पराली जलाकर क्‍यों फैला रहे प्रदूषण, जब सरकार की मदद से सालाना लाखों कमाने का है मौका!

सर्दियां आते ही बढ़ने लगीं पराली जलाने की घटनाएं.

सर्दियां आते ही बढ़ने लगीं पराली जलाने की घटनाएं.

नई दिल्‍ली. पराली जलाने की घटनाएं फिर बढ़ने लगी हैं और दिल्‍ली सहित आसपास के शहरों का दम घुट रहा है. सुप्रीम कोर्ट और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद न तो पराली जलने की घटनाओं पर लगाम लग रहा है और न ही प्रदूषण घटने का नाम ले रहा है. हालांकि, अगर आप पराली जलाने के बजाए उसका प्रबंधन और मोनेटाइजेशन करना चाहते हैं तो सरकार की मदद से सालाना 20 लाख रुपये तक कमाई कर सकते हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने हाल में ही एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि पराली जलाने की घटनाएं करीब 13 फीसदी बढ़ गई हैं और दिल्‍ली-एनसीआर में हवा जहरीली हो गई है. आईसीएआर का कहना है कि देश में पराली बड़ी समस्‍या बन गया है. हर साल करीब 700 मीट्रिक टन एग्रीकल्‍चर वेस्‍ट निकलता है, जिसमें से अभी सिर्फ 0.03 फीसदी वेस्‍ट का ही इस्‍तेमाल हो पा रहा है. इससे पता चलता है क‍ि यह समस्‍या कितनी बड़ी है और इसमें अवसर भी कितना ज्‍यादा है. पंजाब और हरियाणा में ही सालाना लगभग 2 करोड़ टन से ज्यादा धान की पराली पैदा होती है. इसमें से लगभग 64 लाख टन का प्रबंधन नहीं हो पाता है और इसे आग लगा दी जाती है.

कहां करें इसकी सप्‍लाई
यह बात तो सभी को पता है कि देश में बिजली की ज्‍यादातर मांग अभी कोयले के जरिये ही पूरी की जाती है. एक तो इसका उत्‍पादन करना कठिन होता है, दूसरे कि इससे भी प्रदूषण फैलता है. ऐसे में सरकार ने बिजली संयंत्रों से पराली का इस्‍तेमाल जैव कोयले के रूप में करने का सुझाव दिया है. इतना ही नहीं सरकार ने तो कोयला संयंत्रों में 5 से फीसदी बायो वेस्‍ट इस्‍तेमाल करना जरूरी भी बना दिया है.

सरकार की मदद से बनाएं संयंत्र
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार टॉरफेक्‍शन और पेलेटाइजेशन संयंत्र स्‍थापित करने में मदद कर रही है. इसके जरिये न सिर्फ पराली की समस्‍या को दूर किया जा सकता है, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सकती है. इस प्‍लांट में फसल के अवेशेषों को जैव कोयले में बदला जाता है और इसे लगाने में सरकार मदद भी करेगी.

सरकार देती है सब्सिडी
इस प्‍लांट को लगाकर किसान हर साल लाखों रुपये कमाई कर सकते हैं. अभी सरकार ने प्‍लांट लगाने वालों को सब्सिडी देने के लिए 50 करोड़ रुपये का फंड बनाया है. इसके तहत नॉन टॉरफाइड पेलेट प्‍लांट लगाने के लिए 14 लाख रुपये प्रति टन प्रति घंटे की सब्सिडी और टॉरफाइड पेलेट प्‍लांट के लिए 28 लाख रुपये प्रति टन प्रति घंटे की सब्सिडी मिल रही है. एक प्‍लांट में नॉन-टॉरफाइड के लिए 70 लाख और टॉरफाइड के लिए 1.40 करोड़ रुपये की अधिकतम सब्सिडी मिल सकती है.

ऐसे भी कर सकते हैं कमाई
आप चाहें तो धान की पराली को सीधे मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट को सप्‍लाई करके भी कमाई कर सकते हैं. इसका इस्‍तेमाल पेपर मिल और हार्ड बोर्ड बनाने में किया जाता है. इन प्‍लांट को अगर आप सीधे पराली की सप्‍लाई करते हैं तो 135 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा जा सकता है. यानी आप खुद के खेत से पराली निकालें या अन्‍य किसानों से लेकर उसे बेच दें, आपको तगड़ा मुनाफा होने वाला है. आप सीधे किसानों से खरीदना चाहते हैं तो 5 हजार रुपये प्रति एकड़ के भाव से इसे खरीदा जा सकता है.

इन विकल्‍पों से भी कमा सकते हैं पैसा
1- जैविक खाद : आप पराली का इस्‍तेमाल जैविक खाद बनाने में कर सकते हैं और अगर आप किसान है तो इसका इस्‍तेमाल अपने खेत में कर सकते हैं या फिर इसे अन्‍य किसानों को बेच सकते हैं.
2-जैविक ईंट : मकान बनाने के लिए जरूरी नहीं कि मिट्टी की ईंटों का निर्माण किया जाए आप जैविक ईंट का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं. इसे कृषि अपशिष्‍ट से बनाया जाता है और यह मिट्टी वाली ईंट से ज्‍यादा टिकाऊ भी होती है.
3-दोना पत्‍तल : पराली का इस्‍तेमाल दोना और पत्‍तल बनाने में भी किया जा सकता है, जो आजकल काफी चलन में है.
4-कागज : पराली का इस्‍तेमाल कागज बनाने में भी किया जा सकता है, क्‍योंकि इससे हार्ड बोर्ड और दफ्ती जैसी चीजें बनाना काफी आसान है.
5-तारकोल : इसे कोयले को गर्म करके बनाया जाता है, जिसमें पराली का बखूबी इस्‍तेमाल होता है. आप चाहें तो पराली को तारकोल बनाने वाली कंपनियों को सप्‍लाई कर सकते हैं.
6- कोयला : लकड़ी के जरिये कोयला बनाया जाता है और इसमें पराली का खूब इस्‍तेमाल होता है. आप चाहें तो खुद कोयला बनाने का बिजनेस शुरू कर सकते हैं या फिर इसे बनाने वाले को पराली की सप्‍लाई कर सकते हैं.