चीन में पुलिस को दौड़ा-दौड़ाकर क्यों पीट रही नाराज भीड़? लोगों का दर्द जान आपको भी आएगा गुस्सा

चीन में कोरोना महमारी को लेकर लागू प्रतिबंध हटने का असर दिखने लगा है। चोंगकिंग शहर में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिस की जमकर पिटाई की है। ये भीड़ एक फैक्ट्री के कर्मचारियों की है, जो नौकरी जाने से नाराज हैं। यह फैक्ट्री कोरोनाकाल में चीनी लोगों के दवाएं बनाती थी।

China Protest
चीन में विरोध प्रदर्शन

बीजिंग: चीन में कोरोना महामारी में लागू की गई कठोर पाबंदियों को खत्म कर दिया गया है। इसी के साथ चीन ने अपनी सीमाएं सभी लोगों के लिए खोल दी है। पूरे देश में भी लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जा सकते हैं। इतना ही नहीं, महामारी के दौरान जबरन कैद किए गए लोगों के भी रिहाई के आदेश दे दिए गए हैं। इस बीच चीन के चोंगकिंग में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में गुस्साई भीड़ रात के वक्त सड़क पर पुलिसकर्मियों की पिटाई करती नजर आ रही है। पुलिसकर्मी इन लोगों से बचने के लिए पीछे हटते हुए ढाल की आड़ लेते दिखाई दिए। इस घटना में कई श्रमिकों, पुलिसकर्मियों और दूसरे लोगों को गंभीर चोट भी लगी है।
भीड़ ने क्यों की पुलिस की पिटाईयह घटना 7 जनवरी की बताई जा रही है। दरअसल, इस दिन चोंगकिंग दादुकौ झोंगयुआन हुइजी फार्मास्युटिकल फैक्ट्री ने कर्मचारियों के साथ बातचीत किए बिना 10,000 से अधिक श्रमिकों को काम से निकाल दिया। फैक्ट्री ने श्रमिकों को बकाया वेतन का भुगतान भी नहीं किया। इश कारण इस फैक्ट्री के करीब 20000 श्रमिक विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आए। उन्होंने पहले तो फैक्ट्री के अंदर विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ की। उनका गुस्सा जब इससे भी शांत नहीं हुआ तो इसके जिम्मेदार व्यक्तियों यानी कि कंपनी के अधिकारियों की जमकर पिटाई की। इसके बाद फैक्ट्री ने पुलिस को बुला लिया, जिससे श्रमिकों की इनसे भी भिड़ंत हो गई।

दिन-रात काम करने का फैक्ट्री ने दिया ऐसा इनाम

इन श्रमिकों ने चीन में कोरोना महामारी के चरम पर होने के दौरान दवाइयां बनाने के लिए दिन-रात काम किया था। इन श्रमिकों की भागीदारी से ही चीनी सरकार पूरे देश में दवाइयों के अकाल को खत्म कर पाई। लेकिन, जब कोरोना प्रतिबंध खत्म हुए और दवाइयों की मांग कम हुई तो फैक्ट्री ने इन श्रमिकों को बिना बताए काम से निकाल दिया। चीन के श्रम कानूनों के अनुसार, ये श्रमिक चाहकर भी कोई कानूनी कदम नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में उन्होंने सड़क पर उतरकर फैक्ट्री के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला किया।