चौपाल, 16 अक्तूबर : चौपाल के पूर्व विधायक डॉ. सुभाष चंद मंगलेट द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। पूर्व विधायक ने अपनी ही पार्टी के नेता राजीव शुक्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सुभाष की पोस्ट वायरल होने से इस बात का भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस ने चौपाल विस क्षेत्र से रजनीश किमटा ने नाम पर मुहर लगा दी है।
दरअसल, रविवार दोपहर करीब एक बजे सुभाष ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि “फ़िक्र न करे चुनाव लड़ने आ रहा हूं, चौपाल की जनता का टिकट ला रहा हूं, 2022 में विधानसभा जा रहा हूँ, कांग्रेस बीजेपी वालों से बैर नहीं, राजीव शुक्ला तेरी खैर नहीं, जय शिवलौती महाराज”। हालांकि साफ़ तौर पर इस बयान के बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चौपाल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के संगठन मंत्री रजनीश किमटा का टिकट फाइनल हो गया है। इसी बात से नाराज होकर मंगलेट अब कांग्रेस पार्टी से बागी होकर बतौर आजाद उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं । सुभाष यदि बगावत करते है तो यह कांग्रेस के लिए कितना भारी पड़ेगी, इसका पता तो आने वाले एक महीने में चल जाएगा, लेकिन मंगलेट की ये पोस्ट रानजीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
गौरतलब है कि आज कांग्रेस पार्टी द्वारा हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती है। सूची जारी होने से पहले ही पूर्व विधायक डॉ. सुभाष चंद मंगलेट की ये पोस्ट इस बात की ओर इशारा कर रही है कि कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं देने का मन बना लिया है।
वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर लिख रहे है की मंगलेट को एक बार बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद लगातार 3 मर्तबा कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। मगर पार्टी के चुनाव चिन्ह पर वो एक बार जीतने के बाद लगातार 2 बार हार चुके है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी चौपाल से अगर किसी नए उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार रही है तो ये फैसला स्वागत योग्य है।
बता दें कि मंगलेट ने वर्ष 2003 में पहली बार यहां से निर्दलीय जीते थे। इसके बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 2007 में वह कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने।
2012 में सुभाष को निर्दलीय बलबीर सिंह वर्मा ने पराजित कर दिया। बाद में 2017 में बलबीर भाजपा के टिकट पर दोबारा यहां से विधायक बने और सुभाष को लगातार दूसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा।