हम चाहे जिसके साथ युद्धाभ्यास करें, तीसरे को क्या मतलब…’दाल भात में मूसलचंद’ बन रहे चीन को भारत की दो टूक

India China Relations : उत्तराखंड में एलएसी के नजदीक अमेरिका के साथ चल रहे संयुक्त युद्धाभ्यास पर चीन की आपत्ति को भारत ने खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा है कि भारत ने किसी तीसरे को इस बात का ‘वीटो’ नहीं दिया है कि किसके साथ युद्धाभ्यास करें, किसके साथ नहीं।

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उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिका का युद्धाभ्यास।

नई दिल्ली : अमेरिका के साथ उत्तराखंड में चल रहे संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास पर चीन की आपत्ति को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। उसने दो टूक कहा है कि हमारे सैन्य अभ्यास को लेकर किसी भी तीसरे पक्ष को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। भारत ने पलटवार करते हुए कहा कि चीन को पहले खुद आईने में झांकना चाहिए कि उसने पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण करके किस तरह समझौतों पर उल्लंघन किया है। ‘दाल भात में मूसल चंद’ बनने की कोशिश कर रहे चीन ने भारत-अमेरिका युद्धाभ्यास पर यह कहते हुए आपत्ति की है कि यह सीमा पर शांति के लिए हुए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है। बीजिंग लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के नजदीक हो रहे युद्धाभ्यास को भारत-चीन मामलों में अमेरिका की दखल के रूप में देख रहा है।

‘पूर्वी लद्दाख में चीन ने खुद 1993 और 96 के समझौते का उल्लंघन किया’

चीन की आपत्ति से जुड़े सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने किसी तीसरे देश को इसका ‘वीटो’ नहीं दिया है कि किसके साथ सैन्य अभ्यास करें, किसके साथ नहीं। उन्होंने कहा कि युद्धाभ्यास का द्विपक्षीय संबंधों से कुछ लेना-देना ही नहीं है। बागची ने आगे कहा, ‘लेकिन चूंकि ये चीनी पक्ष की तरफ से उठाया गया है तो मैं जोर देकर कहता हूं कि चीनी पक्ष को आत्ममंथन की जरूरत है और उन्हें इस बारे में सोचना चाहिए कि उन्होंने खुद 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन किया है।’ बागची ने कहा कि भारत जिसके साथ चाहे सैन्य अभ्यास करे, किसी तीसरे देश को उसने ऐसे मुद्दों पर कोई ‘वीटो’ नहीं दिया है।

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उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिकी सेना का युद्धाभ्यास।

LAC के नजदीक भारत-चीन संयुक्त अभ्यास से चिढ़ा है चीन

इससे पहले चीन ने भारत के साथ ये मुद्दा उठाया था कि एलएसी के पास अमेरिका के साथ उसका सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौते की भावनाओं के खिलाफ है। इससे द्विपक्षीय विश्वास पैदा करने में मदद नहीं मिलेगी। दरअसल, 1993 का समझौता एलएसी पर शांति बरकरार रखने के लिए हैं। वहीं 1996 का समझौता ‘भारत-चीन सीमा इलाके’ पर दोनों पक्षों की तरफ से विश्वास बढ़ाने वाले कदमों से जुड़ा है।

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उत्तराखंड में युद्धाभ्यास के दौरान अमेरिकी और भारतीय सैनिक

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची से जब चीन में सख्त कोरोना लॉकडाउन के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ कहने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह किसी भी देश की कोरोना से निपटने की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दुनिया कोरोना के कहर से बाहर आएगी।