भारतीय घरेलू सर्किट पर रनों की बौछार कर रहे सरफराज खान को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया में मौका नहीं मिला। इस दौरान एक बातचीत में उन्होंने अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया है।
मुंबई: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी चार मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए नजरअंदाज किए गए मुंबई के बल्लेबाज सरफराज खान ने याद किया कि कैसे उन्होंने लोगों की धारणा को बदल दिया कि वे एक सफेद गेंद के खिलाड़ी हैं और टेस्ट के खिलाड़ी नहीं हैं। सरफराज ने यह भी याद किया कि कैसे उन्होंने अपने मौके का इंतजार किया और फिर रणजी ट्रॉफी में मुंबई के लिए बल्लेबाजी करने का मौका मिलने पर तिहरे शतक लगाकर जवाब दिया।
मुंबई के इस बल्लेबाज ने ऐसा नहीं कहा, लेकिन इस बात को याद करने से पता चलता है कि वह कैसे कड़ी मेहनत जारी रखने की योजना बना रहे हैं और अपनी क्षमताओं को दिखाने के मौके का इंतजार कर रहे हैं। सरफराज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में मध्य-क्रम स्थान के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था, लेकिन चयनकर्ताओं ने रेड-बॉल क्रिकेट के लिए सूर्यकुमार यादव को चुना। जियो सिनेमा के शो ‘हैशटैग आकाशवाणी’ पर बातचीत में आकाश चोपड़ा से सरफराज ने बताया कि कैसे हर कोई कहता था कि वह केवल टी20 औ वनडे के खिलाड़ी हैं और लाल गेंद के लिए फिट नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘जब मैं विश्व कप से लौटा और 1-2 साल तक आईपीएल खेला, तो कुछ लोगों ने कहा कि सरफराज खान सफेद गेंद के खिलाड़ी हैं, जो लाल गेंद के क्रिकेट में फिट नहीं बैठते हैं। लेकिन मुझे पता था कि मैं यह कर सकता हूं और मैं इस पर कड़ी मेहनत कर रहा हूं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं एक अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था, जहां मुझे रणजी ट्रॉफी में लगातार खेलने के लिए 4 से 5 मैच मिल सकें, इसलिए मैं उन्हें दिखाऊंगा कि मैं कौन हूं। जब वह दिन आया, मैंने मुंबई के लिए वापसी की, और मेरा पहला शतक मुंबई के लिए सीधे तिहरे शतक में बदल गया। उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि चीजें उतनी मुश्किल नहीं हैं जितना लोग उन्हें बनाते हैं। मेरा भी बचपन से एक सपना था कि मैं मुंबई के खेलूं।’
सरफराज खान ने उनकी तारीफ करते हुए एबी डिविलियर्स का भी जिक्र किया। सरफराज खान ने कहा, ‘शायद ही कभी मैंने डिविलियर्स को अभ्यास करते देखा है। लेकिन मैंने एक बार उनसे पूछा, ‘आप ज्यादा अभ्यास क्यों नहीं करते’? तो, उन्होंने कहा ‘जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तो मैं बहुत अभ्यास करता था, और मैं उतना प्रतिभाशाली नहीं था जितना कि तुम अब हो, इसलिए बस खेलते रहो।’