बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर यूपी जेडीयू अभी भी आशान्वित है.
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में अब 2 साल से भी कम का वक्त रह गया है. इसे देखते हुए सभी पार्टियां इसकी तैयारी में जुट गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुट गए हैं, ताकि साल 2024 में होने वाले संसदीय चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जा सके. इन सबके बीच लाख टके का सवाल यह है कि क्या बिहार के सीएम नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे? नीतीश कुमार पहले ही फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात खारिज कर चुके हैं, इसके बावजूद उत्तर प्रदेश से उनके चुनाव लड़ने का सवाल फिर से उठने लगा है. दरअसल, जनता दल यूनाइटेड (JDU) की यूपी इकाई को उम्मीद है कि नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे.
जेडीयू की उत्तर प्रदेश इकाई को उम्मीद है कि विपक्षी एकता का संदेश देने के लिए नीतीश कुमार अपने फैसले पर फिर से विचार करेंगे. उत्तर प्रदेश जेडीयू के अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल ने कहा, ‘नीतीश कुमार द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की उम्मीद है. पटना में हाल में ही आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में हमलोगों ने नीतीश कुमार को एक प्रस्ताव दिया था. इसमें फूलपुर, मिर्जापुर या अंबेडकरनगर में से किसी एक सीट से लोकसभा चुनाव-2024 लड़ने का प्रस्ताव था. इसको लेकर हमें तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है, इसलिए हमलोग आशान्वित हैं.’ पटेल ने आगे बताया कि उन्होंने जेडीयू की उत्तर प्रदेश इकाई के कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद ही यह प्रस्ताव नीतीश कुमार के समक्ष रखा था.
फूलपुर, अंबेडकरनगर और मिर्जापुर ही क्यों?
सवाल उठता है कि यूपी जेडीयू प्रमुख अनूप सिंह पटेल ने नीतीश के समक्ष फूलपुर, अंबेडकरनगर और मिर्जापुर लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ने का प्रस्ताव क्यों रखा? इस पर पटेल कहते हैं, ‘इन तीनों सीटों पर तकरीबन 40 फीसद कुर्मी वोटर हैं.’ फूलपुर सीट को लेकर वह बताते हैं कि यहां से जवाहरलाल नेहरू और वीपी सिंह इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे में जब हमारे नेता फूलपुर से चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित रूप से एक मजबूत संदेश जाएगा. अंबेडकनगर को लेकर उनका तर्क है कि यह समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया का जन्मस्थान है हमलोग लोहिया के अनुयायी है. इसे देखते हुए इस सीट का चयन किया गया. वहीं, मिर्जापुर को लेकर पटेल बताते हैं कि यह वाराणसी से समीप है, ऐसे में यदि नीतीश कुमार यहां से चुनाव लड़ते हैं तो इसका बड़ा संदेश जाएगा. साथ ही बिहार और उत्तर प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं के एकजुट होने का मैसेज भी जाएगा.
नीतीश कुमार NDA से नाता तोड़ने के बाद विपक्षी खेमे में चले गए हैं. इसके साथ ही बिहार के सीएम विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुट गए हैं. इसी सिलसिल में वह पिछले दिनों नई दिल्ली की यात्रा पर भी आए थे. उन्होंने विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात की थी. नीतीश कुमार रविवार 25 सितंबर को हरियाणा के फतेहपुर में आयोजित सम्मान दिवस रैली में शामिल होकर विपक्षी एकता का संदेश देने की कोशिश की. उन्होंने यूपी से चुनाव लड़ने की बात पर पहले ही कह चुके है कि वह विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहते हैं.