य-पूर्व के मामलों के लिए नियुक्त शीर्ष अधिकारी ब्रेट मैकगर्क, अमेरिकी ऊर्जा सलाहकार ऐमस हॉचस्टीन ने सऊदी का दौरा भी किया लेकिन हाथ ख़ाली ही रहे.

हालाँकि, सऊदी की अगुवाई वाले तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस ने एलान किया कि वो इस गर्मी में 50 फ़ीसदी तक उत्पादन बढ़ाने को तैयार हैं.

व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारियों में से एक जॉन किर्बी ने अल अरबिया को बताया कि जो बाइडन के दौरे पर होने वाली बैठकों में यमन में सऊदी की जंग, ऊर्जा उत्पादों की क़ीमतें चर्चा के अहम विषय रहेंगे.

बीते साल फ़रवरी महीने में आई अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी की एक रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाला गया था कि सऊदी अरब की सत्ता के आलोचक रहे पत्रकार जमाल ख़शोज्जी की हत्या की योजना को ख़ुद क्राउन प्रिंस सलमान ने मंज़ूरी दी थी. ख़ाशोज्जी की हत्या इस्तांबुल में की गई थी.

जमाल ख़ाशोजी

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इमेज कैप्शन,जमाल ख़ाशोजी की हत्या के बाद दुनियाभर में हुए थे विरोध प्रदर्शन

सलमान ने ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश देने के आरोपों को ख़ारिज कर दिया था. हालाँकि, इसके बाद से ही अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में तनातनी जारी है.

अगर बाइडन का दौरा सफल रहता है तो इससे ख़ाशोज्जी की हत्या के बाद से ख़राब हुए दोनों देशों के रिश्तों में तनाव कम होगा. इसके साथ ही ये फ़रवरी के बाद से कूटनीति के लिहाज से बाइडन की नीति में आए बदलाव को भी दिखाएगा.

बाइडन प्रशासन के अंतर्गत, अमेरिका की आलोचना इसलिए भी हो रही है क्योंकि अब उसने मध्य-पूर्व से ध्यान हटाकर चीन और रूस की ओर से आ रही चुनौतियों पर कर दिया है.

जॉन किर्बी ने अल अरबिया से कहा, “मैं आपको भरोसा दिला सकता हूँ कि मध्य-पूर्व क्षेत्र में हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है. हम कहीं नहीं जा रहे. मध्य-पूर्व सिर्फ़ हमारे राष्ट्र हित के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिहाज से बहुत अहम क्षेत्र है.”

वॉशिंगटन में बीबीसी संवाददाता बारबरा प्लेट को मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति बाइडन का ये दौरा पेट्रोल की क़ीमतों से अधिक सुरक्षा से जुड़े मसलों की वजह से हो रहा है.

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सऊदी प्रिंस ने बाइडन से बात करने से किया था इनकार

मोहम्मद बिन सलमान

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इसी साल मार्च महीने में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति बाइडन की सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं के साथ फ़ोन पर बातचीत की कोशिश की थी. लेकिन ये कोशिश नाकाम रही.

रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के शेख़ मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान दोनों ने ही अमेरिका की ओर से बाइडन से बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

रिपोर्ट में बाइडन और सऊदी प्रिंस के बीच बातचीत की तैयारी करने वाले अधिकारी के हवाले से कहा गया, “फ़ोन कॉल से कुछ उम्मीदें जुड़ी थीं, लेकिन ये हो नहीं पाई.”

हालाँकि, बाइडन ने 9 फ़रवरी को सऊदी किंग सलमान से बात की थी. वहीं, यूएई के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बाइडन और शेख़ मोहम्मद के बीच बातचीत के लिए फिर से तारीख़ तय की जाएगी.

बाइडन

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राष्ट्रपति बनने से पहले क्या बोले थे बाइडन?

बाइडन ने अपने चुनावी प्रचार के दौरान क़सम खाई थी कि वो सऊदी अरब को ‘अलग-थलग’ कर देंगे. उन्होंने इस दौरान संकेत दिए थे कि पत्रकार ख़ाशोजी की हत्या के लिए सऊदी की ज़िम्मेदारी तय करेंगे.

बाइडन ने ये भी कहा था कि यमन में सऊदी अरब बच्चों और मासूमों की जान ले रहा है.

न्यूज़वीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाइडन ने अक्टूबर 2020 में कहा था, “बाइडन और हैरिस प्रशासन में, हम सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करेंगे, यमन में सऊदी की जंग को मिल रहे अमेरिकी समर्थन को बंद करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हथियार बेचने या तेल ख़रीदने के ख़ातिर अमेरिका अपने मूल्यों से समझौता न करे.”

इस दौरे से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन एक और इतिहास रचेंगे. वो पहली बार इसराइल से सीधे रियाद जा रहे हैं. सऊदी अरब और इसराइल के बीच कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं.

सऊदी अरब ने हाल ही में इसराइल की उन कमर्शियल उड़ानों को अपने वायुक्षेत्र में आने की इजाज़त दी थी, जो संयुक्त अरब अमीरात के लिए जाती हैं. राष्ट्रपति जो बाइडन इसराइल के प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट और फ़लस्तीन के प्रशासक महमूद अब्बास से मिलेंगे.