ये ऐसे समय हो रहा है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर सैन्य गतिरोध बरकरार है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर तीसरी बार राष्ट्रपति बनते ही भारत के राजदूत को क्यों बदल रहे हैं शी जिनपिंग? पुराने राजनायिक ने जाते-जाते क्या बोला? इसके कूटनीतिक मायने क्या हैं? आइए समझते हैं…
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भारत-चीन
चीन में शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति चुन लिया गया है। इस बीच, भारत-चीन के रिश्तों को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव खत्म होंगे या पहले के मुकाबले अधिक बढ़ जाएंगे?
इन सवालों के बीच चीन ने भारत में नए राजदूत की नियुक्ति का फैसला लिया है। ये ऐसे समय हो रहा है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर सैन्य गतिरोध बरकरार है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर तीसरी बार राष्ट्रपति बनते ही भारत के राजदूत को क्यों बदल रहे हैं शी जिनपिंग? पुराने राजनायिक ने जाते-जाते क्या बोला? इसके कूटनीतिक मायने क्या हैं? आइए समझते हैं…
क्या दोनों देशों के रिश्ते ठीक होंगे?
विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी अभय श्रीवास्तव कहते हैं, ‘चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में जिस तरह से गलवान संघर्ष में शामिल रहे सैन्य अधिकारियों को बुलाया गया, उसे देखकर ऐसा नहीं लगता है कि दोनों देशों के रिश्तों में कुछ ठीक होने वाला है। शी जिनपिंग के बयानों से साफ लगता है कि वह चीन को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ताकत मानने लगे हैं। अब उनकी नजर अमेरिका को पछाड़ कर दुनिया का नंबर एक देश बनने पर है। शी ने तीसरा कार्यकाल हासिल कर लिया है। मतलब अब वह 2032 तक सत्ता में बने रहेंगे।’
अभय आगे कहते हैं, ‘पहले से ज्यादा ताकतवर हो चुके जिनपिंग के बयानों को सुनकर लगता है कि चीन का रवैया पड़ोसी देशों के खिलाफ ज्यादा सख्त होने वाला है। फिर वह भारत और चीन की बात हो या फिर ताइवान, तिब्बत या कोई दूसरा देश।’