महिला क्रिकेट: मिताली राज के बाद हरमनप्रीत कौर के सामने ये चुनौतियां

मिताली राज

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भारत की महिला क्रिकेट टीम इस समय उस चुनौती का सामना कर रही है, जिसका सामना भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने सचिन तेंदुलकर के रिटायरमेंट लेने पर किया था.

सचिन तेंदुलकर ने लगभग 24 साल तक भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रनों का एक विशाल अंबार खड़ा किया था. लेकिन इसके साथ ही वह टीम इंडिया की रीढ़ की हड्डी बने रहे.

महिला क्रिकेट टीम के सामने भी कुछ ऐसे ही हालात हैं.

लगभग 23 साल तक भारतीय क्रिकेट टीम के साथ जुड़े रहने के बाद मिताली राज ने कुछ दिन पहले क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स को अलविदा कह दिया है.

और गुरुवार को सालों बाद भारत की महिला क्रिकेट टीम मिताली राज के बिना क्रिकेट ग्राउंड पर उतरेगी.

टीम इंडिया श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीन टी20 मैचों की सिरीज़ का पहला मैच हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में दम्बुला में खेलेगी.

हालांकि, हरमनप्रीत कौर पिछले कुछ सालों से टी20 टीम का नेतृत्व कर रही हैं.

लेकिन अब क्रिकेट प्रेमी ये देखना चाहेंगे कि वह टी20 के अलावा आने वाले दिनों में वनडे मैचों में भी टीम की किस तरह नेतृत्व करेंगी.

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मिताली और हरमनप्रीत कौर के बीच संबंध?

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मिताली राज और हरमनप्रीत के आपसी रिश्तों में एक दूसरे के लिए सम्मान के साथ कहीं न कहीं आपसी तनाव भी देखने को मिलता था.

मिताली ने जब रिटायरमेंट की घोषणा की तो हरमनप्रीत ने ट्वीट किया कि जब उन्होंने क्रिकेट को करियर के रूप में अपनाया तो उन्हें मिताली राज के अलावा किसी और खिलाड़ी का नाम भी नहीं पता था.

लेकिन मिताली ने जिस तरह टीम को दशकों तक दिशा दिखाई है, उससे उन्होंने युवा लड़कियों में भी क्रिकेट अपनाने का और बड़े सपने देखने का बीज बोया.

जैसे सचिन तेंदुलकर को उनके बाद आने वाले खिलाड़ी ‘सचिन पाजी’ या सिर्फ़ ‘पाजी’ के नाम से पुकारते थे वैसे ही मिताली राज हरमनप्रीत सहित तमाम खिलाड़ियों के लिए ‘मिताली दी’ कहलाती थी.

हालांकि, हरमनप्रीत कौर ने इस बात की भी पुष्टि की है कि दोनों के बीच हमेशा एक जैसे विचार नहीं बनते थे.

उन्होंने कहा था कि शायद इसकी वजह एक टीम में दो अलग कप्तान के होने से हुआ था. अलग-अलग फॉर्मेट के अलग कप्तान रखने का सिलसिला ऑस्ट्रेलिया ने शुरू किया था, जिसे आज लगभग सभी टीमें फॉलो करती हैं.

लेकिन ये भी जगज़ाहिर था कि टेस्ट कप्तान स्टीव वॉ और वनडे कैप्टन रिकी पॉंटिंग का आपसी मनमुटाव कहीं न कहीं टीम में भी दरार पैदा कर रहा था.

श्रीलंका दौरे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरमनप्रीत ने इसी बात की ओर इशारा किया.

उन्होंनें कहा, “मैं काफ़ी समय से टी20 टीम को लीड कर रही हूँ और अब मुझे वनडे टीम लीड करने का मौक़ा भी मिला है. मुझे लगता है इससे चीज़ें आसान हो जाएंगी क्योंकि जब दो अलग कप्तान थे तो कभी-कभी मुश्किलें भी होती थीं क्योंकि हम दोनों के अलग विचार होते थे. लेकिन अब मेरे लिए टीम को बताना आसान हो जाएगा कि मैं उनसे क्या उम्मीद कर रही हूँ और उन्हें मेरी बात समझने में भी आसानी होगी.”

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मिताली राज

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रिकॉर्ड्स पर नज़र

हरमनप्रीत की ये बात सिर्फ़ एक पहलू दर्शाती है. मिताली जैसी अनुभवी बल्लेबाज़ और कप्तान की कमी टीम को कहीं न कहीं ज़रूर महसूस होगी. हरमनप्रीत पर हर मैच जीतने का दबाव भी अलग से रहेगा. उनके लिए भी ये ख़ुद को साबित करने का मौक़ा होगा.

श्रीलंका दौरे पर भारतीय टीम तीन टी20 और तीन वनडे इंटरनैशनल मैच खेलेगी. टी20 में हरमनप्रीत को सबसे अधिक रन बनाने के रिकॉर्ड को तोड़ने का मौक़ा मिलेगा.

हरमनप्रीत ने 121 मैचों में 2319 रन बनाए हैं और मिताली राज के रिकॉर्ड से महज़ 46 रन दूर हैं. यानी बस एक फ़िफ़्टी और हरमनप्रीत टी20 में सर्वाधिक रन बनाने वाली भारतीय महिला क्रिकेटर बन जाएगी.

ये रिकॉर्ड कितना बड़ा है, ये इस बात से साबित होता है कि टी20 इंटरनेशनल में 2000 से अधिक रन बनाने वाले सिर्फ़ चार भारतीय खिलाड़ी हैं – मिताली राज, हरमनरप्रीत कौर, विराट कोहली और रोहित शर्मा.

भारतीय महिला टीम की स्मृति मंधाना भी 2000 से बस 29 रन दूर हैं और वो उम्मीद करेंगी कि इस दौरे पर वो इस एक्सक्लूसिव लिस्ट में अपना नाम भी दर्ज करा लेंगी.

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हरमनप्रीत कौर

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नए युग की शुरुआत

जब भी भारतीय महिला क्रिकेट का इतिहास लिखा जाएगा, मिताली राज के रिटायरमेंट के साथ एक युग के अंत का ज़िक्र होगा.

श्रीलंका में हरमनप्रीत एक नए युग की शुरुआत करेंगी. 23 जून को शुरू हो रहे इस दौरे पर तीनों टी20 मैच दम्बुला में खेले जाएंगे जबकि तीन वनडे इंटरनेशनल मैच कैंडी में खेले जाएंगे. आख़िरी मैच सात जुलाई को खेला जाएगा.

वर्ल्ड कप में ख़राब प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम के लिए ये पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है.

टीम चाहेगी कि टी20 और वनडे दोनों में जीत हासिल कर अपना हौसला फिर से बढ़ाया जाए. पॉज़िटिव रिज़ल्ट के लिए ज़रूरी है कि सीनियर खिलाड़ी जैसे हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा आदि बढ़-चढ़ कर प्रदर्शन करें.

बेशक हरमनप्रीत पर दवाब होगा लेकिन वो भारतीय पुरुष टीम से प्रेरणा ले सकती हैं.

सचिन तेंदुलकर के रिटायरमेंट के बाद विराट कोहली ने टीम की बैटिंग का अहम जिम्मा संभाल लिया था.

ऐसी ही उम्मीद हरमनप्रीत से भी है कि वो न सिर्फ़ मिताली की कमी को पूरा करेंगी बल्कि उनकी विरासत को आगे लेकर जाएंगी.