नई दिल्ली. भारत में 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को पड़ा है. इस सूर्य ग्रहण के कारण दीपावली के बाद आने वाले पर्व की तिथियां आगे बढ़ गई हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए. पुराणों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि ग्रहण काल में मनुष्य जितना अधिक अन्न खाता है, उसे उतने ही वर्षों तक नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं. इसके अलावा यह भी बताया गया है कि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय भोजन करने से व्यक्ति को पेट के रोग हो जाते हैं. आइए जानते हैं ग्रहण के समय भोजन करना क्यों अच्छा नहीं माना जाता है.
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो वैज्ञानिक परीक्षणों में यह बात सामने आई है कि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में आने वाली पराबैंगनी किरणों (ultraviolet rays) के कारण भोजन विषैला हो जाता है. इसलिए पके भोजन पर कुश या तुलसी के पत्ते रखे जाते हैं या अधिकांश ग्रहणों के दौरान लोग उपवास रखते हैं. तुलसी के पत्तों को पके हुए भोजन में रखने से सभी हानिकारक दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं. तुसली की पत्तियों के एंटी-बैक्टीरियल गुण बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं. कुछ लोग ग्रहण के बाद बाद तुलसी के इन पत्तों को खाते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण जीवाणु सक्रिय हो सकते हैं और भोजन को खराब कर सकते हैं. यह भी कहा जाता है कि यह पके हुए खाने से ज्यादा कच्चे खाने को नुकसान पहुंचाता है. वैसे तो ग्रहण के दौरान खाना खाने की मनाही होती है, लेकिन कुछ स्थितियों में कुछ लोगों को खाने की छूट दी जा सकती है. उदाहरण के लिए बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं या मरीज भोजन कर सकते हैं. मान्यताओं के अनुसार जरूरत पड़ने पर ये सभी लोग सूर्य ग्रहण से एक घंटे पहले भोजन कर सकते हैं.