प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज़ नहीं होती. न ही उसे अमीर गरीब से कोई फर्क पड़ता है, वो तो बस उसे ही चुनती है जो उसकी कद्र जानता है. साथ छूटने के बाद भी साथ निभाना किसे कहते हैं ये अगर किसी को जानना है तो उस बुज़ुर्ग से मिले जिसने खेल का साथ छूटने के बाद भी अपनी प्रेक्टिस नहीं छोड़ी. और अब आलम ये है कि इस उम्र में भी उनकी प्रतिभा और जुनून देख युवा भी दंग रह जाते हैं.
IPS Dipanshu Kabra ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ऐसे बुज़र्ग का वीडियो शेयर किया 64 साल की उम्र में भी ऐसा फुटबॉल खेलते हैं कि युवा खिलाड़ी भी उन्हें देखकर दांतो तले उंगली दबा लेंगे. ये बुज़ुर्ग पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं और कभी केरल के वायनाड फुटबॉल टीम के प्लेयर थे लेकिन आज भी उन्होंने अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी. तभी तो बॉल पर आज भी कमाल का कमांड रखते हैं
बुढ़ापे में बॉल पर कमाल का कमांड रखते हैं दादा दी
अगर कुछ कर गुज़रने का जज्बा हो, मन में जोश और जुनून बाकी हो तो उम्र कभी उस राह में रोड़ बन ही नहीं सकती. ये सही साबित कर 64 साल के उस बुज़ुर्ग ने पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं लेकिन अपने जवानी के दिनों में वो केरल के ज़िले वायनाड फुटबॉल टीम का हिस्सा थे. उम्र बढ़ने के साथ टीम का साथ तो छूट गया लेकिन उन्होंने अपने दिल और जीवन से फुटबॉल को कभी अलबिदा नहीं कहा. यही वजह है कि वो अब भी फुटबॉल खेलते है, नियमित उसकी प्रैक्टिस करते हैं. फुटबॉल किट हमेशा उनके साथ रहती है. आज भी वो किसी पेशेवर खिलाड़ी की ही तरह चुस्त-दुरूस्त और एक्टिव है. यकीन न हो तो एक बार इस वीडियो को ज़रूर देख लें, जहां उन्होंने बॉल का साथ मिलते ही कैसे कमाल की ट्रिक अप्लाई की जिसे देख जवान खिलाड़ी बस देखता ही रह गया.
उम्र को नंबर से ज्यादा कुछ नहीं मानते वो
पहले तो उस युवक को लगा होगा कि बुज़ुर्ग के सामने फुटबॉल के साथ खेल कर वो उन्हें चौंका देगा या फिरउन पर अपना इंप्रेशन छाड़ पाएगा, लेकिन जैसे ही बॉल बुज़ुर्ग के पास गई उन्होंने बता दिया कि ‘प्रैक्टिस मेक्स मैन परफेक्ट’ और दादा जी के पास तो दोगुना अनुभव और तगड़ा जुनून है तो भला उनके कैसे जीत पाता वो. पैर तो पैर सिर और सोल्डर्स पर भी बॉल का कमाल का बैलेंस कर ले गए दादा जी.