महिला दिवस: हिमाचल की पहली एंबुलेंस चालक बन नैंसी ने पूरा किया मां का सपना, युवतियों के लिए बनीं प्रेरणा स्रोत

कुछ करने का जज्बा पहाड़ की औरतों को दुनिया की भीड़ से अलग करता है। यहां महिलाओं का हौसला भी पहाड़ जैसा बुलंद है। नैंसी हिमाचल की पहली एंबुलेंस चालक बन युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हैं। आज के युग में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में बढ़-चढ़ भाग ले रही हैं। ऐसा ही कुछ नैंसी कतनौरिया ने हिमाचल प्रदेश की पहली महिला एंबुलेंस चालक बनकर दिखाया है। 102 एंबुलेंस की चालक बनकर नैंसी अन्य युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हैं। नैंसी ने अपनी मां जमना देवी का सपना पूरा किया है। नैंसी को बचपन से ही बड़े वाहन चलाने का शौक था। वहीं उसके इस सपने को पूरा करने में परिवार ने पूरी मदद की और उसका हौसला बढ़ाया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जिला हमीरपुर के नादौन तहसील के कश्मीर गांव की नैंसी ने बताया कि वह सातवीं कक्षा से ही दोपहिया वाहन चलाने लग पड़ी थीं।

12वीं कक्षा तक की पढ़ाई जीएसएसएस कश्मीर से की है। वहीं बीकॉम की पढ़ाई नादौन कॉलेज से की है। नैंसी की इस उपलब्धि के लिए हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने सोलन में प्रशस्ति पत्र देकर उसे सम्मानित भी किया था। नैंसी ने कहा कि एक साल पहले वह हिमाचल पथ परिवहन निगम(एचआरटीसी) से अपना लाइसेंस ले चुकी हैं। अब 102 एंबुलेंस चलाकर लोगों की सेवा कर रही हैं। नैंसी का एक छोटा भाई भी है। नैंसी की इस कामयाबी से उनकी माता जमना देवी, पिता अजीत कुमार और पूरे परिवार में खुशी की लहर है।