भारत ने महत्वपूर्ण मुक़ाबले में न्यूजीलैंड से हारकर महिला विश्व कप हॉकी में पूल बी से सीधे क्वॉर्टरफ़ाइनल में स्थान बनाने का मौका गंवा दिया.
इस हार से भारतीय टीम पूल में तीसरे स्थान पर रही. वह अब वह क्रॉस ओवर मैचों में खेलेगी और आठ टीमों में टॉप चार स्थानों में रहकर क्वॉर्टरफ़ाइनल में पहुंच सकती है.
भारत को मैच में बराबरी करने का मौका मिला था पर आख़िरी मिनट में मिले दो पेनल्टी कॉर्नरों को भारतीय ड्रेग फ्लिकर गुरजीत कौर गोल में नहीं बदल सकीं और उसे 3-4 से हार का सामना करना पड़ा.
भारतीय टीम मैच को ड्रॉ भी करा लेती तब भी उसे सीधे क्वॉर्टरफ़ाइनल में स्थान नहीं मिलना था.
इस जीत से न्यूजीलैंड पूल में सबसे ज्यादा सात अंक बनाकर क्वॉर्टरफ़ाइनल में पहुंच गई है. इस ग्रुप में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाली भारत और इंग्लैंड की टीमें क्रॉस ओवर मैचों में खेलेंगी.
भारत की हार का प्रमुख कारण न्यूजीलैंड की जाबांज गोलकीपर रोर्बट्स ब्रुक रहीं.
उन्होंने कम से कम चार-पांच गोलों को अपने बेहतरीन बचाव से रोका. पेनल्टी कॉर्नरों पर गुरजीत कौर हों या दीप ग्रेस एक्का दोनों की ड्रेग फ्लिक पर उन्हें भेदना हमेशा मुश्किल लगा.
भारत ने जब भी पेनल्टी कॉर्नर पर वैरिएशन लाने का प्रयास किया तो गोल के सामने मौजूद वंदना हों या नेहा या फिर सलेमा टेटे वह गेंद पर नियंत्रण ही नहीं कर पाई.
टोक्यो ओलंपिक: भारतीय महिला हॉकी टीम जर्मनी से क्यों हारी?
50-100 जुटाने पड़े महिला आइस हॉकी टीम को
भारतीय डिफेंस दिखा कमजोर
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
ड्रामा क्वीन
समाप्त
भारत की हार में उसके डिफेंस का अच्छा बचाव नहीं कर पाना भी एक वजह रही.
गुरजीत कौर और दीप ग्रेस एक्का को न्यूजीलैंड की हमलावरों को रोकने के लिए सर्किल में जिस चपलता की जरूरत थी, वह दिखाने में दोनों ही असफल रहीं.
न्यूजीलैंड टीम जवाबी हमले बोलने के लिए जानी जाती है. इस तरह के हमलों के समय भारतीय मिडफील्ड की खिलाड़ियों की कई बार रिकवरी कमजोर दिखी.
वंदना कटारिया ने शुरुआत में ही गोल जमाकर बढ़त जरूर दिलाई. लेकिन इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों में हमले बनाते समय तालमेल सर्किल से पहले ही नजर आया.
लेकिन सर्किल में पहुंचने के बाद तालमेल कई बार गड़बड़ाया. खासतौर से भारतीय टीम की फिनिश ने निराश किया. वंदना, शर्मिला और नेहा सभी ने गोल जमाने के मौके बर्बाद किए.
भारतीय फारवर्डों को जब एक बार यह अहसास हो गया कि सीधे शॉट पर गोल जमाना मुश्किल है तो न्यूजीलैंड की गोलची रोर्बट्स ब्रुक को गच्चा देने के लिए कोई और तरीका निकालना चाहिए था, वह नहीं निकाल सकीं. इस वजह से बार-बार मौकों को गँवाती रहीं.
भारत ने चीन के खिलाफ की गई ग़लती को इस मैच में नहीं दोहराया और आख़िरी क्वॉर्टर में चौथा गोल खाने से पिछड़ने के बाद पूरा जोर हमलों पर लगा दिया और इस कारण वह गुरजीत के पेनल्टी कॉर्नर पर एक गोल से अंतर कम करके 3-4 करने में सफल हो गई. लेकिन बराबरी करने में सफल नहीं हो सकीं.
भारतीय महिला हॉकी टीम एशिया कप के फ़ाइनल में
भारतीय महिला हॉकी टीम में कैसे आया इतना बदलाव?
ज़रूरत थी इतिहास पलटने की
भारत को इस मुकाबले में जीत पाने के लिए इतिहास पलटने की जरूरत थी. इसकी वजह भारतीय टीम न्यूजीलैंड के साथ इससे पहले हुए सभी 13 मुकाबलों में हारी थी.
टीम के पिछले दिनों एफआईएच प्रो लीग में बेहतर प्रदर्शन से उम्मीद की जा रही थी कि कोविड के कारण पिछले दो सालों से अंतरराष्ट्रीय मुकाबले कम खेली न्यूजीलैंड को हम फतह करने में सफल हो जाएंगे. लेकिन यह संभव नहीं हो सका.
खेल का तीसरा क्वॉर्टर काफी गति से खेला गया. भारतीय टीम के बराबरी पर आने के लिए जोर लगाने के दौरान ही न्यूजीलैंड ने एक जवाबी हमले में पेनल्टी कॉर्नर प्राप्त किया और डेविस फ्रांसिस ने गोल में बदलकर 3-1 की बढ़त कर ली.
लेकिन भारत ने क्वॉर्टर खत्म होने से ठीक पहले लालरेमसेमी के गोल से बढ़त अंतर कम करके 2-3 कर लिया. भारत ने पहले दोनों क्वॉर्टर में शुरुआत तो आक्रामक ढंग से की.
वंदना कटारिया, नेहा, शर्मिला और सोनिका सभी ने अच्छे तालमेल से हमले भी बनाए पर टीम की दिक्कत हमलों को फिनिश करने की रही.
कम से कम दो मौकों पर तो सर्किल में भारतीय फॉरवर्ड पास पर कंट्रोल करके गोल की दिशा देने में असफल रहीं.
भारतीय महिला हॉकी टीम की ये जीत इतनी बड़ी और यादगार क्यों है?
महिला हॉकी वर्ल्ड कप से भारत हुआ बाहर
भारत को बढ़त
न्यूजीलैंड ने बराबरी से हमले तो बनाए ही पर दोनों क्वॉर्टरों के आखिरी समय में हमलों का जोर बांधा और दोनों ही क्वॉर्टर के आखिर में गोल करके हाफ टाइम तक 2-1 की बढ़त बना ली.
न्यूजीलैंड के लिए दूसरा गोल जोप टेसा ने भारतीय डिफेंस में बनी दरार का फायदा उठाकर किया.
भारतीय डिफेंस में गुरजीत कौर और दीप ग्रेस एक्का अपनी मिडफील्ड की खिलाड़ियों के साथ मिलकर दीवार नहीं बन सकीं, कई बार न्यूजीलैंड के हमलों में फ्लैंक बदलने पर हमारे डिफेंस में दरार नजर आई और इसका फायदा उठाया गया.
भारत ने खेल की शुरुआत आक्रामक अंदाज में की और उसे तीसरे मिनट में ही सफलता मिल भी गई. वंदना कटारिया ने गोल करके भारत को बढ़त दिलाई. लेकिन इस बढ़त को वह पूरे क्वॉर्टर में बनाए रखने में सफल नहीं रही.
इस क्वॉर्टर के तीन मिनट का खेल बाकी रहने पर भारतीय खिलाड़ी उदिता के स्टिक चैक करने पर न्यूजीलैंड पहला पेनल्टी कॉर्नर पाने में सफल रही, जिसे मैरी ओलिविया ने ड्रेग फ्लिक से गोल में डालकर एक-एक की बराबरी कर दी.
एशियन गेम्स: फ़ाइनल में हारी महिला हॉकी टीम
महिला हॉकी टीम के ‘रियल कोच’ जिन्होंने टीम को जीत की आदत लगाई
इस मैच से पहले भारत दो अंक बनाकर पूल बी में तीसरे स्थान पर था. न्यूजीलैंड दो मैचों में चार अंक से पहले और इंग्लैंड तीन मैचों में चार अंक बनाकर दूसरे स्थान पर था. भारत को सीधे क्वॉर्टरफ़ाइनल में स्थान बनाने के लिए जीत जरूरी थी.
लेकिन भारत और न्यूजीलैंड के बीच पिछले पांच सालों से कोई मुकाबला नहीं खेला गया है. भारतीय टीम ने मई 2017 में न्यूजीलैंड का दौरा करके पांच टेस्ट की सीरीज खेली थी. लेकिन भारतीय टीम को इस दौरे पर जीत से मरहूम रहना पड़ा था.
किसी टीम के खिलाफ लंबे समय से नहीं खेलने की वजह से उसके ख़िलाफ़ रणनीति बनाना थोड़ा मुश्किल होता है.
लेकिन भारतीय टीम भाग्यशाली है कि उसकी कोच जानेक शोपमैन इस टीम की विश्लेषणात्मक कोच भी रह चुकी हैं, इसलिए वह सामने वाली टीम के वीडियो देखकर आकलन करने में माहिर हैं.
उन्होंने इस तरह से ही भारतीय टीम को न्यूजीलैंड से मुकाबले के लिए तैयार किया पर टीम मैदान पर यह तैयारी दिखाने में कामयाब नहीं रही.