पिछले कुछ समय में केंद्रीय बैंकों की स्थिति पब्लिक की नजर में गिरी है. कुछ दिन पहले तक ही केंद्रीय बैंक लोगों की नजर में हीरो की तरह थे. मौद्रिक नीतियों में छूट देकर वे दुनिया की इकनामी ग्रोथ को तेजी से बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे थे. अब महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाकर वे विलेन की भूमिका में आ गए हैं.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. रघुराम राजन ने कहा है कि केंद्रीय बैंकों के सामने एक अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो गई है. पिछले कुछ समय में केंद्रीय बैंकों की स्थिति पब्लिक की नजर में गिरी है. कुछ दिन पहले तक ही केंद्रीय बैंक लोगों की नजर में हीरो की तरह थे. मौद्रिक नीतियों में छूट देकर वे दुनिया की इकनामी ग्रोथ को तेजी से बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे थे. अब महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाकर वे विलेन की भूमिका में आ गए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि अमेरिका सहित दुनिया भर के कई केंद्रीय बैंक महंगाई का सही अंदाजा लगाने में नाकाम रहे हैं. अब जब महंगाई 4 दशक के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है, उनके पास ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. रघुराम राजन ने कहा है कि अगर केंद्रीय बैंक सिर्फ महंगाई को काबू करने पर अपना फोकस रखें तो इसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं.
उनका कहना है कि केंद्रीय बैंकों को इतनी आजादी दी जानी चाहिए कि वह महंगाई को काबू करने के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से कदम उठा सके.
रघुराम राजन ने कहा है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंक जो कदम उठा रहे हैं उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. दुनिया भर के राजनेताओं को लगता है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाकर उनके काम में दखलंदाजी कर रहे हैं, यह सही नहीं है.
साल 2020 में कोरोनावायरस संकट और इसकी वजह से दुनिया भर की इकोनामी पर विपरीत असर पड़ा था. दुनिया भर के देशों की राजकोषीय स्थिति चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई और जीडीपी में काफी कमजोरी दर्ज की गई थी. इस वजह से केंद्रीय बैंक उस वक्त देश की इकोनॉमी को बढ़ाने में मदद कर रहे थे.
अब जब कोरोना के दौर में दिए गए राहत पैकेज की वजह से दुनिया भर में महंगाई सर उठाने लगी है, बैंकों को अपने हिसाब से महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करने देना ही समझदारी वाला कदम है.