क्या भाजपा के अभेद किले में लगेगी सेंध, महिलाओं के “हाथ” चाबी

हमीरपुर, 06  नवंबर : विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर को भाजपा की जिताऊ सीट के नाम से जाना जाता है। वजह ये है कि सीट पर भाजपा का मजबूत संगठन। तीसरे मोर्चे व निर्दलीयों को हमीरपुर सीट पर स्वीकार नहीं किया जाता है। निर्दलीय चुनाव लड़ने पर वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर को भी हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा से वो लगातार दो बार विधायक रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि हमीरपुर में तीसरे विकल्प की संभावना कम है, लेकिन करिश्मे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 38वीं विधानसभा सीट है। खास बात ये है कि विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता अधिक है।

          हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद की रोचक रहा है। जीत और हार के साथ ही भौगोलिक परिस्तिथियों में बदलाव और विधानसभा डिलिमिटेशन के कारण क्षेत्रों के गठजोड़ भी चर्चा में रहे हैं। साल 1982 से इस सीट पर भाजपा का अधिक दबदबा देखने को मिला है। पिछले 9 विधानसभा चुनावों में से भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने एक दफा जीत हासिल की है। भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदेव चंद इस विधानसभा क्षेत्र से 1982 से लेकर 1993 तक चार मर्तबा भाजपा के टिकट पर विधायक रहे।

जगदेव चंद 1977 में जनता पार्टी के विधायक भी रहे हैं। यहां से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर अनीता वर्मा ने दो बार चुनाव जीता। वर्ष 2008 से अब तक पिछले पंद्रह साल से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन, इस बार कांग्रेस ने युवा चेहरे एवं चिकित्सक डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा पर दांव खेला है। वहीं सीपीआईएम से डॉ. कश्मीर सिंह ठाकुर, आम आदमी पार्टी से सुशील सुरोच, बसपा से प्रवीण कौशल, राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी से अभिनय भारद्वाज और निर्दलीय आशीष शर्मा व आशीष कुमार समेत कुल नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

     पूर्व मंत्री जगदेव चंद ठाकुर के पुत्र एवं वर्तमान भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं और इस बार जीत की हैट्रिक के प्रयास में हैं। वहीं अन्य प्रत्याशी भी चुनाव में जीत के लिए मैदान में डटे हुए हैं। सिर पर जीत का सेहरा कौन पहनता है, यह तो चुनाव के परिणाम के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

क्या है हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे : 
हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बेहतर सेवाएं और नए बस स्टैंड का मुद्दा चर्चा में है। शहर में बेहतर पार्क न होना, बिजली की लाइनों का जाल, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और बिजली की समस्या चर्चा में रहेगी। हमीरपुर में नए बस स्टैंड का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था, लेकिन इसके निर्माण पर एक ईंट भी नहीं लग पाई।  मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में सीटी स्कैन आधुनिक मशीन लंबे समय के बाद मिली है। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर चिकित्सा उपकरणों की कमी पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। आगामी चुनावों में बस स्टैंड और मेडिकल कॉलेज के दोनों ही मसले फिर नेताओं की जुबान पर होंगे।
ये जातीय समीकरण…

फोटो में उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया गया है।

हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों की संख्या से ज्यादा है। बात करें कुल संख्या की तो इस सीट पर 76646 मतदाता है, इसमें से 37432 पुरुष वोटर है, वहीं  38003 महिला वोटर है। बता दें कि इस सीट पर जातीय समीकरण भी काफी प्रभाव रखता है । यहां पर 37 प्रतिशत राजपूत , 31 प्रतिशत ब्राह्मण , 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति व 7 प्रतिशत ओबीसी की है।

आजाद आशीष शर्मा का तीर 

हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से आजाद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे आशीष शर्मा की पृष्ठभूमि कांग्रेस व भाजपा से जुड़ी है। आशीष शर्मा का परिवार भाजपा से संबंधित है, जबकि सास और ससुर की पृष्ठभूमि कांग्रेस की है। ससुर राजेंद्र जार जिला कांग्रेस कमेटी हमीरपुर के अध्यक्ष पद पर थे। वह बीसीसीआई के वाइस चेयरमैन भी रहे हैं, उनकी गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के करीबियों में होती रही है। ससुर राजेंद्र जार और सास विद्या जार विधानसभा क्षेत्र बड़सर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। आशीष शर्मा पहले भाजपा से टिकट की मांग कर रहे थे।

दिल्ली में आयोजित केंद्रीय चुनाव समिति में उनके नाम की चर्चा भी हुई थी। लेकिन भाजपा में कुछ लोगों के विरोध के चलते उन्हें टिकट नहीं मिला। भाजपा ने वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर को ही हमीरपुर से टिकट देकर आशीष शर्मा का नाम पैनल से हटा दिया। इससे नाराज चल रहे आशीष शर्मा ने फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लेकिन यहां भी आशीष शर्मा को रुसवाई ही मिली।

सुक्खू और वीरभद्र कैंप नही थे समर्थन में

कांग्रेस से आशीष शर्मा को टिकट मिलने से कांग्रेस के नेता नाराज हो सकते थे। सुक्खू समर्थकों की नाराजगी साफ दिख रही थी। नाराजगी ऐसी थी कि कई नेताओं ने तो हमीरपुर के होटल में बैठ कर इस्तीफे की पेशकश कर डाली थी। इससे हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में खलबली तो बची । इसकी जानकारी हाईकमान को भी दी गई। आनन-फानन में हमीरपुर के टिकट को होल्ड पर रख दिया गया। आशीष ने कांग्रेस के टिकट पर नामांकन पत्र दाखिल भी कर दिया था। लेकिन बाद में काफी अच्छा माथा पची के बाद कांग्रेस ने हमीरपुर के डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा को ही टिकट देना ठीक समझा।

4.79 करोड़ के मालिक भाजपा के नरेंद्र ठाकुर
भाजपा के कदावर नेता रहे, शांता सरकार में कैबिनेट मंत्री व भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शुमार ठाकुर जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर दोबारा हमीरपुर सदर से चुनाव मैदान में हैं। मौजूदा भाजपा विधायक व उम्मीदवार 65 वर्षीय नरेंद्र ठाकुर करोड़पति उम्मीदवारों की सूची में सम्मिलत हैं। वह 4.79 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं। चुनावी हलफनामे में नरेंद्र ठाकुर ने अपने परिवार की चल संपत्ति 86 लाख और अचल संपत्ति  3.93 करोड़ दिखाई है।

             हलफनामे  में दिए गए संपत्ति ब्यौरे के मुताबिक उनके पास डेढ़ लाख और पत्नी के पास 12 लाख के जेवर हैं। नरेंद्र ठाकुर के पास एक इनोवा और पत्नी के पास एक क्रेटा गाड़ी है। हालांकि दंपति ने ये गाड़ियां लोन पर ली हैं। नरेंद्र ठाकुर की चल संपत्ति में सेविंग के नाम पर छह बैंक खाते और पॉलिसियों हैं। अचल  संपत्ति में उनके नाम सुजानपुर तहसील के चायल, बड़ोग और री गांवों में 119 कनाल की कृषि भूमि है, जिसकी कीमत 83 लाख है। उन्होंने वर्ष 1991 में हमीरपुर के पाश क्षेत्र हीरानगर में एक लाख रूपये में गैर कृषि भमि खरीदी थी। जिस पर उनका तीन मंजिला आलीशान मकान है। इसका बाजारी मूल्य दो करोड़ रूपये है। नरेंद्र ठाकुर पेशे से वकील हैं। उन्होंने वर्ष 1981 में हिमाचल विवि से एमकॉम और वर्ष 1984 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की है।

कांग्रेस के डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा के नाम 3.44 करोड़ की संपत्ति
हमीरपुर के चुनावी रण में पहली बार किस्मत आजमाने उतरे कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा हमीरपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर हैं। वह पूर्व उद्योग मंत्री रणजीत वर्मा के सुपूत्र हैं। रणजीत वर्मा सत्तर के दशक में हिमाचल सरकार में मंत्री रहे हैं। 47 वर्षीय डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा के पास 3.44 करोड़ की चल एवं अचल संपत्ति है। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग में जमा हलफनामे में उन्होंने अपनी चल संपत्ति 1.08 करोड़ और अचल संपत्ति 2.43 करोड़ दर्शाई है। पुष्पेंद्र वर्मा की पत्नी एनआईटी हमीरपुर में मेडिकल ऑफिसर हैं। चल  संपत्ति में पुष्पेंद्र वर्मा के नाम 37 लाख, पत्नी के नाम 48 लाख और बच्चों के नाम क्रमशः 17 लाख और आठ लाख विभिन्न बैंक खातों व पॉलिसियों में जमा हैं।

      इसके अलावा उनके नाम 2.13 करोड़ और पत्नी के नाम 29.94 लाख की अचल संपत्ति है। हमीरपुर के झनियारा और गोपाल नगर में गैर कृषि भमि पर बने उनके दो भवनों का बाजारी मूल्य 1.37 करोड़ हैं। पत्नी के नाम नादौन के कोटलू में गैर कृषि भूमि है। हालांकि डॉक्टर दंपति के नाम कृषि भूमि व व्यवसायिक भवन नहीं है। डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा ने वर्ष 2021 में मार्कंडेय यूनिवर्सिटी कुमारहट्टी सोलन से मेडिसन में एमडी की है।

35 वर्ष के निर्दलीय आशीष शर्मा का करोड़ों का कारोबार, 13.59 करोड़ के मालिक

 भाजपा व आरएएसएस की विचारधारा के आशीष शर्मा टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं। आशीष शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र जार के दामाद हैं। 35 वर्ष के आशीष शर्मा करोड़पति हैं। उनके पास अकूत संपत्ति  है। चुनावी हलफनामे पर नजर डालें, तो आशीष शर्मा 13.59 करोड़ की  संपत्ति के मालिक हैं। उनके तीन स्टोन क्रशर हैं। आशीष शर्मा के पास 33 लाख की फारच्यून टोयटा कार, दो टिप्पर और एक जेसीबी है। उनकी 6.13 करोड़ की चल और 7.01 करोड़ की अचल संपत्ति है। इसमें 3.37 करोड़ की अचल संपत्ति खरीदी गई है। आशीष शर्मा के पास 5.54 एकड़ की कृषि भूमि है, जिसकी कीमत चार करोड़ से अधिक है।

     इसके अलावा उनके नाम 2.95 करोड़ की गैर कृषि भूमि भी है। चल संपत्ति में उनके नाम 5.65 करोड़, पत्नी के नाम 44.71 लाख और बच्चे के नाम 2.45 लाख विभिन्न बैंक खातों, एफडीआर और पॉलिसियों में जमा है। उनके नाम से 15 सेविंग बैंक खाते और पांच एफडीआर व छह पॉलिसियों हैं। आशीष शर्मा ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। वर्ष 2009 में उन्होंने जेपी यूनिवर्सिटी वाकनाघाट से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन में बीटेक की है।

निर्बल व सबल पक्ष 

भाजपा का सबल पक्ष ये है कि परंपरागत सीट रही है। प्रत्याशी के पिता दिवंगत जगदेव ठाकुर का रसूख रहा है। निर्बल पक्ष में एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर है। कांग्रेस प्रत्याशी के सामने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती है,डगर आसान नहीं है। मुकाबला त्रिकोणीय है। ये बात सबल पक्ष में जा रही है।                 

 आजाद उम्मीदवार आशीष शर्मा की पकड़ हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में अच्छी है। हमीरपुर विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में आशीष शर्मा का बड़ा रुतबा है, लेकिन निर्बल पक्ष ये है कि मतदाता कांग्रेस या भाजपा के कैंडिडेट में से ही विधायक चुनते है।

ये लोग कर चुके हैं प्रतिनिधित्व

जगदेव ठाकुर 1977 से 1982

जगदेव ठाकुर 1982 से 1985

जगदेव ठाकुर 1985 से 1990

जगदेव ठाकुर 1990 से 1993

जगदेव ठाकुर 1993 से 1995

अनीता वर्मा  (उपचुनाव) 1995 से 1998

उर्मिल ठाकुर 1998 से 2003

अनीता वर्मा  2003 से 2008

उर्मिल ठाकुर 2008 से 2012

प्रेम कुमार धूमल 2012 से 2017

नरेंद्र ठाकुर 2017 से 2022