Bihar Politics on JP: आज यानि 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानी जेपी की जयंती है। इस जयंती पर एक तरफ अमित शाह जेपी की जन्मस्थली सिताब दियारा आ रहे हैं तो नीतीश तीन साल तक उनके कर्मस्थल रहे नागालैंड जा रहे हैं। इसे बिहार की सियासत का सुपर ट्यूजडे भी कह सकते हैं।
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पटना: आज का दिन बिहार से ज्यादा यहां की सियासत के लिए अहम है। आज एक ऐसे नेता की जयंती है जिनके नाम की नीतीश और लालू दोनों ही कसमें खाते हैं। दोनों ही ये जताने की भरपूर कोशिश करते हैं कि वो लोकनायक के चेले हैं। 1975 की इमरजेंसी में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले थे। जेपी यानि जयप्रकाश नारायण की जयंती के इसी मौके पर अमित शाह भी उनकी जन्मस्थली सिताब दियारा में हैं तो नीतीश उनकी कर्मस्थली नागालैंड में। कोशिश यही है कि जेपी की जयंती पर उनके नाम के सहारे सियासत की नाव में सवारी कर ली जाए।
हम जेपी की इच्छा पूरी कर रहे- नीतीश
जेपी की जयंती पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गए और फिर पत्रकारों से रूबरू हुए। इस दौरान नीतीश ने कहा कि ‘आपको मालूम है कि जेपी की जयंती है, हमलोग शुरू से ही मना रहे हैं। आप जानते हैं कि जो मूर्ति स्थापित हुई है, आप देख लीजिए कि हमलोगों ने कहा था कि यहीं पर जेपी की मूर्ति होनी चाहिए। यहां लिखा होगा। जेपी के नेतृत्व में ही हमने काम किया। जेपी आंदोलन में हमने भाग लिया, हमने उनसे निवेदन किया तो वो तैयार हो गए। इतनी बड़ी बात है, आप जानते ही हैं जितना उन्होंने किया है, हमलोग तो उन्हीं के सिद्धांत को मानते हैं। जो उनकी इच्छा थी उसी को लागू करके हम बिहार को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जब तक हमलोग जीवित हैं, तब तक जेपी को भूल नहीं सकते।’
सवाल- आप नागालैंड जा रहे हैं?
नीतीश कुमार- हां, हम नागालैंड जा रहे हैं। क्योंकि जेपी वहां तीन साल रहे थे। 1964 से लेकर तीन साल तक जेपी नागालैंड में रहे थे। नागालैंड से भी लोग आते रहते हैं। पहले भी गए हैं। जेपी का लोग नागालैंड में बहुत सम्मान करते हैं, उनके दिल में जेपी के लिए श्रद्धा का भाव है। उन्होंने हमको बुलाया तो हमने कहा कि ठीक है। जाएंगे वहां।
सवाल- अमित शाह भी आ रहे हैं सिताब दियारा?
नीतीश कुमार- कोई भी आए, उससे क्या फर्क पड़ता है।
जाहिर है कि नीतीश कुमार ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि अमित शाह के जेपी की जन्मस्थली यानि सिताब दियारा आने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इसका कोई असर नहीं होगा। ये अलग बात है कि अमित शाह के बयानों पर पलटवार करने के लिए जेडीयू से ‘तीरों’ की बौछार होगी।