स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं लकवे की समस्या आंशिक या पूर्ण दोनो प्रकार की हो सकती है। लकवा होने के बाद शारीरिक कार्यों को फिर से सुचारू करने के लिए दवाइयों के साथ फिजियोथेरेपी अभ्यास की सिफारिश की जाती है। विशेषज्ञों ने पाया कि अगर रोगी को योग कराया जाए तो भी लकवा से तेजी से रिकवरी मिल सकती है।
इसके अलावा नियमित योग के अभ्यास की आदत मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखती है जिससे लकवा जैसी स्थितियों का जोखिम कम होता है। आइए जानते हैं कि लकवा क्यों होता है और इससे बचाव के लिए किन योगासनों का अभ्यास किया जाना चाहिए?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, लकवा की समस्या मुख्यरूप से स्ट्रोक या रीढ़ की हड्डी- गर्दन में चोट के कारण होती है। कुछ प्रकार के तंत्रिका से संबंधित रोग जैसे कि एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस और ऑटोइम्यून रोग जैसे गुलियन बैरे सिंड्रोम के कारण भी लकवा हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं जिन लोगों को हाई डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की अक्सर दिक्कत बनी रहती है ऐसे लोगों को भी विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए, ये स्थितियां भी लकवा के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। शारीरिक सक्रियता को बनाए रखकर लकवा के खतरे को कम किया जा सकता है, योग इसमें अच्छा विकल्प माने जाते हैं।
कैट पोज़ या मार्जरी आसन आपके रीढ़, कंधों और कूल्हों की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने, मुद्रा में सुधार करने में लाभकारी माना जाता है। तंत्रिका की समस्या को कम करने में भी इस योग के नियमित अभ्यास के लाभ हैं। मार्जरी आसन का अभ्यास मांसपेशियों में रक्त संचार को ठीक रखने और लकवा के खतरे को कम करने में मददगार है। सभी उम्र के लोगों को इस योग का नियमित अभ्यास करना चाहिए।
लकवा के लिए जिन कारकों को जिम्मेदार माना जाता है उनमें रक्तचाप का बढ़ना और तंत्रिकाओं को होने वाली समस्या प्रमुख है। इन दोनों स्थितियों को कंट्रोल करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास आपके लिए बेहतर योग विकल्प हो सकता है। प्राणायाम के माध्यम से मस्तिष्क को शांत रखने, तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इस योग के अभ्यास की आदत लकवा के जोखिमों को कम करने में आपके लिए सहायक हो सकती है। सभी उम्र के लोगों को दैनिक रूप से इस योग का अभ्यास करते रहना चाहिए।
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नोट: यह लेख स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
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