Woodland की Success Story: रूस के लिए बनाए गए जूतों से खड़ा कर दिया 1250 करोड़ का देसी ब्रांड

Indiatimes

विश्वास बहुत बड़ी चीज है और व्यापार में तो इस विश्वास का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जिस भी प्रोडक्ट पर लोगों का एक बार विश्वास बन जाता है उसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है. जैसे कि बात जब जूतों की मजबूती की आती है तो एक ही नाम सामने आता है, ‘वुडलैंड’. वुडलैंड के जूतों के लिए ये फेमस है कि इंसान इस कंपनी के जूते शौक से तो खरीदता है लेकिन इन जूतों का शौक मर जाता है मगर ये टूटते नहीं.

आज हम आपको जूतों के इसी ब्रांड की कहानी बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि कैसे एक भारतीय ने रूसी जूतों पर भारत की मुहर लगाई और भारत में इसकी महज 3 दुकानें खोल कर पूरी दुनिया में इसे फेमस कर दिया.

भारत बनाता था रूस के लिए जूते

WoodlandFacebook

90 के दशक में जूतों के बाजार में केवल दो नाम गूंजते थे बाटा और करोना. ये वुडलैंड ही था जिसने इन दोनों के किले में सेंध लगाई और भारतीय बाजार में उतर कर धीरे धीरे अपनी जगह बनाई. एक समय था जब भारत, दिल्ली के एरो क्लब में अपने सबसे बड़े बिजनेस पार्टनर रहे रूस के लिए जूते बनाया करता था. इसके बाद 1992 में सोवियत रूस का विघटन हुआ और आगे की संभावनाओं से भरा यह मार्केट बिखर गया. इसका नतीजा ये निकला कि रूस की तरफ से मिले निर्यात के सारे ऑर्डर रातोंरात रद्द कर दिए गए.

अवतार सिंह ने खोजे स्पेशल शू

WoodlandMensXp

उन दिनों एरो क्लब के चेयरमैन थे अवतार सिंह. उनके लिए रूस के बाजार के लिए बनाए गए लेदर के कैजुअल शूज इंडस्ट्रियल बूट्स का स्टॉक एक बड़ी सिरदर्दी बन गया. हालांकि बाद में इसी सिरदर्दी ने उन्हें इतना बड़ा फायदा पहुंचाया जिसकी चर्चा आज भी होती है. अवतार सिंह की नजर इस स्टॉक में पड़े एक रफ-टफ जूते पर पड़ी जिसे रूस के मौसम के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया था. मोटे बफ लेदर से सिला ये हैंडमेड जूता सोल हार्ड रबड़ से बनाया गया था. इसके साथ साथ इसके लेस भी लेदर से बनाए गए थे. जूते की लुक रफ-टफ रखी गई थी और ये लंबे समय तक चलने वाला लग रहा था.

वुडलैंड आया बाजार में

WoodlandWoodland

अवतार सिंह कनाडा के क्यूबेक में रहते थे. उन्होंने 1980 में वुडलैंड की पेरेंट कंपनी एयरो क्लब की स्थापना कनाडा के क्यूबेक में की थी. मगर अवतार सिंह मूलरूप से भारत से हैं. रूस निर्यात के लिए रखे स्टॉक में से उन्होंने रफ एंड टफ जूते को चुना और उसे वुडलैंड के लेबल के साथ बाजार में ले आए. उस समय बाटा के आगे बाकी सबही कंपनियां फेल थीं लेकिन अवतार सिंह के वुडलैंड ने बाटा को भी कड़ी टक्कर देनी शुरू कर दी.

2-3 स्टोर्स से हुई शुरुआत

WoodlandWoodland

इस भारी भरकम और रफ एंड टफ जूते को अवतार सिंह ने भारत में बेचने का निर्णय लिया. उन्होंने इस मजबूत को वुडलैंड ब्रांडनेम के साथ एरो क्लब के 2-3 स्टोर्स पर लॉन्च किया. शौकीन लोगों तक सीधा पहुंचने के लिए उन्होंने यह जूता दिल्ली के कुछ छोटे रिटेलर्स को कमीशन आधार पर बेचने के लिए उपलब्ध करवाया. अवतारसिंह ने इस शू को स्टाइल नंबर दिया, जी-0092. इस नंबर में 0092 का मतलब 1992 और जी का मतलब जेंट्स शूज था. पैसे का पूरा मूल्य वसूल करने वाले भारतीय ग्राहकों ने वुडलैंड जी-0092 को पसंद किया.

इन जूतों के लिए अवतार सिंह ने रंग भी अतरंगी ही चुने. उन्होंने इन जूतों को खाकी, ब्लैक, ऑलिव, कैमल और इन सबके मिक्स कलर्स में बनाना शुरू किया. इसके बाद तो वुडलैंड के जूतों को ऐसी जबरदस्त पब्लिसिटी मिली कि भारत में वुडलैंड ब्रांडनेम सबको रट गया. इसकी खासियत यही थी कि इसके एक-एक जोड़े जूते सालों तक टिक जाते हैं और इसी बात ने लोगों के बीच वुडलैंड का विश्वास बढ़ाया.

आज है करोड़ों का कारोबार

भारत में वुडलैंड का प्रमुख निर्माण केंद्र नोएडा में है. चमड़े को पंजाब के जालंधर में टेनरियों से सोर्स किया जाता है. वुडलैंड की हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 8 फैक्ट्री हैं, जो 70 फीसदी डिमांड को पूरा करती हैं. आज पूरी दुनिया में वुडलैंड के करीब 350 एक्सक्लूसिव शोरूम के साथ 5 हजार से अधिक मल्टी ब्रांड आउटलेट्स भी हैं. वुडलैंड अब 1,250 करोड़ रुपये का कारोबार करती है.