कोर्ट की लड़ाई जीती अब मैदानी जंग जीतने की चुनौती, फूट के बाद दशहरा रैली पर शिवाजी पार्क को कैसे भरेंगे उद्धव ठाकरे

पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर ने कहा कि शिवसेना की परंपरा जीत गई है। जीत गए बालासाहेब के विचार! उद्धव साहेब का संकल्प जीता! दशहरा रैली शिवतीर्थ पर ही होगी। वहीं शिवसेना सासंद अनिल देसाई ने कहा कि यह रैली महाराष्ट्र के लोगों के लिए है और इसमें कोई राजनीति नहीं है। यह वर्षों से चली आ रही परंपरा है। सत्यमेव जयते।

Shivsena Chief Uddhav Thackeray
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे

मुंबई: शिवाजी पार्क (Shivsena Dussehra Rally) पर दशहरा रैली की अनुमति मिलने के बाद शिवसैनिकों का जोश उफान पर है। मुंबई समेत राज्य भर के कई इलाकों में शिवसैनिकों द्वारा जश्न मनाए जाने की खबरें आ रही हैं। ढोल-ताशे और आतिशबाजी के साथ फैसले का स्वागत किया गया। जोर-जोर से ‘आवाज कुणाचा, शिवसेनेचा’ का नारा बुलंद किया गया। शिवसैनिक इस जीत को बागी गुट की हार के रूप में देख समझ रहे हैं। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के हाथ से सत्ता का जाने और पार्टी में पड़ी फूट का हर दिन फैलते जाने से पसरी निराशा से उबरने के लिए तात्कालिक रूप से ही सही शिवाजी पार्क (Shiva ji Park) की यह जीत उद्ध‌व और उनके समर्थकों के लिए फिलहाल किसी संजीवनी से कम नहीं है। लेकिन अदालती जीत के बाद अब उद्धव गुट को मैदानी चुनौती से निपटना होगा।

मैदान भरने की होगी चुनौती
यूं तो शिवाजी पार्क के विशाल मैदान को हर दशहरा रैली में शिवसैनिकों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ मुंबई ने कई बार देखा है। लेकिन इस बार मुंबई में दो दशहरा रैली हो रही हैं। एक शिवाजी पार्क में और दूसरी बीकेसी में। बीकेसी में होने वाली रैली बागी गुट की है। इसीलिए शक्ति प्रदर्शन तो तय है। बागी शिंदे गुट शिवाजी पार्क से ज्यादा भीड़ जुटाने की पुरजोर कोशिश करेगा। कहा जा रहा है कि शिंदे गुट की दशहरा रैली को अभूतपूर्व बनाने के लिए जोरदार तैयारी चल रही है। 10 हजार बसें बुक की गई हैं। कई ट्रेनों को आरक्षित किया गया है। खबर है कि बीजेपी की यंत्रणा भी भीतर ही भीतर इस काम में मदद कर रही है। ऐसे में उद्ध‌व ठाकरे के सामने शिवाजी मैदान भरने की चुनौती होगी। इस काम में अगर महाविकास आघाडी भी शिवसेना की मदद करे, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि, यह इतिहास रहा है कि शिवसेना की दशहरा रैली में बालासाहेब को सुनने सिर्फ शिवसैनिक ही नहीं, बल्कि हर पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में आते थे। खुद शरद पवार भी कभी शिवाजी पार्क पर बालासाहेब को सुनने गए थे।

56 साल का इतिहास
शिवाजी पार्क और शिवसेना का 56 साल पुराना रिश्ता है। दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे शिवाजी पार्क को शिव तीर्थ कहते थे। 30 अक्टूबर, 1966 को दशहरे के दिन इसी शिवाजी पार्क पर शिवसेना की पहली दशहरा रैली हुई थी। उसके बाद से यह शिवसेना की परंपरा बन गई। शिवसैनिक हर साल दशहरा रैली का इंतजार करने लगे। तब न तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया था और न सोशल मीडिया। बालासाहेब जैसे करिश्माई नेता को देखने सुनने का यही एक दिन मुकर्रर था। बालासाहेब के निधन के बाद 2013 से पार्टी प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे दशहरा रैली को संबोधित करते आ रहे हैं।

नेताओं के बयानों में झलका उत्साह
हमें न्याय पर विश्वास हैं। इसीलिए हम हाई कोर्ट गए। हमारे पास कोई झूठ नहीं है। हम हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि कानून-व्यवस्था भंग न हो। इस साल भी सतर्कता बरती जाएगी और दशहरा रैली के दौरान शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के विचारों को सुनने महाराष्ट्र के कोने-कोने से शिवसैनिक शिव तीर्थ पर आएंगे।