अफगानिस्तान में महिलाओं की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाई जा रही’, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र में  भारत ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया और कहा कि पिछले दो दशकों के लंबे समय से लड़ी गई लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश हो रही है।

अफगानी महिला

अफगानिस्तान में सार्वजनिक जीवन से महिलाओं को हटाने की बढ़ती कोशिशों को लेकर भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चिंता जताई। भारत ने इस दौरान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया और कहा कि पिछले दो दशकों के लंबे समय से लड़ी गई लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। जिनेवा में भारत के राजदूत पुनीत अग्रवाल ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान लंबे समय से साझेदार के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में वहां शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। राजदूत पुनीत ने ये टिप्पणी मानवाधिकार परिषद के 50वें सत्र में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की स्थिति” पर चर्चा के दौरान की।

भारत ने महिलाओं की स्थिति पर रखा अपना पक्ष
राजदूत पुनीत अग्रवाल ने कहा कि हम अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों के बारे में गहराई से चिंतित हैं, जो अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों की भलाई को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। अफगानिस्तान में महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से हटाने की कोशिशें बढ़ रही हैं। अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा के अधिकार सहित महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके लिए पिछले दो दशकों के लंबे समय से लड़ी गई लड़ाई को मजबूत करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

तालिबानी शासन आने के बाद बढ़ा महिलाओं पर अत्याचार
तालिबान अगस्त 2021 के मध्य में राजधानी काबुल पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता में लौट आया, जिससे युद्धग्रस्त देश में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की उपस्थिति के लगभग 20 वर्षों का तेजी से अंत हो गया। सत्ता संभालने के बाद, कट्टरपंथी इस्लामी समूह नए कानून जारी कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि महिलाओं को केवल आवश्यकता के मामलों में ही अपने घरों को छोड़ना चाहिए और फिर अपने चेहरे को सार्वजनिक रूप से ढंकना चाहिए। इतना ही नहीं तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा पर भी अंकुश लगाने का फरमान सुना दिया।