‘डियर पापा, मम्मी…जब तक आप लोगों को मेरा यह खत मिलेगा, मैं दूर ऊपर आसमान से आप लोगों को देख रहा होऊंगा. मुझे कोई शिकायत, अफसोस नहीं है. अगर, मैं अगले जन्म में फिर से इंसान के रूप में ही पैदा होता हूं तो मैं भारतीय सेना में ही भर्ती होने जाऊंगा और अपने देश के लिए लडूंगा. अगर हो सके तो आप जरूर उस जगह को आकर देखना, जहां आपके कल के लिए भारतीय सेना लड़ रही है.’
‘जहां तक यूनिट की बात है नए लड़कों को इस शहादत के बारे में बताया जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है मेरा फोटो मेरे यूनिट के मंदिर में करनी माता के साथ रखा जाएगा. जो कुछ भी आपसे हो सके करना. अनाथालय में कुछ पैसे देना. कश्मीर में रुखसाना को हर महीने 50 रुपए भेजते रहना. योगी बाबा से भी मिलना. बर्डी को मेरी तरफ से बेस्ट ऑफ लक.’
‘देश पर मर मिटने वाले इन लोगों का ये अहम बलिदान कभी मत भूलना. पापा आप को तो मुझ पर गर्व होना चाहिए. मम्मी आप मेरी दोस्त से मिलना, मैं उससे बहुत प्यार करता हूं. मामा जी मेरी गलतियों के लिए मुझे माफ कर देना. ठीक है फिर, अब समय आ गया है, जब मैं अपने साथियों के पास जाऊं. बेस्ट ऑफ लक टू यू ऑल. लिव लाइफ किंग साइज. आपका रॉबिन.’
यह पत्र जून 1999 में तोलोलिंग के बाद ‘थ्री पिम्पल्स’ पर तिरंगा फहराने निकले राजपुताना राइफल्स के जांबाज़ कैप्टन विजयंत थापर ने लिखा था. वही विजयंत थापर, जिन्होंने अपने जीते जी पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों को आगे नहीं बढ़ने दिया. उन्हें सेना में सिर्फ़ छह महीने ही हुए थे, फिर भी वो जिस तरह से करगिल युद्ध में लड़े, वो इतिहास के पन्नों में दर्ज है. विजयंत कारगिल में शहीद होने वाले कम उम्र के जांबाज़ थे.
सेना में विजयंत को सिर्फ छह महीने ही हुए थे, जब करगिल युद्ध छिड़ गया था. अनुभव कम होने के बावजूद विजयंत मजबूती से आगे बढ़े और विरोधियों का सामना किया. अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण वो जून 1999 में तोलोनिंग (कारगिल) पर भारतीय तिरंगा लहराने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्हें नोल एंड लोन हिल पर ‘थ्री पिम्पल्स’ से पाकिस्तानियों को खदेड़ने निकले थे.
विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने दुश्मन का सामना किया और आखिरी सांस तक डटे रहे. उनके साथी दुश्मन के आर्टिलरी फायर में शहीद हो चुके थे. ऐसे में उन्होंने शहीदों के शवों को सुरक्षित स्थान पर भेजा और फिर दुश्मन पर टूट पड़े. इस संघर्ष में वो बुरी तरह घायल हो चुके थे. मगर उन्होंने अपने प्राण तब ही छोड़े थे, जब दुश्मन को मार भगाया था.