ट्रेड यूनियनों की ये हैं मांगें
मजदूरों के कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड बनाए जाएं। सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण पर रोक लगाई जाए। ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। आउटसोर्स नीति बनाई जाए। स्कीम वर्करों को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। मनरेगा मजदूरों को दो सौ दिन का रोजगार और साढ़े तीन सौ रुपये दिहाड़ी की जाए। करुणामूलक रोजगार दिया जाए। छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर कर इसका लाभ कर्मचारियों को जल्द दिया जाए। मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये घोषित किया जाए। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस व खाद्य वस्तुओं की भारी महंगाई पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जाएं। मोटर व्हीकल एक्ट में मालिक व मजदूर विरोधी संशोधनों को वापस लिया जाए।
सीटू, इंटक, एटक, केंद्रीय कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति, बीमा, बैंक, बीएसएनएल, डाक कर्मियों, एजी ऑफिस सहित विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों व केंद्रीय कर्मचारियों की हड़ताल जारी है।
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मंगलवार को दूसरे दिन भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर सीटू, इंटक, एटक, केंद्रीय कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति, बीमा, बैंक, बीएसएनएल, डाक कर्मियों, एजी ऑफिस सहित विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों व केंद्रीय कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। हड़ताल से बैंकों समेत अन्य विभागों में कामकाज प्रभावित हुआ है। यूनियनों की ओर से जगह-जगह प्रदर्शन किया गया। शिमला में सीटू ने डीसी कार्यालय के बाहर से शेर ए पंजाब तक रैली निकाली और सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
2022-03-29