जलवायु परिवर्तन (Climate Change), वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को लेकर वैज्ञानिकों के नए अध्ययन और ज्यादा डरावने होते जा रहे हैं. दुनिया भर के देशों ने मिल कर पेरिस समझौते में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन (CO2 Emission) कम करने के प्राथमिक तौर पर लक्ष्य तय किए हैं. उन्हें इस सदी के मध्य तक वायुमंडल से अरबों टन CO2 हटाने की जरूरत है. और इसके बाद हमें एक स्तर कायम रखने के लिए बहुत सारी CO2 हर साल हटाते रहना होगा. हमें पढ़ाया जाता रहा है कि पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उससे ऑक्सीजन बनाकर कार्बन सहेज लेते हैं. तो क्या हम केवल भारी संख्या में पौधा रोपण कर इस समस्या को हल नहीं कर सकते? (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
आइसलैंड की कार्बफिक्स नाम की कंपनी CO2 को वायुमंडल (Atmosphere) से खींच कर जमीन के नीचे गहराई में पहुंचाकर उसे पत्थर में बदलने की तकनीक पर काम करती है. इसके रिसर्च और इनोवेशन प्रमुख हेलगैसन कहते हैं कि CO2 की यह मात्रा बहुत ही ज्यादा है. लेकिन कार्बफिक्स जैसी कंपनी के अस्तित्व की वजह ही यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड हटाने का यह काम केवल पेड़ पौधे (Plantation) अकेले नहीं कर सकते हैं.
हेलगैसन का कहना है कि हम इस संकट में केवल पेड़ जलाने की वजह से नहीं फंसे हैं. हमने पिछले सौ सालों में करोड़ों अरबों टन के पेड़ पौधे जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) के रूप में निकाल कर जलाए हैं. हेलगैसन के मुताबिक अब हम इतने आगे आ गए हैं कि हम इसकी भरपाई नहीं कर सकते हैं. यानि हम इतने ज्यादा पेड़ नहीं लगा सकते (Plantation) हैं की पुरानी अवस्था में पहुंच सकें. मान लिया जाए कि पेड़ लगाने से CO2 की समस्या का हल निकल सकता तो पौधारोपण जितना लगता या कहा जाता है उतना आसान समाधान नहीं है.
इसमें एक मुद्दा निर्वनीकरण (Deforestation) यानि वनों की कटाई का है. एक अनुमान लगाया गया है कि जहां हर साल 15 अरब पेड़ (Trees) काटे जाते हैं, केवल 5 अरब नए पौधे ही लगाए जाते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि हर साल 10 अरब पेड़ों का सीधा नुकसान होता है. इसे ध्यान में रखते हे कुछ शोधकर्ताओं का सुझाव है कि हमें पहले 10 खरब पेड़ लगाने होंगे और उनके बड़े होने का इंतजार करना होगा, तब कहीं जाकर उनका जलवायु परिवर्तन (climate change) पर असर होगा.
कुछ शोधों के मुताबिक अगर 10 खरब पेड़ लग कर परिपक्व भी हो गए तो ज्यादा से ज्यादा 1012 अरब टन की CO2 अवशोषित कर सकेंगे और यह अभी तक के इंसानों के द्वारा उत्सर्जित किए गए समस्त CO2 उत्सर्जन का केवल एक तिहाई ही होगा. इसके अलावा एक मुद्दा आवास का है. यूरोपीयसंघ द्वारा अनुदानित REFOREST परियोजना के अनुसार जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के एक नतीजा गंभीर सूखों (Droughts) की बढ़ती संख्या भी है जो घटते जंगलों का कारण भी है. ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) इसे और बढ़ाने का काम ही कर रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)