केंद्र सरकार की सेना में युवाओं को मौका देने की नई भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर भड़के आक्रोश की आग शुक्रवार को और तेज़ हो गई. देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए और कई ट्रेनों और वाहनों को आग लगा दी गई.
वहीं बिहार में उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के घर पर हमला हुआ और बीजेपी के दफ़्तर को भी निशाना बनाया गया.
बीबीसी से बातचीत में रेणु देवी ने कहा कि बिहार सरकार उग्र प्रदर्शनकारियों पर नरम रवैया अपना रही है. उन्होंने ये भी कहा कि हिंसा कर रहे प्रदर्शनकारियों के घरों पर भी बुलडोज़र चलाया जाना चाहिए.
रेणु देवी के इस बयान के बाद बिहार में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के सत्ताधारी गठबंधन में दरार के संकेत भी मिले हैं. रेणु देवी के इस बयान को दोनों दलों की अंदरूनी राजनीति से भी जोड़ा जा रहा है.
जेडीयू ने क्या कहा
वहीं बीबीसी की सहयोगी पत्रकार सीटू तिवारी से बात करते हुए जदयू नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष अंजुम आरा कहती हैं, “हम लोगों का यही कहना है कि सही में इस योजना पर पुनर्विचार होना चाहिए. क्योंकि जिन लोगों के लिए यह योजना लायी गयी है, वही इसके पक्ष में नहीं हैं. साथ ही जो लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें भी संविधान के दायरे में रहना चाहिए और यह जो शब्द बुलडोजर है, वह भी संवैधानिक नहीं है. उपद्रव को संवैधानिक तरीके से डील करना चाहिए और किसी को भी इस तरह का वक्तव्य नहीं देना चाहिए.”
जदयू जहां अग्निपथ योजना पर गठबंधन में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार से अलग रुख़ अपना रही है वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता और मंत्री इस योजना का खुलकर समर्थन कर रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उम्र बढ़ाने के फ़ैसले को ट्वीट करते हुए लिखा है, ”केंद्र सरकार की ओर से घोषित की गई ‘अग्निपथ योजना’ भारत के युवाओं को देश की रक्षा व्यवस्था से जुड़ने और देश सेवा करने का सुनहरा अवसर है. पिछले दो वर्षों से सेना में भर्ती की प्रक्रिया नहीं होने के कारण बहुत से युवाओं को सेना में भर्ती होने का अवसर नहीं मिल सका था.”
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ड्रामा क्वीन
समाप्त
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी योजना का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा, ”पिछले दो वर्ष कोरोना महामारी के कारण सेना में भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई थी, इसलिए प्रधानमंत्री जी ने ‘अग्निपथ योजना’ में उन युवाओं की चिंता करते हुए पहले वर्ष उम्र सीमा में दो वर्ष की रियायत देकर उसे 21 साल से 23 साल करने का संवेदनशील निर्णय लिया है. इस निर्णय से बड़ी संख्या में युवा लाभान्वित होंगे और अग्निपथ योजना के माध्यम से देशसेवा और अपने उज्ज्वल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ेंगे.”
बीबीसी से बात करते हुए रेणु देवी ने ये भी कहा कि बिहार की सरकार उग्र प्रदर्शनकारियों पर नरम है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से बच रही है.
रेणु देवी के नीतीश कुमार पर जानबूझकर उपद्रवियों को छूट देने और राजनीति करने के आरोप के जवाब में अंजुम आरा कहती हैं, “हम ऐसे किसी भी आरोप को खारिज करते हैं, अगर ऐसा होता तो जिस यूपी के प्रशासन को सख्त माना जाता है, वहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं. बच्चों की भावनाओं को समझना होगा. इसी वजह से हम केंद्र सरकार से बार-बार पुनर्विचार का अनुरोध कर रहे हैं. ऐसे आंदोलन को देश एक बार पहले देख चुका है, भुगत चुका है. अब दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए.”
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आरजेडी पर लगते आरोप
बिहार में सत्ताधारी गठबंधन ने विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल पर आंदोलन को हवा देने के आरोप लगाए हैं. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि आरजेडी इन प्रदर्शनों के पीछे है. गिरिराज सिंह ने कहा कि आरजेडी को अपने कृत्यों का जवाब देना होगा.
इस आरोप के जवाब में वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी कहते हैं, “अगर इतनी ताकत राजद की हो जाती तो नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे कैसे रहते. इस प्रदर्शन में माले वाले ज़रूर दिखाई दे रहे हैं, राजद तो कहीं दिख ही नहीं रहा.”
राजद इस मसले पर शांति की अपील क्यों नहीं करता, इस सवाल पर शिवानंद कहते हैं, “हम तो निंदा कर ही रहे हैं. मगर यह जो हो रहा है वह भाजपा के द्वारा शुरू की गयी भीड़ की राजनीति का रिएक्शन है. आपने जैसा माहौल बनाया है, उसी की प्रतिक्रिया है. उन्होंने आश्वस्त कराया कि कल का बिहार बंद भी शांतिपूर्ण रहेगा.”
रेणु देवी के बुलडोज़र वाले बयान पर वो कहते हैं, “उनके घर पर हमला हुआ है, इसके लिए हमारी उनसे सहानुभूति है, हम इसकी निंदा करते हैं. मगर यह जो हुआ है, वह बुलडोज़र की राजनीति का ही रिएक्शन है. ये लोग कल तक मुसलमानों के खिलाफ नारे लगा रहे थे, भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे थे. आज देखिये नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी वही नारे लग रहे हैं. यह काउंटर रिएक्शन है.”
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इस हिंसक आंदोलन की वजह बताते हुए शिवानंद तिवारी कहते हैं, “यह जो हो रहा है, वह लक्षण है, रोग नहीं है. असली रोग तो बेरोज़गारी है जो सुरसा की तरह बढ़ रही है. आरआरबी वाले मामले में भी युवाओं की ऐसी ही प्रतिक्रिया थी. आपने कहा था, दो करोड़ नौजवानों को रोज़गार देंगे. मगर आप उल्टी दिशा में चल रहे हैं, ऑटोमेशन कर रहे हैं. हो सकता है एक हफ्ते बाद फोर्स लगाकर ताकत का इस्तेमाल करके इसे दबा दें, मगर यह फिर भड़केगा.”
इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन सहयोगियों ने 18 जून को बिहार बंद का आह्वान किया है. इस बंद से आंदोलन और तेज़ हो सकता है.
बिहार में पहले से ही 22 ज़िले आंदोलन प्रभावित हैं और 12 ज़िलों में इस कारण इंटरनेट बंद कर दिया गया है.
बिहार के कई शहरों में ट्रेनों को आग लगा दी गई. सबसे हिंसक प्रदर्शन भी बिहार में ही हुआ.