आखिर क्यों उड़ रही है नींद? AIIMS की एक्सपर्ट ने बताया कोरोना से आपकी नींद और अल्जाइमर का रिश्ता

दुनिया भर में कोविड के बाद से अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) और इन्सोमनिया (अनिद्रा) के मरीजों की संख्या बढ़ी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर-Shutterstock)

दुनिया भर में कोविड के बाद से अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) और इन्सोमनिया (अनिद्रा) के मरीजों की संख्या बढ़ी है

नई दिल्ली. क्या आपको नींद की समस्या हो रही है? रात को देर से सोते हैं या फिर सोने के बाद जल्दी नींद खुल जाती है. इस तरह की दिक्कत है तो बेहतर होगा कि आप जल्द से जल्द डॉक्टर से सम्पर्क करें. कोविड से ठीक हुए मरीजों में इस तरह की परेशानी काफी तेजी से देखने को मिल रही है. एम्स के न्यूरो विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी ने न्यूज 18 इंडिया से खात बातचीत में बताया कि भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कोविड के बाद से अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) और इन्सोमनिया (अनिद्रा) के मरीजों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद सबसे बड़ी परेशानी इस बीमारी को लेकर ये है कि लोगों को पता ही नहीं चल रहा कि वो ऐसी किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो चुके हैं.

पोस्ट कोविड क्यों बढ़ी बीमारी?
डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि अल्जाइमर के रोग का पता और इलाज पिछले दो साल में सही तरीके से नहीं हो पाया. कोविड-19 के बाद काफी संख्या में यह बीमारी बढ़ी, क्योंकि 2 साल तक मरीज इलाज से वंचित रह गया और इस बीच में नए मरीज आए, नई परिस्थियां पैदा हुईं जिसकी वजह से बड़ी तादाद में इसकी संख्या बढ़ी है.

अल्जाइमर बीमारी क्या है?
डॉक्टर मंजरी ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी इस बात की है कि मरीज यह समझने को तैयार ही नहीं होता कि उसे अल्जाइमर है. 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगता है कि वह भूलने की समस्या से बहुत परेशान हैं. उसे ऐसा भी लगता है कि यह उम्र की शिकायत है, लेकिन हकीकत में वे अल्जाइमर नामक बीमारी का शिकार हो चुका होते हैं.

वह कहती हैं, ‘वास्तव में लोग इस बीमारी को अभी समझ नहीं पाए हैं. आज-कल बहुत कम लोगों को ही अल्जाइमर नामक बीमारी की जानकारी है, जो कि मस्तिष्क और याद्दाशत को क्षति कर देती है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति यह भी भूल जाता है कि कौन उसका नज़दीकी रिश्तेदार से की याद्दाशत धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है कि उसका शरीर स्वस्थ और पुष्ट रहता है. ऐसे रोग शरीर से तो सबके बीच में रहते हैं, लेकिन दिमागी तौर पर वे दीन-दुनिया से कट जाते हैं.

रिसर्च में क्या है?
डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि पोस्ट कोविड सिम्प्टम में लोगों में ब्रेन फॉग, काम करना या याद रखना इन सबमें दिकक्त आ रही है. इसको डिमेंशिया ब्रेनफॉग कह सकते हैं. इसके साथ ही दूसरी बात यह है कि पोस्ट कोविड मरीज में थकान और काम न कर पाने की समस्या भी बहुत बढ़ रही है. इसके साथ याददाश्त में परेशानी भी है. कोविड से पहले 50 साल या 70 साल के लोग भी काफी दौड़ते थे, घूमते थे, लेकिन पिछले 2 सालों में सब कुछ बंद हो गया है. उसकी वजह से यह परेशानी आई है. उन्होंने कहा कि यह परेशानी वर्ल्ड वाइड हो गई है. कोवड के बाद पोस्ट कोविड, लॉन्ग कोविड यह पूरी दुनिया के लिए समस्या बन चुकी है.

ये लक्षण दिखें तो हो सकता है अल्जाइमर
डॉ. त्रिपानी बताती हैं, ‘तत्कालीन लक्षणों में व्यक्ति अपने छोटे मोटे कामकाज को भूलने लगता है. यह मामूली काम भी उसके इस भूलने का शिकार हो जाते हैं. उनकी बोलचाल की भाषा भी प्रभावित होने लगती है. समय व स्थान बताने में असमर्थ होते हैं. उसके विचार भी प्रभावित होते हैं. सोचने-समझने की शक्ति भी खत्म होने लगती है. चीजें रखकर भूल जाना आदि.’ वह बताती हैं कि लोगों से सम्पर्क घटने लगता है और रोगी एकांत में रहने लगता है. पहले जैसे काम करने की उसकी क्षमता भी खत्म हो जाती है.

गलत दवाइयों के इस्तेमाल से बचें
डॉक्टर मंजरी ने बताया कि अमूमन नींद नहीं आने की बीमारी को इन्सोमीनिया कहते हैं. कोविड के बाद यह पाया गया है कि लोगों में नींद में काफी बुरे सपने आ रहे हैं, कुछ लोग घबराकर उठ जाते हैं. इसे हम तकनीकी भाषा में इन्सोमनिया कहते हैं. ऐसे में लोग बहुत जल्दी दवाई लेने लगते हैं. इसमें ज्यादा जरूरी है कि तुरंत दवाई ना लें, क्योंकि ये दवाइयां ऐसी होती है जो एक बार शुरू हो गई तो फिर छूटेगी नहीं.