क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा? पढ़ें, भगवान श्रीकृष्ण और इंद्रदेव से जुड़ी ये रोचक कथा

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते है.

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते है.

Govardhan Puja 2022: हिंदू धर्म में हर त्योहार का अपना महत्व है. दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजन में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है.

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते है. पर बहुत कम लोग ये जानते हैं कि गोवर्धन पूजा आखिर क्यों की जाती है. गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है. तो चलिए आज पंडित इंद्रमणि घनस्याल से गोवर्धन पूजा की कथा को विस्तार से जानते हैं.

गोवर्धन पूजा की संपूर्ण कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रज में पूजन कार्यक्रम चल रहा था. सभी ब्रजवासी पूजन कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हुए थे. भगवान श्रीकृष्ण ये सब देखकर व्याकुल हो जाते हैं और अपनी माता यशोदा से पूछते हैं- मैया, ये सब ब्रजवासी आज किसकी पूजा की तैयार में लगे हैं. तब यशोदा माता ने बताया कि ये सब इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे हैं.

तब श्रीकृष्ण फिर से पूछते हैं कि इंद्र देव की पूजा क्यों करेंगे, तो यशोदा बताती हैं कि इंद्र देव वर्षा करते हैं और उस वर्षा की वजह से अन्न की पैदावार अच्छी होती है. जिससे हमारी गाय के लिए चारा उपलब्ध होता है.

तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्रदेव का वर्षा करना कर्तव्य है. इसलिए उनकी पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गोवर्धन पर्वत पर गायें चरती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इससे इंद्रदेव नाराज हो गए और क्रोध में आकर मूसलाधार बारिश करने लगे. जिस वजह से हर तरफ कोहराम मच गया.

सभी ब्रजवासी अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भागने लगे. तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने पर्वत के लिए शरण ली. जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने श्रीकृष्ण से मांफी मांगी. इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गौवंश की पूजा का बहुत महत्व है.